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बसपा की सभी इकाइयां भंग, माया ने भतीजे आकाश को बनाया राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर

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लखनऊ,नवसत्ता: बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी चुनाव में हार पर बड़ा एक्शन लिया है. उन्होंने रविवार को पार्टी की सभी इकाइयों को भंग कर दिया है. इसके अलावा मायावती ने भतीजे आकाश आनन्द को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर नियुक्त किया.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश चुनावों में मिली करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने पहली बार समीक्षा बैठक की है. इस बैठक में 1500 के करीब कार्यकर्ता शामिल हुए हैं. मायावती ने आजमगढ़ के संभावित लोकसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार का एलान कर दिया है. आजमगढ़ में अखिलेश यादव द्वारा इस्तीफा देने के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव की तारीखों के एलान से पहले गुड्डू जमाली को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. बताते चलें कि गुड्डू जमाली पहले ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन में थे.

बैठक में न केवल एक जीते विधायक बल्कि 402 हारे प्रत्याशियों और पार्टी पदाधिकारियों को भी बुलाया गया. इस बैठक में प्रत्याशी, जिला इकाईयों के नेता और अन्य कार्यकर्ता भी शामिल थे. जानकारी के मुताबिक बैठक में सतीश चंद्र मिश्रा, बलिया के रसड़ा से चुनाव जीतने वाले एकमात्र विधायक उमाशंकर भी पहुंचे. मायावती ने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि वह जनता में फैले इस अफवाह को दूर करें पार्टी, बीजेपी के साथ है. वहीं बसपा की इस बैठक में तीन कोआर्डिनेटर बनाए गए हैं जो आकाश आनंद को रिपोर्ट करेंगे.

दरअसल, वर्ष 2007 में बहुमत की सरकार बनाने के बाद से बसपा का प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सपा के साथ गठबंधन कर लड़ा था और 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

एआईएमआईएम की लाज बचाने वाले शाह आलम की घर वापसी

हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को करारी हार का सामना करना पड़ा. जिसके कारण लगभग हर जिले में एआईएमआईएम के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. वहीं अब एआईएमआईएम की लाज बचाने वाले एकमात्र उम्मीदवार शाह आलम भी पार्टी का साथ छोड़कर बसपा में घर वापसी कर चुके हैं.

बता दें कि आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से शाह आलम (गुड्डू जमाली) ही एक मात्र उम्मीदवार थे जिन्होंने पार्टी की लाज बचाई थी. यूपी की 403 विधानसभा सीटों में असदुद्दीन ओवैसी ने 100 से ज्यादा प्रत्याशी उतारे थे, सिर्फ गुड्डू जमाली ही अपनी जमानत बचा पाए थे. जबकि इसी सीट से समाजवादी पार्टी ने बंपर जीत दर्ज की थी. आजमगढ़ की सभी 10 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने काबिज होकर बीजेपी को भी पीछे छोड़ दिया था.

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