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अजब मिशन की गजब कहानी, जहां तक देखो सब गोलमाल है !

संजय श्रीवास्तव

लखनऊ, नवसत्ता: गोलमाल फिल्म में कैरेक्टर्स की एक्टिंग पर सब खूब हंसे पर सीरियसली जो एक दूसरे की लाइफ में गोलमाल चल रहा था उसे कम लोग ही समझ पाए। जी हां ऐसा ही कुछ रीयल लाइफ में राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन में भी चल रहा है। जिस नाम से सोसायटी रजिस्ट्रेशन होना चाहिए उस नाम से हुआ नहीं और 20 साल पहले के मिलते जुलते नाम से हुए रजिस्ट्रेशन को ही सही ठहराया जा रहा है। यही नहीं बिना रजिस्ट्रेशन की यो सोसायटी अरबों के काम का वारा न्यारा कर रही है।

जी हां सांच को आंच क्या यहां हम रजिस्ट्रार चिट्स फंड एंड सोसायटीज़ से जारी दो पत्रों को दिखा रहे हैं , दोनो एक ही आरटीआई के जवाब में लिखित रूप से दिए गए हैं, एक ही अधिकारी से हस्ताक्षरित दोनों जवाबों को देखकर आप को सहज ही अंदाजा लग जाेगा कि वाकई यहां पर सब गोलमाल है।

दरअसल मैने जल जीवन मिशन में हो रहे भ्रष्टाचार और घोटाले की खबरों को प्रमुखता से उठाया, इसी बीच मुझे ग्राम्य विकास विभाग के अनुभाग 5 से जारी वो आदेश की प्रति मिली जिसके 12 अक्टूबर 2012 के आदेश में साफ साफ लिखा है कि राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन एक पंजीकृत सोसायटी होगी जिसके अध्यक्ष सूबे के मुख्य सचिव और उपाध्यक्ष कृषि उत्पादन आयुक्त होंगे मिशन के अधिशाषी निदेशक इस सोसायटी के सदस्य सचिव होंगे, साथ ही 12 विभागों के प्रमुख सचिव इस सोसायटी के सदस्य होंगे। इसके अलावा तमाम विषयों के विशेषज्ञों को भी नामित सदस्य बनाया जा सकता है। बस इसी पत्र को आधार बनाकर मैने 21 अगस्त 2021 को रजिस्ट्रार चिट्स फंड एंड सोसायटीज के दफ्तर में आरटीआई के माध्यम से लिखित सूचना मांगी कि क्या राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन या स्टेट वॉटर एंड सेनीटेशन मिशन के नाम से कोई सोसायटी कां पंजीकरण कराया गया है जिसके लिखित जवाब में मुझे 24 अगस्त 2021 को ही डिप्टी रजिस्ट्रार की काउंटर साइन से जारी जो सूचना मिली उसमें राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के नाम से कोई सोसायटी के पंजीकरण से स्पष्ट इंकार किया गया।

जब ये खबर उसी दिन यानि 24 अगस्त को नवसत्ता में प्रकाशित हुई तो हड़कंप मचा और पहले मुझे ये बताया गया कि आपको जो सूचना प्रदान की गई वो गलती से दी दी गई , दरअसल उत्तर प्रदेश वॉटर एंड सेनीटेशन के नाम से साल 1999-2000 में ही एक सोसायटी उक्त नाम से पंजीकृत है। मेरे लिखित सूचना देने के अनुरोध पर आखिर 25 अगस्त 2021 को जारी जो सूचना दी गई उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन से मिलते जुलते नाम उत्तर प्रदेश वाटर सप्लाई एण्ड सेनीटेशन 6 सरोजनी नायडू मार्ग लखनऊ के पते पर ये सोसायटी पंजीकृत है मेरे द्वारा पता करने पर मालुम हुआ कि उक्त पते पर जो दफ्तर था वो कई साल पहले ही राणा प्रताप मार्ग स्थित जल निगम परिसर में शिफ्ट हो चुका है।

नियमों को देखें तो हर पांच साल पर सोसाटीज पंजीकरण का रिनीवल होता है मतलब यदि कोई नाम या पता चेंज होता है तो उसे बाकायदा हलफनामा देकर परिवर्तित कराया जाता है और हर पांच साल बाद नवीनीकरण के समय रजिस्ट्रार चिट फंड एंड सोसायटीज के यहां से सभी संस्थाओं का भौतिक परीक्षण भी कराये जाने का प्रावधान है तो सवाल उठता है कि राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के नाम से तो कोई सोसायटी पंजीकृत नहीं है फिर मिलते जुलते नाम से किसी रजिस्ट्रेशन का क्या औचित्य, दूसरा यदि उत्तर प्रदेश वाटर एंड सेनीटेशन पंजीकृत थी तो हर पांच साल पर होने वाले नवीनीकरण में उसका नाम परिवर्तित क्यों नहीं कराया गया तीसरा जब कई साल पहले उक्त सोसायटी का पता बदल गया मतलब वो सरोजनी नायडू मार्ग से हटकर राणा प्रताप मार्ग शिफ्ट हो गई तो फिर उसका पता क्यों नहीं बदला गया साथ ही रजिस्ट्रार चिट फंड एंड सोसायटी ने भी दिये गए पते पर दफ्तर मौजूद ना होमने पर भी उक्त के पंजीकरण का नवीनीकरण कैसे कर दिया। ये तमाम सवाल ही राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन पर सवालिया निशान खड़े करता है जिससे ये साफ लगता है कि यहां पर सब गोलमाल है।

 

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