एस.एच. अख्तर
रायबरेली,नवसत्ता : प्रदेश भर के राजनीतिक गलियारों में इस समय जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं हैं। कहीं गेटिंग सेटिंग तो कहीं सदस्यों को डराने धमकाने के किस्से आम हैं। रस्साकशी सपा और भाजपा के बीच है। वहीं कांग्रेस की पारंपरिक विरासत रायबरेली में नजारा कुछ और ही है। यहां कांग्रेस बैठे बिठाये ही मजबूत पोजिशन में आ गई है। यहां कांग्रेस को सपा ने समर्थन से दिया है। सपा के समर्थन से कांग्रेस खुद बखुद ही मजबूत पोजिशन में आ गई है। यहाँ कांग्रेस से पूर्व सांसद अशोक सिंह की बहू आरती सिंह मैदान में हैं। जिले में कुल जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 52 है। कुल 27 सदस्य जिसके पाले में हैं वही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेगा। दलीय गणित की बात करें तो यहां सपा के एक दर्जन से ज्यादा, कांग्रेस के एक दर्जन और भाजपा के एक दर्जन से कम सदस्यों ने जीत दर्ज कराई है। कांग्रेस के लिए अकेले एक दर्जन से ज्यादा सदस्य जुटाना टेढ़ी खीर था। सपा प्रत्याशी विक्रांत अकेला ने पहले खुद का पर्चा नहीं दाखिल किया और बाद में खबरें आई कि सपा ने कांग्रेस प्रत्याशी आरती सिंह को समर्थन कर दिया है। इस हिसाब से तकरीबन 12 सदस्य कांग्रेस के और 14 के आसपास सदस्य सपा के मिलकर मैजिक नंबर 27 के बिल्कुल आसपास हैं।
कांग्रेस को जहां एक दो ही निर्दलीय मेंबर तोडऩे की जरूरत है वहीं भाजपा के लिए यह संख्या काफी बड़ी है। ऐसे में अगर सब कुछ ठीक रहा तो भाजपा की रंजना चौधरी के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हासिल करना आसान न होगी।रंजना को कद्दावर एमएलसी दिनेश सिंह का समर्थन भले हासिल हो लेकिन दलीय गणित उनके फेवर में कतई नजर नहीं आती है।