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हमने कोरोना को ऐसे दी मात

राय अभिषेक


लखनऊ, नवसत्ता: यदि जीवन साथी हर समय हमदम बन कर साथ खड़ा रहे, सम विषम परिस्थितियो में हाथ पकड़ कर चलता रहे, हार मानने की अवस्था में जीत की आशा की अलख जलाए रखे तो जीवन के रास्ते हँसते हँसते कट जाते है| यही हमें सीखने को मिला लखनऊ निवासी एक बुुजुर्ग दंपत्ति से जिन्होंने आत्मविश्वास, आत्मबल और एक दूसरे का हाथ पकड़ कर कोरोना संक्रमण को हराया:
 
हमने एक दुसरे का साथ नहीं छोड़ा, खुश रहे, मनोबल और आत्मविश्वास को कम नही होने दिया: रमा सत्संगी एवं सतीश कुमार सत्संगी

राजाजीपुरम लखनऊ में रहने वाले बुजुर्ग दम्पत्ति सतीश कुमार सत्संगी उम्र 80 वर्ष एवं रमा सत्संगी उम्र 78 वर्ष, जिनके बच्चे अपने-अपने परिवारों के साथ अन्य शहरों में रहते हैं, पिछले माह अप्रैल 2021 में कोरोेना से संक्रमित हो गये थे। सतीश कुमार  सत्संगी ने नवसत्ता के साथ अपने व अपनी पत्नी के कोरोना संक्रमित होने से ठीक होने तक की दास्तान को साझा करते हुए बताया, कि कैसे संक्रमण के दिनों को पारस्परिक सहयोग, आत्मबल और एक दूसरे को ढांढस बंधाते हुए सकारात्मकता से बिताये। जबकि उम्र के इस पड़ाव पर हम दम्पत्ति की देखभाल करने वाला कोई साथ में नहीं था, न तो बच्चे, न ही नौकर-चाकर, न ही जरूरत पड़ने पर कोई डाॅक्टर।
उन्होंने बताया, कि 16-17 अप्रैल के आस-पास मेरी पत्नी रमा  सत्संगी को हल्का बुखार आना शुरू हुआ था, जिसको हमने सामान्य ढंग से लिया, लेकिन चूंकि कोरोना संक्रमण का प्रसार चरम पर था, अतः हम सचेत भी थे। जब बुखार अगले दिन तक नहीं उतरा, तो 18 अप्रैल को मेरी पत्नी का कोविड टेस्ट हुआ, जिसमें वे पाॅज़िटिव आयीं, जिसके पश्चात् उनके रहने का बन्दोबस्त हमने घर के ही एक अलग कमरे में कर दिया। अगले दिन 19 अप्रैल को मुझे भी बुखार व खांसी की समस्या शुरू हो गयी, जोकि हम दोनों को एक साथ धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी। चूंकि मेरे और मेरी पत्नी के बीमारी के लक्षणों में समानता थी, इसलिए मैंने यह मान लिया, कि मैं भी कोरोना से संक्रमित हो चुका हूं और बिना कोविड टेस्ट कराये मैंने भी कोविड किट की दवाइयों का सेवन करना शुरू कर दिया। तभी 20 अप्रैल को हमें हमारे अति निकट रहे 3 व्यक्तियों की कोरोना से ही असमय मृत्यु की खबर मिली  जिससे हम दोनों वास्तव में काफी आहत हुए और घबरा गए थे और किसी तरह से एक दुसरे का साहारा बनकर और  ढांढस बंधा कर वो रात गुजारी थी जोकि वास्तव में सबसे ख़राब समय में से एक थी| पूरी रात हम दोनों ही एक अनजाने भय में थे लेकिंन आपस में ही प्रदर्शित नहीं कर रहे थे| अगले दिन से फिर से वही जद्दोजहद चालू हो गई जिसमे हम दोनों मिलकर घर का काम करते थे, खाना बनाते थे और एक दुसरे के साथ समय बिता कर सिर्फ और सिर्फ अच्छी बातो का स्मरण करते रहते थे ताकि हमारे घर का माहौल खुशनुमा बना रह सके और किसी भी प्रकार का तनाव हावी न हो|  मुझे हाइपरटेंशन, मधुमेह आदि सभी बीमारियाँ है यहाँ तक कि मेरे हार्ट में एक स्टंट भी पडा है पर सही मायने में हमने यही सोचा हुआ था कि हम हार नहीं मानेंगे, जीवन के अनेको उतार चढ़ाव को हमने साथ साथ पार किया है बच्चे सब अपनी दुनिया में खुश है और हम अपनी दुनिया में ही खुश रहेंगे और साथ रहेंगे| इसी तरह धीरे धीरे करके समय बीतता गया और लगभग दो हफ्ते बाद हम दोनों ने टेस्ट कराया तो हमारी नेगेटिव रिपोर्ट आई| इस पूरे समय में मेरे बच्चे अन्नू और आशु और उनका परिवार, मेरे भाइयों और उनके परिवार, नाती-पोतो और सभी स्वजनों ने पूरा हौसला बढाए रखा और जिससे जो संभव हो सकता था हमरे लिए करता था| हमने खाना बाहर से सिर्फ तीन दिनों तक ही मंगवाया उसके बाद फिर मिलजुल के घर में ही स्वयं खाने का इन्तेजाम करते थे, समय पर दवाईया लेते थे, हमारा ऑक्सीजन कभी भी 92 से कम नहीं हुआ| बस दोनों लोगो में कमजोरी बहुत आ गई है जोकि अभी भी है पर हम कोशिश कर रहे है कि एक दुसरे का हाँथ बटाते अपनी दिनचर्या को न छोड़े क्यूंकि इस समय और कोई तो हमारे पास कुछ भी करने वाला है नहीं| सावधानियां पहले भी बरतते थे अब भी बरत रहे है और दवाइयां वगैरह समय पर लेते है| पहले भी खुश रहते थे, इस बीमारी के दौरान भी खुश रहे, नकारात्मकता और दबाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और अब भी खुश है| मेरा आप सभी को यही सन्देश है कि यदि जज्बा जिन्दा है, आप सकारात्मक विचारधारा के है और आत्मबल के धनी है तो विश्वास कीजिये किसी भी प्रकार की बीमारी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है बाकी सब इश्वर के हाथ में है| समय पर दवाइयां लीजिये, नियमित स्वस्थ दिनचर्या अपनाइए और खुश रहिये|

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