नई दिल्ली,नवसत्ता: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है. डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने विदेशी साजिश का आरोप लगाकर नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और सदन में वोटिंग नहीं होने दी है. इसके साथ ही पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया है. संसद की अगली बैठक 25 अप्रैल को आयोजित की जाएगी.
संसद भंग की सिफारिश
इधर अविश्वास प्रस्ताव रद्द होने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति को संसद भंग करने की सिफारिश की है. राष्ट्र को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कहा कि डिप्टी स्पीकर के फैसले से पाकिस्तान की जनता खुश है. देश चुनाव के लिए तैयार रहे. अब जनता तय करे की वो क्या चाहती है. जनता तय करे कि कौन सही है और कौन गलत है. संसद भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति से करने के बाद उन्होंने कहा है कि मेरे खिलाफ विदेशी साजिश की जा रही है. चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश की जा रही है.
विपक्ष जाएगा सुप्रीम कोर्ट
वहीं स्पीकर द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के बाद विपक्षी दल धरने पर बैठ गए हैं. विपक्ष दल के नेता गुस्से में हैं. सभी नेता संसद में धरने पर बैठ गए हैं साथ ही उन्होंने अब सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है.
इमरान समर्थकों की नारेबाजी
जिस वक्त संसद चल रहा था उस वक्त संसद के बाहर इमरान खान के समर्थक पहुंचे थे. पुलिस इमरान समर्थकों को संसद से हटा रही थी. इमरान समर्थक संसद के बाहर नारेबाजी करते नजर आये. इसके अलावा पत्रकारों को भी मीडिया गैलरी में नहीं पहुंचने दिया गया.
90 दिन के अंदर चुनाव
इधर सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान में 90 दिन के अंदर चुनाव होंगे. इसकी जानकारी मंत्री फवाद चौधरी ने भी दी है.
विपक्ष को हाथ आई निराशा
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने रविवार को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को संविधान के अनुच्छेद पांच के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया. अध्यक्ष असद कैसर के खिलाफ विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद सूरी ने अहम सत्र की अध्यक्षता की. विपक्ष के सदस्य जब सदन में पहुंचे तो वे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर आश्वस्त दिखाई दिए, लेकिन प्रस्ताव खारिज होने के बाद उन्होंने फैसले का विरोध किया.