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Doctor's Day Specialखास खबर

डॉक्टर्स डे विशेष:जानिए अपने डॉक्टर के अनसुने किस्से,मिलिए,प्रयागराज की बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर हंसिका श्रीवास्तव से

गरिमा

प्रयागराज,नवसत्ता:डॉक्टर्स डे विशेष की इस खास श्रंखला में आपको मिलवाते हैं प्रयागराज की बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर हंसिका श्रीवास्तव से।

हमने डॉ. हंसिका से जानना चाहा कि उन्होंने डॉक्टर के तौर ओर अपनी सेवाएं समाज को देने का निर्णय कैसे लिया तो उन्होंने बताया,मैं डॉक्टर बनूं ऐसा मेरी माँ चाहती थी। मेरे मम्मी पापा ने हमेशा मुझे डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया।वह मेरे लक्ष्य को पाने के लिए मुझे हर जरूरी मदद करते थे। मैने 2010 बैच में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अकोला, महाराष्ट्र से एमबीबीएस पूरा किया। 2017 बैच में एमडी पीडियाट्रिक्स पूरा किया और इस समय मैं प्रयागराज में सरोजनी नायडू चिल्ड्रन हॉस्पिटल में सीनियर रेजिडेंट के पद पर कार्यरत हूँ।
कॉलेज के दिनों की कुछ दिलचस्प वाक्ये के बारे में पूछने पर वह बताती हैं, हमे डमी पर प्रैक्टिकल कराया जाता था।उसी पर आपरेशन करना सिखाया जाता था।यह हमारे लिए थ्योरी के मुकाबले बहुत अच्छा प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस था।

कालेज के दिनों की कुछ मस्तियों के बारे में पूछने कहती हैं,एक बार होली के त्योहार पर हमने छोटी होली के दिन होस्टल में पानी से होली खेली थी।उस दौरान हमे अंदाज़ा ही नही था कि सारा पानी हमने खेल खेल में खत्म कर दिया। नतीजे के तौर पर अगले दिन तक पानी की सप्लाई का पूरे हॉस्टल को इंतेज़ार करना पड़ा था। ऐसे ही थर्ड इयर में फाइनल एग्जाम चल रहे थे।पेपर्स के बीच मे एक भी गैप नही था। इत्तेफाक से अंतिम पेपर में हमे दो दिन का समय मिला था। एग्जाम की परवाह न करके हम कई दोस्त रात में होस्टल से गायब होकर एक मूवी देखने भाग गए थे। हालांकि मूवी बहुत बोरिंग थी लेकिन उस समय तो वह भी बहुत एंटरटेनिंग लग रही थी।
मेडिकल प्रोफेशन में आने के बाद बच्चो के कई क्रिटिकल केस आये।इन सब के बीच जो केस बार बार याद आता है वो एक 4 साल का बच्चा था।उसके पूरे शरीर मे लकवा मार गया था।वह सुन समझ सब सकता था पर शरीर मे कोई भी हरकत नही थी। हमारी पूरी टीम किसी तरह से उस बच्चे को सही करने में लगी थी। फिर उसके रेस्पिरेटरी मसल्स काफी कमजोर हो गई तो उसे एक महीने तक वेंटीलेटर पर रखना पड़ा जिससे कि वो कोलैप्स न करे। हमने भी हिम्मत नही हारी और ईश्वर के आशीर्वाद से वो बच्चा सर्वाइव कर गया।अब तो खूब तंदरुस्त है। जब कभी भी फॉलोअप के लिए आता है तो उसे देखकर आत्मसंतोष होता है और खुशी भी मिलती है
मौजूदा हालात में मेडिकल प्रोफेशन में आने वाली चुनौतियों के बारे में पूछने पर डॉक्टर हंसिका कहती हैं, मैं सबको यही कहूंगी कि अपने डॉक्टर का सम्मान करिये। एक डॉक्टर कभी नही चाहता कि उसका मरीज मरे और अपने मरीज के जीवन को बचाने के लिए हम सब खूब प्रयास करते है। किसी भी अप्रत्याशित दुर्घटना के बाद मरीजो के अटेंडेंट कभी कभी अभद्रता की हद पार कर जाते है जोकि ठीक नही है।

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