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संयुक्त युवा मोर्चा’ का राष्ट्रीय अधिवेशन 15 जुलाई को, साझा संघर्ष का होगा शंखनाद: अनुपम

रोजगार के लिए संघर्षरत युवा नेता और अंधाधुंध निजीकरण के खिलाफ लड़ रहे कर्मचारी संघ आयेंगे साथ

लखनऊ/नवसत्ता -देश के 113 युवा समूहों के गठबंधन से बना ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ अपना पहला राष्ट्रीय अधिवेशन शनिवार 15 जुलाई को नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब के सभागार में करने जा रहा है। अधिवेशन में देश के अलग अलग हिस्सों में रोजगार आंदोलन को नेतृत्व दे रहे युवा नेता हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम में रोजगार आंदोलन को समर्थन दे रहे ख्यातिप्राप्त पूर्व अधिकारी, जानेमाने वकील, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, कई ट्रेड यूनियन के राष्ट्रीय नेताओं के आलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं के शामिल होने की भी खबर है।

आपको बता दें कि बीते दिनों रोजगार को राष्ट्रीय विमर्श में लाने वाले युवा नेता अनुपम के न्योते पर देश के 113 युवा समूह साथ आए। बेरोजगारी के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन तैयार करने के उद्देश्य से गठित यह मोर्चा देश के कई राज्यों में बेरोजगारी के खिलाफ सघन अभियान चला रहा है। बीते 3 अप्रैल को संपन्न पहली बैठक में ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ के नेता अनुपम ने रोजगार के समाधान के तौर पर चार प्रमुख मांगों वाला एक प्रस्ताव पेश किया था।

प्रस्ताव को ‘भारत रोजगार संहिता’ यानी ‘भरोसा’ नाम दिया गया। प्रस्ताव पेश करते हुए कहा गया कि “हमारे देश के युवाओं को सरकार से ‘भरोसा’ चाहिए कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा। यह भरोसा है ‘भारत रोजगार संहिता’, जिसके लिए हमें सामूहिक रूप से लड़ना होगा। जनसमुदाय के बीच बदलाव की यह उम्मीद पैदा करने के लिए व्यापकतम संभव एकता के साथ आज जनान्दोलन की जरूरत है। “भ-रो-सा” को केंद्रित कर व्यापक एकता के लिए साझा संकल्प के साथ साथ संयुक्त प्रयास की भी जरूरत है।”

‘संयुक्त युवा मोर्चा’ के द्वारा पारित प्रस्ताव के जरिए कहा गया कि बेरोज़गारी के गहरे संकट से पीड़ित युवाओं को हताशा और निराशा से निकालकर उम्मीद और समाधान की ओर ले जाएंगे। प्रस्ताव में हर वयस्क को अपने घर के नज़दीक न्यूनतम आय पर रोज़गार का अधिकार, सभी रिक्त सरकारी पदों पर समयबद्ध भर्ती, स्थायी नौकरियों में संविदाकरण पर रोक और ‘मोडानीकरण’ की कुनीति को बंद किए जाने की मांग पर सहमति बनी थी।

‘संयुक्त युवा मोर्चा’ के अधिवेशन की घोषणा करते हुए अनुपम ने कहा कि यह अधिवेशन देशव्यापी रोजगार आंदोलन के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने आगे कहा कि यह युवाओं द्वारा उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है जो आने वाले समय में भारतीय राजनीति की दिशा तय करेगा। अनुपम ने आगे कहा कि यह हमारी सामूहिक समझ है कि रोजगार के लिए चल रहा आंदोलन और अंधाधुंध निजीकरण के खिलाफ चल रहा संघर्ष दरअसल एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

यह कोई अलग अलग लड़ाई नहीं है। अब समय आ गया है कि वैसी सभी ताकतें जो देश बेचने के खिलाफ है और देश बचाने के पक्ष में है उठ खड़े हों और इस युवा आंदोलन की जमीन तैयार करने में अपनी भूमिका अदा करें। मुझे खुशी है कि इस पहल को इतनी भारी संख्या में युवा समूहों के साथ साथ निजीकरण के खिलाफ संघर्ष कर ट्रेड यूनियनों और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी समर्थन मिल रहा है।

शनिवार को होने वाले सम्मेलन में ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ के नेताओं के अलावा रेलवे यूनियन के शीर्ष नेता शिव गोपाल मिश्रा, बैंक यूनियन के नेता सी.एच. वेंकटचलम, देवीदास तुलजापुरकर, एलआईसी यूनियन के अनिल भटनागर समेत शिक्षक संघ से लेकर परिवहन संघ तक के नेता शामिल होंगे। अधिवेशन को पूर्व सूचना आयुक्त यशोवर्धन आज़ाद, अधिवक्ता प्रशांत भूषण, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, जाने माने अर्थशास्त्री प्रो. संतोष मेहरोत्र, पर्यावरणविद रवि चोपड़ा, सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे समेत कई विशिष्टजन भी संबोधित करेंगे।

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