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रंग और स्वाद के साथ औषधीय गुण भी चाहिए तो कच्ची हल्दी या कच्ची हल्दी पावडर का करें सेवन,आम हल्दी या हल्दी पावडर नहीं

वाराणसी,नवसत्ता:हल्दी भारतीय रसोई का प्रमुख अवयव है।भोजन मांसाहारी हो या शाकाहारी,हल्दी का इस्तेमाल प्रमुख रूप से सभी डिशेज़ में सामान्य रूप से होता है।आम तौर पर हल्दी खड़ी या पिसी दो स्वरूप में बाजार से खरीदी जा सकती है।भोजन के लिए यह हल्दी बेहतरीन कलर के साथ स्वाद भी देती है।लेकिन क्या आपको पता है कि हल्दी का औषधीय लाभ लेने के लिए इसका अनप्रोसेस्ड स्वरूप यानि कच्ची हल्दी ही कारगर है।कच्ची हल्दी सब्ज़ी मंडी में 30 से 40 रुपये किलो तक उपलब्ध है।इसके अलावा वाराणसी का स्टार्टअप ‘गृहस्थ फैमिली फार्मर’ कच्ची हल्दी पावडर भी उपलब्ध कराता है जिसे अमेज़न और स्नैपडील जैसे प्लेटफार्म के ज़रिये घर बैठे मंगाया जा सकता है।

