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अमेठी के दशरथ मांझियों का टूट जाएगा सपना,टीला काटकर खेल का मैदान बनाने वाले अतीत को कोस रहे हैं

आदित्य शुक्ला

अमेठी,नवसत्ता : एक दशरथ मांझी ने पहाड़ का सीना चीरकर रास्ता बनाया और इतिहास में अमर हो गया। अमेठी के दर्जनों दशरथ मांझी अपने अतीत को कोस रहे हैं। कोस रहे हैं उन दिनों को जब जेठ की दुपहरी और सावन के सैलाब को मात देकर भादर में खेल का मैदान बनाया था। मिट्टी ऊंचे ऊंचे टीले और खतरनाक जंगल को काटकर बनाये गए। इस मैदान पर देश का भविष्य यानि युवा अब कभी नहीं खेल पाएगा। यहां सरकार बनाने जा रही मॉडल थाना। थाने की आलीशान बिल्डिंग के नीचे दफन हो जाएगा इलाके के दस हजार युवाओं का सपना।

क्या है मामला
यहां विकासखंड भादर के ग्राम सभा ग़ाज़ीपुर में भूखंड संख्या-715 ग्राम सभा की जमीन है। 2011 से पहले यह ऊंचे ऊंचे मिट्टी के पहाड़ों और घने जंगलों वाला इलाका था। आसपास के लोगों ने इसे अपने बच्चों के लिए खेल का मैदान बनाने की ठानी। कुदाल फावड़ा कुल्हाड़ी लेकर महीनों यहाँ पसीना बहाया।मेहनत रंग लाई और यह निर्जन ऊबड़ खाबड़ इलाका तब्दील हो गया विशाल खेल के मैदान में। आसपास की दस हजार आबादी वाले इस इकलौते खेल के मैदान ने जिले को सैकड़ों युवाओं को देश सेवा के लिए रास्ता दिखाया। इस मैदान ने कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी दिए। इस मैदान पर सब से पहले 2011 में सरकार की निगाह गई और इसे आवासीय स्कूल में तब्दील करने का प्लान बना। युवाओं ने विरोध किया और सरकार को झुकना पड़ा। 10 साल के बाद एक बार फिर सरकार ने इस मैदान पर निगाहें टेढ़ी कीं। इस बार यहां मॉडल थाना रामगंज बनाये जाने की पटकथा तैयार है।

एक बार फिर युवा विरोध की राह पर
खेल मैदान के स्थान पर मॉडल थाना का युवा विरोध कर रहे हैं। युवा ग्राम समाज की जमीन को खेल मैदान दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। युवाओं का कहना है, इस मैदान पर गाजीपुर, भादर, केशवपुर, भभुआर, खरगापुर, भावापुर, अचकवापुर, रतापुर समेत तकरीबन 15 गाँवो के युवा प्रतिदिन सेना व पुलिस भर्ती के लिए शारीरिक दक्षता की तैयारी करते है। प्रदीप सिंह बताते हैं, मैं यहां प्रतिदिन सुबह-शाम युवाओं को शारिरिक दक्षता, खेल के लिए प्रशिक्षित करता हंू। कहते हैं, ताकि इस प्रशिक्षण के बदौलत युवा अपनी प्रतिभा को गांव से प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर तक ले जा सकें। नीरज सिंह ने कहा सिर्फ मैदान चाहिए इसके लिए विधायक से मुख्यमंत्री तक अपनी माँग पहुंचायी लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला है। खेल मैदान को स्थायी रूप से दर्ज करवाने के लिए सपा सरकार के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने भी आश्वासन दिया था। युवाओं ने कहा बीते 24 जून को प्रभारी मंत्री मोहसिन रजा एक दिवसीय दौरे पर विकासखंड भादर परिसर में आये थे। यहां सैकड़ों की संख्या में युवा मिलना चाहते थे लेकिन खराब मौसम के कारण नहीं मिल सके। वीरेंद्र विक्रम सिंह ने कहा, बारह किलोमीटर दूर रामगंज के थाने को इस मैदान में दर्ज कराकर हजारों युवाओं की प्रतिभा को रोका जा रहा है।

कड़ी मेहनत के बाद सामने आया था यह मैदान
यहां खेलने आने वाले युवा कहते हैं, हमारे बुजुर्गों ने टीले और जंगल को काट करके इसे खेल मैदान में तब्दील किया है। यहां से हर वर्ष 10-15 युवा तैयार होकर जवान के रूप देश को सेवा देते है।

दशकों पुराना इतिहास है इस मैदान का
यह लगभग 40 वर्ष पुराना श्री दुल्हराय बाबा खेल मैदान है।यहां कई गांवों के युवा एकत्रित होते है लेकिन मैदान सिर्फ नाम का है।यहां व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है।इस खेल मैदान में हजारों की संख्या में युवा सिपाही व सेना की शारीरिक दक्षता की तैयारी करते है। अभी तक लगभग 600 लोग इस मैदान में तैयारी करके देश की सेवा कर रहे है। इसका अस्तित्व इस लिए भी आवश्यक है ताकि ग्रामीण स्तर पर नए खिलाड़ी तैयार किए जा सकें। ज्यादा खेल प्रतिभाएं तभी सामने आएंगी जब खेलने के लिए मैदान होंगे। यही वजह है कि धरती का सीना चीरकर बनाए गए बुजुर्गों की विरासत को बचाने के लिए युवा विरोध का रास्ता अपना रहे हैं। इसके विरोध में अंशू सिंह, शत्रुंजय सिंह, दिनेश यादव, शिवम, कार्तिकेय, लल्ला, रमाकांत, आशीष बरनवाल समेत सैकड़ों युवा सामने हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले को लेकर जिला युवा कल्याण अधिकारी राजेश वर्मा कहते हैं, खिलाडिय़ों की तरफ से प्रस्ताव आया था, इसका संज्ञान लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी निर्देश दिया है। ग्राम सभा की गाटा संख्या 715 पर मनरेगा के तहत कार्य करवा कर खेल का मैदान ही बनाया जाएगा। हालांकि ग्राम सभा की जो शेष भूमि है उस पर यहीं मॉडल थाने का भी निर्माण होगा।

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