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उत्तराखंड में एक नहीं कुल पांच हैं केदार मंदिर, आप भी जानिए शिव के इन 5 मंदिरो के बारे में…

पंच केदार का अर्थ भगवान शिव के उन पांच मंदिरों से है, जहां भोलेनाथ ने पांडवों को दर्शन दिए थे। ये पंच केदार मंदिर केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर है…

उत्तराखंड, नवसत्ताः  पंच केदार यात्रा भारत में हिंदू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण यात्राओं में आती है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। पंच-केदार का मतलब भगवान शिव के उन पांच मंदिरों से है, जिसमें केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर का नाम शामिल है। भोलेनाथ को समर्पित ये पवित्र जगहें उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि इन पांच मंदिरों को महाभारत से जोड़ा जाता है। जब पांडव लंबे समय से एक जगह से दूसरी जगह भगवान शिव की खोज कर रहे थे, तब उन्हें महादेव पांच अलग-अलग हिस्सों में दिखाई दिए थे। पांडवों ने शिव को मनाने और उनकी पूजा करने के लिए इन पांच मंदिरों, पंच केदारों का निर्माण किया था। तो चलिए आपको उन पांच मंदिरों के बारे में बताता हूँ…

1-केदारनाथ मंदिर…

हिंदुओं के लिए सबसे अधिक देखे जाने वाले और पूजनीय मंदिरों में से एक, केदारनाथ पंच केदार मंदिरों में आता है। भगवान शिव का ये मंदिर हिमालय में 3583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और ऐसा माना जाता है कि इसे पांडव भाइयों द्वारा बनाया गया था। कहा जाता है कि केदारनाथ वो जगह है जहां भगवान शिव का कूबड़ प्रकट हुआ था। यह ऋषिकेश से करीब 225 किमी की दूरी पर स्थित है, पांडवों द्वारा स्थापित इस मंदिर को 8वीं या 9वीं शताब्दी में आदि शंकराचर्य द्वारा फिर से बनाया गया था…गौरीकुण्ड से करीब 18 km का ट्रेक करके यहॉ जाया जाता है…

2-तुंगनाथ मंदिर…

तुंगनाथ मंदिर दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक है, साथ ही ये पंच केदारों में भी सबसे ऊंचा है। यही नहीं, 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर भी है। चोपता से करीब 3.5 km ट्रेक करके यहॉ जाया जाता है…आपको बता दें ये वो जगह है, जहां बैल के रूप में भगवान शिव के हाथ दिखाई दिए थे, जिसके बाद पांडवों ने तुंगनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि राम ने चंद्रशिला शिखर पर ध्यान किया था, जो तुंगनाथ के करीब स्थित है। ट्रेकर्स और तीर्थयात्री आमतौर पर एक ही बार में दोनों स्थलों को कवर कर लेते हैं।

3-रुद्रनाथ मंदिर…

केदारनाथ और तुंगनाथ के बाद रुद्रनाथ को पंच केदार का तीसरा मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि यह ये वो जगह है जहां पांडवों को शिव का चेहरा दिखाई दिया था। 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मंदिर में शिव की पूजा नीलकंठ के रूप में की जाती है। मंदिर से आप नंदा देवी, नाडा घुंटी और त्रिशूल चोटियों के शानदार नजारे देख सकते हैं। ट्रेक सागर नाम के एक गांव से शुरू होता है जो गोपेश्वर से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है, और करीब 20 km का ट्रेक है फिर भी, शिव के भक्त हर साल यहां जरूर आते हैं।

4-मध्यमहेश्वर मंदिर…

मध्यमहेश्वर उत्तराखंड के गढ़वाल के हिमालय में 3497 मीटर की ऊंचाई पर गौंडर नामक गांव में स्थित है। यहीं पर शिव के मध्य भाग या नाभि भाग की पूजा की जाती है। मंदिर केदारनाथ, चौखम्बा और नीलकंठ के शानदार नजारों से घिरा हुआ है। उखीमठ से लगभग 25किमी की ट्रैकिंग रांसी से करके आप आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। मंदिर एक हरे-भरे घास के मैदान के बीच में स्थित है, जिसमें चौखम्बा की चोटियां देखने में बेहद ही खूबसूरत लगती हैं। मंदिर के गर्भगृह में नाभि के आकार का शिवलिंग है।

5-कल्पेश्वर…

माना जाता है कि कल्पेश्वर वह जगह है, जहां भगवान शिव का सिर और जटाएं दिखाई दी थी। यह उर्गम घाटी में हिमालय में 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां का नजारा देखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है। अगर आप पंच केदार की यात्रा पर निकलें हैं, तो ये मंदिर दर्शन करने के कर्म में सबसे आखिर में आता है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर भी है, जहां पूरे साल जाया जा सकता है, क्योंकि पंच केदार के अन्य चार मंदिर बर्फबारी के कारण सर्दियों में बंद रहते हैं। यहां शिव को जटाधर या जतेश्वर के रूप में पूजा जाता है। मंदिर तक आप गाडी से पहुँच सकते है

-सोहन सिंह बिष्ट रामनगर नैनीताल

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