पहला सवाल ये है कि आखिर क्या रिश्ता था?
दूसरा सवाल और शेरपुरिया ने बिना कुछ सोचे समझे मनोज सिन्हा को इतनी मोटी रकम क्यों दे दी?
तीसरा सवाल ये बनता है कि शेरपुरिया पीएमओ में फर्जी तरीके से आखिर पहुंचा कैसे?
चौथा सवाल अब किन- किन बड़े नेताओं के खुलेगे राज?
आखिर कैसे शुरु हुआ महाठग का नेताओं के साथ उठना बैठना?
लखनऊ, नवसत्ताः उत्तर प्रदेश के महाठग शेरपुरिया की रिमांड के बाद उसको संरक्षण देने वाले कई नेताओं और अधिकारियों के बीच में हड़कंप मच गया हैं। बता दे कि शेरपुरिया की गिरफ्तारी के बाद कई सफेदपोश नेताओं को अपनी सियासत जाने का डर सता रहा हैं।
दरअसल, महाठग शेरपुरिया के बड़े अधिकारियों और नेताओं के साथ उठना बैठना हैं जिसमें सबसे ज्यादा उभरकर नाम जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का आया है और सबसे पहला सवाल ये है कि आखिर क्या रिश्ता था? मनोज सिन्हा का महाठग शेरपुरिया के साथ जो उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शेरपुरिया से 25 लाख का कर्ज लिया था, दूसरा सवाल और शेरपुरिया ने बिना कुछ सोचे समझे मनोज सिन्हा को इतनी मोटी रकम क्यों दे दी?
उसके बाद जब इस बारे में मनोज सिन्हा पूछताछ की गयी तो उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में इसे “अनसिक्योर्ड“ कर्ज बताया। और एक खास बात चीत के दौरान यह भी सामने आया कि मनोज सिन्हा ने “उन तक (शेरपुरिया) पहुंचने और पैसे वापस करने के कई प्रयास किए हैं लेकिन संजय प्रकाश राय उर्फ शेरपुरिया अनुपलब्ध रहे।
बीते कुछ दिनों पहले से ही प्रशासन को संजय शेरपुरिया पर शक था और बीते दिनों एसटीएफ की एक टीम ने संजय प्रकाश राय ’शेरपुरिया’ पर फर्जी तरीके से पीएमओ में प्रवेश करने और व्यक्तिगत लाभ के लिए पीएम के नाम का “दुरुपयोग“ करने का और करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप लगाया था, जिसके जलते उसकी गिरफ्तारी की गई थी। जिसके बाद ईडी ने उसके कई ठिकानों पर छापेमारी भी की हैं। लेकिन इसमें अब तीसरा सवाल ये बनता है कि शेरपुरिया पीएमओ में फर्जी तरीके से आखिर पहुंचा कैसे?
बता दे कि दिल्ली ईडी की टीमों ने मंगलवार को चार शहरों में शेरपुरिया के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की है। जिसमें शेरपुरिया के आफिस व बैंक खातों सहित कई ठिकानों पर छापेमारी की गई।, और घंटों छानबीन चली। इसके अलावा लखनऊ, वाराणसी व गाजीपुर में भी ईडी की टीमों ने छानबीन की है।
वहीं छापेमारी के दौरान कई संपत्तियों व कंपनियों से जुड़े दस्तावेज मिलने के अलावा कई बैंक खातों की जानकारी भी मिली है। इनमें कुछ खातों में बड़ा लेनदेन होने की बात सामने आई है। शेरपुरिया की एनजीओ से जुड़े कई दस्तावेज भी ईडी के हाथ लगे हैं।
जिसके बाद ईडी की टीम ने शेरपुरिया को कस्टम कोर्ट से 10 दिन की रिमांड मांगी थी जिस पर कस्टम कोर्ट की स्पेशल सीजेएम फरहा जीमल ने मंगलवार को सुनवाई के बाद शेरपुरिया को अगले छह दिन तक लखनऊ पुलिस को रिमांड पर रखने की मंजूरी दी है और पुलिस सूत्रों के मुताबिक वह आज सुबह 10 बजे से लेकर 9 मई की शाम 4 बजे तक पुलिस कस्टडी में रहेगा।
इस दौरान विभूति खंड पुलिस व एसटीएफ आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करेगी। इससे पूर्व कोर्ट में विभूति खंड थाना प्रभारी रामसिंह की तरफ से अभियोजन अधिकारी विजय यादव व सहायक अभियोजन अधिकारी अतीक अहमद खान ने रिमांड देने की मांग वाली अर्जी कस्टम कोर्ट को दी थी।