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दिल्ली हाईकोर्ट ने मैनुअल स्कैवेंजिंग से जुड़ी एप्लीकेशन को स्वीकार कर लिया

सीवर व सेप्टिक टैंकों की हाथ से सफाई करने के कारण होने वाली मौतों को रोकने में मिलेगी मदद

नई दिल्ली,नवसत्ता : दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मैनुअल स्कैवेंजिंग के संबंध में दायर एक एप्लीकेशन में उठाई गई मांग को स्वीकार कर लिया।

इससे पहले केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा था कि बीते 5 वर्षों में मैनुअल स्कैवेंजिंग से कोई मौत का मामला सामने नहीं आया है। जिसको लेकर हाई कोर्ट ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को मामले में पार्टी बनाने के आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही अदालत ने इस एप्लीकेशन पर भारत सरकार को 13 सितंबर 2021 तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

दरअसल, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले द्वारा 28 जुलाई को राज्यसभा में दिए गए बयान के बाद एडवोकेट एवं सोशल एक्टिविस्ट अमित साहनी ने 2019 की एक पेंडिंग याचिका में यह एप्लीकेशन दायर की थी। आज जिस मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने एप्लीकेशन में उठाई गई मांग को स्वीकार कर लिया है।

इस एप्लीकेशन में सीवर और सेप्टिक टैंकों की हाथ से सफाई करने के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए Manual Scavengers and their Rehabilitation Act, 2013 का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने की मांग की गई है।

इस आवेदन में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले के राज्यसभा में हाल में दिए उस बयान का जिक्र किया गया है कि पिछले पांच साल में ‘मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण किसी की भी मौत नहीं हुई।’

एप्लीकेशन में दावा किया गया है कि केंद्रीय राज्यमंत्री द्वारा संसद के ऊपरी सदन में दिया गया बयान ‘न केवल झूठा और गुमराह करने वाला है बल्कि यह हाथ से मैला ढोने के कारण जान गंवाने वाले लोगों, उनके परिवारों और अब भी यह काम कर रहे लोगों के प्रति असंवेदनशीलता और उदासीनता को दिखाता है।’

इसमें कहा गया है कि भारत सरकार मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 की नीति बनाने और प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में इसके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है, जोकि भारत सरकार को इस याचिका के लिए एक आवश्यक पक्ष बनाता है।

बता दें कि आवेदन में आगे कहा गया है कि संबंधित मंत्रालय ने इस साल फरवरी में कहा था कि पिछले पांच वर्षों के दौरान मैनुअल स्कैवेंजर्स के कारण 340 मौतें हुई हैं जो उच्च सदन में मंत्री द्वारा दिए गए जवाब के विपरीत है।

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