Navsatta
क्षेत्रीय

यह बीजेपी नेताओं का दोहरा चरित्र है या फिर मजबूरी समझना है जरूरी

पंकज कुमार
रायबरेली, नवसत्ता: कोरोना संकट में फैली अव्यवस्था के बीच सोशल मीडिया पर आम जनता का आक्रोश फूट फूट कर झलक रहा है शायद वही आक्रोश भारतीय जनता पार्टी के आम कार्यकर्ताओं के अंदर भी है नेताओं के अंदर भले ही ना हो क्योंकि वह सत्ता सुख भोग रहे हैं बीजेपी नेताओं का दोहरा चरित्र से कहेंगे या फिर मजबूरी बीजेपी नेताओं को अब अपने ही प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ धरना देना पड़ रहा है।
कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद जिस तरह से रायबरेली में भी ऑक्सीजन की कमी देखने को मिली और ऑक्सीजन के अभाव में कई मरीजों ने दम तोड़ दिया । ऑक्सीजन की कमी तो पूरे देश में है लेकिन रायबरेली में जिस तरह से व्यवस्थाएं भरी पड़ी हैं उससे आम जनमानस में आक्रोश है बीजेपी के कुछ नेता भी आक्रोशित हैं लेकिन जो सत्ता की प्लेट में प्रशासनिक लाभ की मलाई चाट रहे हैं वो मौन हैं जिलाध्यक्ष रामदेव पाल कह रहे हैं कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है उन्होंने खुद कई मरीजों को घर में ऑक्सीजन पहुंचाया है वही उसी दिन उनके ही एक नेता विजय बाजपेई डीएम आवास के बाहर धरने पर बैठ गए हैं उनका कहना है कि जिस तरह से जिले में ऑक्सीजन की कमी है वह आक्रोशित हैं और दुखी हैं।
आज तीन बातें देखने को मिली जिससे यह विरोधाभास साफ जाहिर होता है कि किस तरह से भाजपा के जो नेता अपने को आम आदमी से जुड़ा पाते हैं वह दुखी हैं और जो सत्ता के ऊंचे पद पर बैठ गए हैं वह चालाकी से खुद को बचा रहे हैं जिला अध्यक्ष एक तरफ तो फोन पर लोगों की मदद करने और ऑक्सीजन पहुंचाने का दावा कर रहे हैं लेकिन शायद उन्हें यह नहीं मालूम कि सीडीओ ने घर में आक्सीजन देने के लिए रोक लगा रखी।
एक तरफ तो अपने बयान में जिलाध्यक्ष रामदेव पाल घर में कई लोगों को ऑक्सीजन पहुंचाने का दावा करते हैं दूसरी ओर भगवत किशोर नाम के कार्यकर्ता ने जब उनको फोन किया तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि घर में ऑक्सीजन नहीं दी जा सकती है जबकि जिला अस्पताल में मरीज को बेड नहीं मिला।
फिलहाल जिस तरह से अव्यवस्था फैली थी ना तो बीजेपी का कोई विधायक निकला और ना ही संगठन के किसी नेता ने जमीन में उतर कर हकीकत जानने का प्रयास नहीं किया। जनता चिल्लाती रही और सोशल मीडिया में अपना आक्रोश बताती रहे ।
यह पहली बार हुआ है कि सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को प्रशासनिक अव्यवस्था के खिलाफ धरना देना पड़ा हो रायबरेली में इस धरने की परंपरा को सत्ताधारी पार्टी भाजपा के नेताओं ने कई बार निभाया है फिर भी जिले के बड़े भाजपा नेताओं के संरक्षण में पल रहे प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारियों के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता है छोटे कार्यकर्ता भले ही सत्ता से जुड़े हो लेकिन उनके धरने का उनके विरोध का और उनकी मांग का कोई फर्क भाजपा के बड़े नेताओं के ऊपर नहीं पड़ता है।

संबंधित पोस्ट

राष्ट्रीय सचिव अखिलेश कटियार ने परिवर्तन रैली को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना

navsatta

बैडमिंटन में प्रमोद भगत ने रचा इतिहास, भारत को मिला चौथा गोल्ड

navsatta

मकान बनवाने के नाम पर रिश्वत लेते लेखपाल का वीडियो वायरल

navsatta

Leave a Comment