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नेपाल के पेट्रोल पंप पर भारतीय पांच सौ रुपए के नोट पर रोक

नवसत्ता -भारत‌ और नेपाल के सीमावर्ती बाजारों में भारतीय मुद्रा का अप्रत्याशित अवैध‌ अवमूल्यन हो रहा है. दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत भारतीय तथा नेपाली मुद्रा की विनिमय दर निर्धारित है. उसके अनुसार 100 भारतीय रुपया के बदले 160 नेपाली रुपया देय है. इसी तरह 1000 नेपाली रुपया के बदले 625 भारतीय रुपया की दर तय है. सीमावर्ती क्षेत्र काउंटरों पर आमलोग अपने रुपयों का इसी दर से विनिमय करते रहे हैं. इधर कुछ महीनों से भारत नेपाल सीमा के जोगबनी ,रानी, बिराटनगर में भारतीय मुद्रा का तेजी से अवमूल्यन हो रहा है।

नेपाल के पेट्रोल पंप पर पांच सौ रुपए के नोट नहीं ले रहा है। फलस्वरूप यदि पांच सौ के नोट रहने के बाबजूद उसे पेट्रोल पंप पर नहीं मिल सकता। इधर अवमूल्यन को इस रूप में आसानी से समझा‌ जा सकता है. पहले नेपाल के‌ लोगों तथा व्यापारियों के बीच भारतीय मुद्रा की मांग अधिक होती थी. उसके उलट आजकल नेपाली मुद्रा की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है.‌अवैध मुद्रा विनिमय केन्द्रों का परिदृश्य चौकाने वाला है।

अवमूल्यन के कारणों की पड़ताल करने पर इसके पीछे चीन की साजिश सामने आ रही है.नेपाल से प्रकाशित हिन्दी पत्रिका ‘हिमालिनी’ के राजनीतिक संपादक की माने तो ऐसा नही है कि चीन भारत को सिर्फ भूराजनीतिक चोट देने की कोशिश करता है, वह अब भूआर्थिक चोट भी देने का प्रयास कर रहा है . मकसद भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिकाधिक नुकसान पहुंचाना‌‌‌ है. नेपाल में आज चीन वैसा सब कुछ कर रहा है जिससे भारत को सामरिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सके. उसकी इसी भूराजनीतिक रणनीति का परिणाम है भारतीय मुद्रा का अवैध अवमूल्यन. जानकारों के अनुसार चीन नेपाल को “मेड इन चाईना ” सामान का डंप ग्राउंड बना रहा है. इसके पीछे उसकी मंशा तस्करी के जरिये मेड‌ इन चाइना वस्तुओं को भारत के सीमावर्ती बाजारों में पहुंचाना है।

नेपाल नये सिरे से अंतर्राष्ट्रीय सोना तस्करों का बड़ा अड्डा बन गया है. बिराटनगर,ठमेल, दांग, नेपालगंज, जनकपुर ,बीरगंज आदि इसके प्रमुख केन्द्र के रूप में उभर रहे हैं. नेपाल पुलिस की विभिन्न अनुसंधान रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ है कि सोना चीन से‌ आता है और तस्करी मार्ग से भारत पहुंचा दिया जाता है. ऐसा हम नहीं, नेपाल पुलिस द्वारा सोना तस्करी से जुड़े कई मामलों के उद्भेदन की रिपोर्ट कहती है. पिछले वर्षों में सोना तथा डॉलर की तस्करी से संबंधित अनेक मामलों में चीनी नागरिकों की संलिप्तता सामने आयी‌. उन तमाम लोगों का जुड़ाव तस्कर गिरोह से था. नेपाल पुलिस के अनुसंधान में यह बात उजागर हुई है कि पिछले दो वर्षों में चीन संचालित इस गिरोह द्वारा 5 टन से अधिक सोना तस्करी के जरिये भारत पहुंचाया गया है. उसकी कीमत लगभग 17 बिलियन आंकी गयी है।

अवैध सोना में से करीब, 60 से 70 प्रतिशत चीन से आ रहा है. वैसे तो मूल्य में अंतर होने के कारण नेपाल से भारत में‌़ सोने की तस्करी पहले भी होती रही है. लेकिन, दो प्रमुख कारणों से इन दिनों‌इसमें तीव्र‌ वृद्धि देखी जा रही है. पहला कारण भारत सरकार द्वारा सोना पर आयात शुल्क मे 15 प्रतिशत की वृद्धि तथा दूसरा 2000 के भारतीय नोट की बंदी है. सूत्रों के अनुसार 2000 के नोट के बंद होने से सोना की तस्करी में 30 से 40 गुणा वृद्धि हुई है. कारण कि भारत में अधिकतर लोग अपने अवैध धन का निवेश अब सोना खरीद में कर रहे हैं .ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यतः इन्हीं दो वजहों से सोना की तस्करी बढ़ रही है।

सोना के अलावा नेपाल डॉलर तथा चीनी मुद्रा की अवैध खरीद – बिक्री का भी बड़ा केंद्र बना हुआ‌‌ है. नेपाल पुलिस के सूत्रों के अनुसार पिछले दो वर्षों में डॉलर (Dollar) की तस्करी के आरोप में तीन दर्जन से अधिक चीनी नागरिक गिरफ्तार किये गये हैं.पुलिस के अनुसंधान में यह बात सामने आयी है कि डॉलर तस्करी का सीधा संबंध सोना तस्करी से है. चीन से लोग सोना लेकर नेपाल आते हैं और डॉलर अथवा चीनी मुद्रा लेकर लौट जाते हैं. सीमावर्ती क्षेत्र के कई सफेदपोश लोग चीनी मुद्रा रेनेम्बी के अवैध कारोबार में भी लिप्त हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत और नेपाल के व्यापारिक रिश्ते बहुत प्रगाढ़ हैं. भारत पड़ोसी देश नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है . लेकिन,‌ स्थिति अब तेजी से बदल रही है.‌ चीन नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार के रूप में उभरने लगा है. भारत सरकार द्वारा चीन निर्मित कई वस्तुओ के आयात पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद से नेपाल के रास्ते चीनी वस्तुओ की तस्करी बेतहाशा बढ़ गयी है. एक अनुमान के मुताबिक नेपाल से भारत में चीन निर्मित सामानों का अवैध कारोबार तकरीबन दो हजार करोड़ करोड़ से अधिक का हो गया है. चीन से नेपाल आयात मे भी तेजी से वृद्धि हो रही है।

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