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भाजपा के आतंरिक सर्वे में कुशीनगर सांसद का रिपोर्ट कार्ड खराब

यूपी के 19 सांसदों के टिकट पर मंडरा रहा है खतरा

संजय चाणक्य

कुशीनगर ( नवसत्ता ) :- आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश में अपने सांसदों के कामकाज का कराये गये आंतरिक सर्वे मे 19 सांसदों का रिपोर्ट कार्ड सबसे खराब रहा है जिसमे कुशीनगर के सांसद विजय दूबे भी शामिल है। राजनीतिक गलियारों मे खराब रिपोर्ट वाले सांसदों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। ऐसे मे इन सांसदों की चिंता जहां बढ़ गयी है वही इनकी रातों की नींद उड़ना स्वभाविक है। काबिलेगौर है कि पार्टी हाईकमान द्वारा सांसदो के कामकाज के कराये गये आतंरिक सर्व मे यूपी के डेढ़ दर्जन से अधिक सांसद पार्टी की कसौटी पर फेल हो गये है। ऐसे मे कहना मुनासिब होगा कि लोकसभा चुनाव से पहले अपने सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में कई दिग्गजों का टिकट काट सकती है।

कहना न होगा कि सूबे मे लोकसभा की अस्सी सीटों में से भाजपा व सहयोगी दलों को मिलकर कुल 66 सांसद है। आगामी 2024 लोकसभा चुनाव ने भाजपा ने अपने लिए यूपी से ” मिशन 80” का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। पार्टी को यह भलीभांति ज्ञात है कि यह लक्ष्य आसान नही है इस लिए लगातार अपने सांसदों का आंतरिक सर्वे करवा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी अब तक तीन सर्वे करवा चुकी। तीसरे सर्वे मे कुशीनगर सांसद विजय दूबे, संतकबीर सांसद प्रवीण निषाद, आजमगढ़ सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ, बदायूं सांसद व स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री संघमित्रा मौर्य सहित तबरीबन तीस फीसदी सांसदो का रिपोर्ट कार्ड पुअर और खराब रहा है। पार्टी हाईकमान का यह मानना है कि इन सांसदो के भरोसे 2024 लोकसभा चुनाव मे सम्पूर्ण लोकसभा सीटो से ” मिशन 350 ” और यूपी से ” मिशन 80” का वैतरणी पार नही लगायी जा सकती है।

खराब रिपोर्ट वाले सांसद

बीजेपी के तीसरे इंटरनल सर्वे में करीब 19 सांसदों के नाम ‘पुअर’ व खराब कामकाज करने वाले कैटेगरी में शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो इनमें सूबे के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के पुत्र व एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया, भाजपा छोडकर सपा मे शामिल हुए व अपने विवादित बयानों से लगातार चर्चा मे बने रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी व बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य, ​भोजपुरी एक्टर-सिंगर व आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, निषाद पार्टी के मुखिया व योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद के बेटे और संतकबीर नगर के सांसद प्रवीण निषाद, कुशीनगर सासंद विजय दूबे शामिल हैं। इसके अलावा लगातार विवादों में रहने वाले मोहनलालगंज के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर हरदोई के सांसद जयप्रकाश रावत, बाराबंकी के सांसद उपेंद्र रावत, सीतापुर के सांसद राजेश वर्मा, धौरहरा की सांसद रेखा वर्मा, प्रतापगढ़ के सांसद संगम लाल गुप्ता, फूलपुर सांसद केसरी देवी पटेल, फर्रुखाबाद सांसद मुकेश राजपूत, बांदा सांसद आरके पटेल, भदोही के सांसद डॉक्टर रमेश चंद बिंद, अकबरपुर के सांसद देवेंद्र सिंह भोले, मिश्रिख सांसद अशोक कुमार रावत, फिरोजाबाद सांसद डॉक्टर चंद्र जादौन और हाथरस सांसद राजवीर दिलेर का नाम भी शामिल है। जिनकी सिर पर टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है।

सर्वे मे सांसदों के बाटें गये पुअर, एवरेज और गुड कैटगरी

पार्टी के आंतरिक सर्वे में सांसदों के काम को तीन कैटेगरी में बांटा गया है- ‘पुअर’, ‘एवरेज’ और ‘गुड’। यह आतंरिक सर्वे भारतीय जनता पार्टी के आगामी लोकसभा चुनावों की प्लानिंग का एक हिस्सा है। बीजेपी ने यूपी में अपने सांसदों के कामकाज का आंतरिक सर्वे फरवरी 2023 में शुरू किया था। पहला सर्वे फरवरी-मार्च में हुआ जिसमें कुछ अलग पैरामीटर रखे गए थे। दूसरा आंतरिक सर्वे मई-जून 2023 के बीच कराया गया। इन दोनों ही सर्वे के बाद भाजपा ने सांसदों की एक लिस्ट तैयार की और इसके बाद अब तीसरा आंतरिक सर्वे हाल ही में अगस्त-सितंबर महीने में संपन्न हुआ है। बताया जाता है कि तीसरे और आखिरी सर्वे में कुछ पैरामीटर बदले गए थे। इसमें सबसे अहम मुद्दा यह पता लगाना था कि सांसदों के कामकाज से उनके लोकसभा क्षेत्र की जनता कितनी संतुष्ट है। इस आधार पर अब सांसदों की तीन कैटेगरी में लिस्ट तैयार हुई है। पार्टी के एक जिम्मेदार पद पर आसीन नेता का कहना है कि सर्वे एक अहम फैक्टर है किसी भी सांसद-विधायक के बारे में अगर जानना है तो उस क्षेत्र में जाकर कोई एक दिन घूम ले तो उसे भी पता लगाया जा सकता है कि लोग क्षेत्र में क्या कह रहे हैं। उनका ये भी कहना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कोई ऐसा चुनाव नहीं होगा जिसमें लोगों के टिकट न बदलते हों। उनके मुताबिक यह सर्वे पार्टी की एक सतत प्रक्रिया है

फ़ीडबैक और आतंरिक सर्वे बनेगा 2024 में टिकट का आधार

भारतीय जनता पार्टी ने सांसदों के कामकाज और उनकी लोकप्रियता को लेकर जो आंतरिक सर्वे कराया है उसकी रिपोर्ट और उन सांसदों का क्षेत्र से मिला फीडबैक ही 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने या कटने का सबसे बड़ा आधार होगा। बीजेपी पहले भी इसी के आधार पर टिकट में बदलाव करती आई है।

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