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किक बॉक्सिंग की नेशनल चैंपियनशिप में यूपी की प्रीति ने जीता गोल्ड

  • चेन्नई में हुई किक बाक्सिंग नेशनल चैंपियनशिप
  • एशियन गेम्स और सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी हुआ चयन
  • 48 किग्रा की कैटेगरी में प्रीति तिवारी ने मारी बाजी
  • के-1 इवेंट में भी हासिल किया गोल्ड
  • टर्की वर्ल्ड कप में भी खेल चुकी हैं प्रीति
  • रियाद कॉम्बैट गेम के लिये हुआ प्रीति का चयन
  • ओलंपिक में किक बाक्सिंग का गोल्ड है प्रीति का लक्ष्य
संजय श्रीवास्तव
चेन्नई,नवसत्ता: बाक्सिंग और बाक्सर को तो सभी जानते हैं लेकिन किक बाक्सिंग को देश और दुनियां में अभी ज्यादा लोग नहीं जानते. हाथों के साथ ही पैरों से भी किक मारने वाले इस खतरनाक खेल में कल लोग ही हाथ आजमाते हैं.
मशहूर बाक्सर विजेंद्र भी शुरू में किक बाक्सिंग खेलते थे पर बाद में वो बाक्सिंग की ही रिंग में मेडल बटोरने लगे. प्रयागराज की रहने वाली प्रीति तिवारी को तो मानो अब किक बाक्सिंग के सिवा कुछ सूझता ही नहीं. शुरूआत डिस्ट्रिक्ट लेवल से करने के बाद प्रीति स्टेट और फिर नेशनल लेवल पर एक के बाद एक सभी टूर्नामेंटों में गोल्ड बटोर रही हैं.
हाल ही टर्की में हुए वर्ल्ड कप में भी प्रीति गोल्ड से चूंक जरूर गई थीं पर रजत पदक के साथ ही उन्होंने करोड़ों देश वासियों का दिल जीत लिया था. प्रीति की लगातार मेहनत और जीत लोगों को किक बाक्सिंग की तरफ जोड़ रही है.
प्रीति बताती हैं कि बाक्सिंग से थोड़ा टफ और रिस्की गेम है किक बाक्सिंग पर उन्हें अब इसी में पसीना बहाना अच्छा लगता है.
प्रीति ने चेन्नई नेशनल चैंपिनशिप में के-1 इवेंट के भीतर 48 किग्रा वेट में गोल्ड जीतकर अपनी आगे की राह आसान कर ली है. अब रियाद में होने वाले कांम्बैट गेम हों या एशियन चैंपिनशिप दोनों में प्रीति ने अपनी जगह बना ली है. इस गोल्ड के बाद ही प्रीति का चयन भारत की तरफ से सीनियर वर्ल्ड चैंपिनशिप खेलने के लिए भी किया गया है.
प्रीति कहती हैं कि उन्हें इस खेल में आगे बढ़ाने के लिए उनके परिवार का पूरा सहयोग मिला है. सुलतानपुर सीएमओ आफिस में कार्यरत उनके पिता विनोद तिवारी बेटी की इस सफलता से फूले नहीं समाते और कहते हैं कि राज्य सरकार भी इस खेल की तरफ ध्यान दे तो किक बाक्सिंग में यहां से और भी कई प्रतिभाएं सूबे का नाम रौशन कर सकती हैं. उनके मुताबिक इस खेल के लिए सरकारी या प्राइवेट तौर पर अभी प्रदेश में कहीं भी प्रापर कोचिंग या प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध नहीं है इसीलिए उन्हें सिंगापुर के कोच की निगरानी में गोवा मेों प्रशिक्षण दिलाना पड़ रहा है.
इस खेल में सरकारी मदद न मिलने से उन्हें बेटी को आगे बढ़ाने में बहुत सी आर्थिक दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. विनोद कहते हैं कि लाख दिक्कतें और बाधाएं आती है बेटी को आगे बढ़ाने में पर जब वो अपनी किक से गोल्ड ले आती है तो हम सबका सीना फूले नहीं समाता है.
नवसत्ता की तरफ से प्रीति को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं वो ऐसे ही मेहनत करती रहें और किक बाक्सिंग में एक दिन ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रौशन करें.

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