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निकाय चुनावः प्रचार अभियान में तो विपक्षी दलों से कोसों आगे नजर आ रही भाजपा

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए माहौल बनाने का मौका गंवाया विपक्ष ने

नीरज श्रीवास्तव

लखनऊ, नवसत्ताः उत्तर प्रदेश में हो रहे निकाय चुनाव में अगर प्रचार अभियान की बात करें तो सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी विपक्षी दलों से कोसों आगे नजर आ रही है। हालत यह है कि मुख्य विपक्षी दल सपा, बसपा व कांग्रेस के बड़े नेताओं ने अभी तक प्रचार अभियान शुरू नहीं किया है जबकि प्रथम चरण के मतदान के प्रचार के लिए अब मात्र तीन दिन ही शेष हैं।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पूर्व हो रहे निकाय चुनाव को लगता है विपक्षी दल गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। एक ओर जहां सत्तारूढ़ दल भाजपा ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर उनके मंत्री व संगठन के बड़े नेता लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अभी तक प्रचार अभियान शुरू ही नहीं किया है। यही नहीं उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता भी प्रचार अभियान में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पूर्व विपक्षी दलों के पास यह ऐसा अवसर था जिसमें वे भाजपा के विकल्प के तौर पर खुद को पेश कर सकते थे परन्तु हैरानी की बात यह है कि न तो उनमें आपस में सामंजस्य नजर आ रहा है और न ही भाजपा से लड़ने की इच्छाशक्ति दिख रही है।

सपा की तरह ही बहुजन समाज पार्टी के नेता भी ऐसी कमरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। प्रथम चरण का मतदान चार मई को होना है। यानी दो मई को प्रचार अभियान खत्म हो जाएगा। मात्र तीन दिन शेष होने के बावजूद अभी तक प्रदेश में पार्टी सुप्रीमो मायावती की एक भी जनसभा नहीं हुई है। इस बार बड़ी संख्या में बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। ऐसे में वोटों का बिखराव होने का सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा।

उधर सूबे में सबसे बुरे हालात कांग्रेस के नजर आ रहे है। यहां तक कि पार्टी को पूरे प्रदेश में अच्छे प्रत्याशी तक नहीं मिल रहे हैं। राजधानी लखनऊ तक में पार्टी को कोई कांग्रेसी प्रत्याशी नहीं मिला। ऐसे में पार्टी के प्रांतीय नेताओं ने यहां से शराब व्यवसायी की पत्नी को टिकट दे दिया। चर्चा है कि टिकट के लिए शराब व्यवसायी ने इन नेताओं को मैनेज भी किया। यही हाल कांग्रेस के गढ़ रायबरेली का है। वहां से सांसद सोनिया गांधी होने के बावजूद अभी तक न तो गांधी परिवार का कोई सदस्य न उनका प्रतिनिधि चुनाव प्रचार में दिखा है जबकि इसी सीट पर भाजपा प्रत्याशी के प्रचार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,उप मुख्यमंत्री  केशव प्रसाद मौर्य व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चैधरी जनसभा कर चुके हैं।

कांग्रेस के साथ दिक्कत यह भी है कि उसके पास पूरे प्रदेश में पहचान वाले नेता भी नहीं बचे हैं। राज्यसभा सदस्य होने के बाद प्रमोद तिवारी भी खुद को दिल्ली वाला नेता मानने लगे हैं वहीं दूसरे राज्य सभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी को पार्टी कार्यकर्ता तक ठीक से नहीं पहचानते तो उनके प्रचार का कोई अर्थ नहीं रह जाता।

कुल मिलाकर विपक्षी दलों ने निकाय चुनाव में भाजपा को खुला मैदान दे दिया है। अधिकांश सीटों पर विपक्षी दलों के बजाय निर्दलीय प्रत्याशी ही भाजपा प्रत्याशियों से लोहा लेते नजर आ रहे हैं।

 

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