तमाम औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी के फायदे शायद ही कोई ऐसा हो जो न जानता हो।अधिकांश लोग हल्दी को सब्जी व दाल में डालने के अलावा दूध में भी डाल कर पीते हैं।
तमाम रोगों के लिए दवाओं के साथ अक्सर डॉक्टर सलाह देते हैं कि दूध में हल्दी मिलाकर पियें।एंटीसेप्टिक गुण के कारण इसे घाव पर भी लगाने की सलाह दी जाती है।
घरों में उपलब्ध हल्दी पावडर का हम दी गई सलाह के बाद इस्तेमाल करते हैं जिसका कोई परिणाम नही मिलता। इसका कारण यही है कि यह सारे लाभ तभी मिलेंगे जब कच्ची हल्दी का इस्तेमाल किया गया हो।
गाजीपुर में आर्गेनिक व औषधीय खेती करने वाले वैद्य रंगबहादुर सिंह के अनुसार दरअसल हल्दी के सही इस्तेमाल की विधि हम में से बहुत कम लोग ही जानते हैं।यही कारण है कि अनजान होने के चलते हल्दी का औषधीय लाभ नही ले पाते।
बाजार मे जो हल्दी खड़ी या पाउडर के रूप में मिलती है वो मसाले के रूप में भोजन के रंग व स्वाद के लिए तो ठीक है लेकिन आप चाहें कि वो आपको स्वास्थ लाभ भी देगा तो यह आपकी भूल है। इसका कारण है बाजार में उपलब्ध हल्दी को बनाये जाने की प्रक्रिया।
दरअसल हम जो हल्दी इस्तेमाल कर रहे हैं वो पकी हुई हल्दी है।हल्दी जब खेत में मिट्टी से निकलती है तब हूबहू अदरक जैसी होती है।इस हल्दी को पानी मे खूब पकाया जाता है जिससे,इसके ऊपर का छिलका और नरम लेयर निकल जाती है।खूब पकाने के बाद अंत मे बचता है अंदर का कड़ा गांठ जिसे कड़ी धूप में सुखाया जाता है। इसी प्रक्रिया के बाद खड़ी हल्दी तैयार होती है। इसी खड़ी हल्दी को पीसकर पाउडर बनाया जाता है जो बाजार में कई ब्रांड नेम से उपलब्ध कराया जाता है।
वैद्य रंगबहादुर सिंह के अनुसार आप इस प्रक्रिया पर गौर करें,जब हल्दी को पकाया जाता है तो पानी खौलते खौलते भाप बनकर उड़ता रहता है।यही भाप हल्दी के औषधीय गुणों को भी अपने साथ उड़ा ले जाता है।इस तरह पकने की प्रक्रिया में हल्दी के तमाम गुण वाष्पीकृत होकर समाप्त हो जाते है।यही कारण है कि इस प्रक्रिया से तैयार हल्दी एक पीले रंग के हर्बल पाउडर से अधिक कुछ नही रह जाती। इसलिए अगर हल्दी के औषधीय लाभ लेना हो तो कच्ची हल्दी ही इस्तेमाल करें।
कच्ची हल्दी का पावडर आमतौर पर बाजार में नहीं मिलता है।दरअसल कच्ची हल्दी पावडर बनाने के लिए इसे बिना पकाए सादे पानी से धोकर स्लाइस के तौर पर काट कर फिर छांव में सुखाया जाता है।कई दिन के बाद छांव में सूखी यह हल्दी पीस ली जाती है जिसे कच्ची हल्दी पावडर कहा जाता है।इस प्रक्रिया से बनी हल्दी के औषधीय गुण बरकरार रहते हैं।चूंकि यह प्रक्रिया लंबी है और प्रोडक्शन कास्ट ज़्यादा आती है इसलिए कंपनियां यह उत्पाद नहीं बेचती हैं। वाराणसी का स्टार्टअप ‘गृहस्थ’ कच्ची हल्दी पावडर बनाने के साथ ही कच्ची हल्दी अचार भी बनाता है।
कच्ची हल्दी के इस इन दोनों प्रोडक्ट की शुरुआत भी खासी दिलचस्प है।’गृहस्थ’ को शुरू करने वाली डॉ दीप्ति के अनुसार,हमने जब नेचुरल व आर्गेनिक खेती के उत्पाद को बाजार देने का कार्य 2016 में शुरू किया तभी गाँव मे देखा कि कई किसान कच्ची हल्दी को ही रखे रहते हैं। इसी कच्ची हल्दी को सब्जी मसाले में इस्तेमाल करते है, हमने जब उनसे पूछा कि कच्ची हल्दी का इस्तेमाल आप लोग क्यों करते हैं,तो उन्होंने इस हल्दी की खासियत बताई।बाद में हमने हमने आयुर्वेद के चिकित्सकों से सलाह लिया तो उन्होंने ग्रामीणों की बात पर उन्होंने मुहर लगाई।वैद्य ने ही हमें बताया कि यदि कच्ची हल्दी का इस्तेमाल करें तो उनके फायदे पकी हल्दी की अपेक्षा अधिक होंगे। डॉक्टर दीप्ति कहती हैं,वहीं से हमे आइडिया आया और शोध के बाद हमने 2018 से कच्ची हल्दी का ही पाउडर बनाने व उसको बाजार देने का काम शुरू किया।वह कहती हैं इसके बहुत सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।
डॉ दीप्ति ने बताया कि पिछले वर्ष कोविड-19 पेंडमिक की शुरुआत से कच्ची हल्दी की मांग बढ़ी है। कोरोनाकाल में हमें अपना उत्पादन दूना करना पड़ा है। इस साल कोविड-19 की दूसरी लहर में कच्ची हल्दी का पाउडर लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है। डॉक्टर दीप्ति बताती हैं कि शोधों से यह भी स्थापित हुआ है कि कच्ची हल्दी का सेवन इम्युनिटी को बढ़ाता है। वह कहती हैं  हर जगह कच्ची हल्दी सुलभ न होने के कारण गृहस्थ के कच्ची हल्दी के पाउडर की मांग काफी रही।गृहस्थ का यह हल्दी पाउडर गृहस्थ के एप्प के अलावा अमेजन व स्नैपडील पर भी उपलब्ध है।हाल के दिनों में लॉकडाउन के चलते ई-कॉमर्स के इन प्लेटफार्म के ज़रिए खरीददार बढ़े हैं।

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