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बाहुबली धनंजय सिंह को विधायक ने बताया था उत्तर भारत का सबसे बड़ा डॉन,कोर्ट से जमानत पर रिहा

संवाददाता
लखनऊ,नवसत्ता । जौनपुर के बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह को आज जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया। उनकी पत्नी बसपा के टिकट पर जौनपुर से चुनाव लड़ रही हैं। धनंजय की रिहाई के बाद जौनपुर का चुनाव खासा दिलचस्प हो गया है। कुछ दिन पूर्व ही भाजपा समर्थक विधायक ने धनंजय को उत्तर भारत का सबसे बड़ा डॉन बताया था।

प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण और रंगदारी मामले में जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई है। उन्हें गत शनिवार को ही जौनपुर से बरेली जेल भेजा गया था। इस बीच सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धनंजय की जमानत मंजूर कर ली है। और आज वे जेल से रिहा होकर अपनी पत्नी बसपा की प्रत्याशी श्रीकला रेड्डी को चुनाव लड़ाने जौनपुर पहंुच गये। श्रीकला रेड्डी ने गत शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर धनंजय सिंह के हत्या की आशंका जताई थी। उन्होंने कहा था मेरे पति पर हमला कराया जा सकता है।

बाहुबली धनंजय सिंह का आपराधिक इतिहास

1990 में हाईस्कूल में पढ़ने के दौरान जौनपुर में एक पूर्व शिक्षक की हत्या में पहली बार धनंजय सिंह का नाम आया था। हालांकि पुलिस इस मामले में आरोप साबित नहीं कर पाई। यहीं से उन पर आपराधिक मामलों से जुड़े आरोप लगने शुरू हुए। 1992 में जौनपुर के तिलकधारी सिंह इंटर कॉलेज से बोर्ड की परीक्षा दे रहे धनंजय सिंह पर एक युवक की हत्या का आरोप लगा और परीक्षा के अंतिम तीन पेपर धनंजय सिंह ने पुलिस हिरासत में दिए।
इंटर करने के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी में स्नातक में प्रवेश के साथ ही छात्र राजनीति और सरकारी विभागों के टेंडर में वर्चस्व की होड़ में धनंजय सिंह का नाम कई गंभीर आपराधिक मामलों में जुड़ा। स्नातक पूरा करने के साथ-साथ हत्या की साजिश और प्रयास, लूट जैसे गंभीर मामलों से जुड़े आधा दर्जन मुकदमे लखनऊ के हसनगंज थाने में दर्ज हो गए।

पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया

अपराध जगत में धनंजय सिंह का नाम तब तेजी से उभरा, जब 1997 में बसपा नेता मायावती के शासनकाल में बन रहे अंबेडकर पार्क से जुड़े लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर गोपाल शरण श्रीवास्तव की ठेकेदारी के विवाद में हत्या कर दी गई। इस मामले में धनंजय सिंह पर आरोप लगा और वह फरार हो गए। सरकार ने उन पर 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया।

दो साल बाद 1999 में धनंजय सिंह ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया, लेकिन इस दौरान उनका नाम 1997 में राजधानी के चर्चित लॉ मार्टिनियर कॉलेज के असिस्टेंट वॉर्डन फ्रेड्रिक गोम्स हत्याकांड और हसनगंज थाना क्षेत्र में हुए संतोष सिंह हत्याकांड में भी जुड़ा। उन पर लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नेता अनिल सिंह वीरू की हत्या की कोशिश जैसे आरोप भी लगे।

जब पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया

कोर्ट में आत्मसमर्पण के बाद भी इंजीनियर हत्याकांड मामले में पुख्ता साक्ष्य न होने की वजह से धनंजय सिंह बरी हो गए। पुलिस ने इस हत्या के बाद फरार धनंजय और उनके तीन साथियों को 1998 में भदोही में एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था। बाद में खुलासा हुआ कि मारे गए चारों युवक निर्दोष थे। इस प्रकरण में 22 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ, जो अब भी जिला सत्र न्यायालय में लंबित है।

विधायक अभय सिंह ने बताया उत्तर भारत का सबसे बड़ा डॉन

भाजपा समर्थक अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से विधायक अभय सिंह ने दो दिन पूर्व धनंजय सिंह को उत्तर भारत का सबसे बड़ा डॉन बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि धनंजय सिंह की वजह से ही लॉरेंस बिश्नोई ने उनपर हमला कराया था। बीते माह ही सरकार की ओर से अभय सिंह को वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है।
अभय सिंह का कहना है कि धनंजय सिंह के खिलाफ 2018 में हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी। जिसमें कहा था ऐसे व्यक्ति का जेल से बाहर रहना ठीक नहीं है। धनंजय को किसी तरह का खतरा नहीं है, बल्कि उससे लोगों को खतरा है।
अभय सिंह ने कहा कि धनंजय सिंह लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि लॉरेंस ने एनआईए की पूछताछ में इस बात की पुष्टि भी की है। उन्होंने कहा कि लॉरेंस बिश्नोई ने कबूला है कि धनंजय सिंह उत्तर भारत में उसके लिए वसूली और रंगदारी का काम करता है।

धनंजय का राजनीतिक सफर

धनंजय सिंह ने पहली बार 2002 में रारी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता। इसके बाद 2007 में उन्हें जेडीयू से टिकट मिला और वह विधानसभा पहुंचे, लेकिन 2008 में धनंजय सिंह जेडीयू छोड़कर बसपा में शामिल हो गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें जौनपुर से टिकट दिया और पहली बार धनंजय सिंह सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन बसपा से उनके संबंध ज्यादा समय तक नहीं चले। मायावती ने 2011 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाकर बाहर कर दिया। इसके बाद से धनंजय सिंह नेपथ्य में थे। इस बार जौनपुर सीट से धनंजय जेडीयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में हैं, लेकिन भाजपा ने जौनपुर सीट अपने खाते में ही रखी।

भाजपा ने इस सीट पर महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा की जीत की राह में धंनजय रोड़ा बनेंगे। इंडिया गठबंधन से वहां बाबू सिंह कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं। लड़ाई धनंजय की पत्नी और बाबू सिंह कुशवाहा के बीच ही मानी जा रही है। ऐसे में धनंजय के जेल से रिहा होने के बाद किसका पलड़ा भारी रहेगा यह 4 जून को ही पता चलेगा।

काफी उथल-पुथल भरा निजी जीवन

बाहुबली धंनजय सिंह जौनपुर के सिकरारा थाना क्षेत्र के बंसफा गांव के निवासी हैं। इनकी पत्नी श्रीकला सिंह वर्तमान में जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। धनंजय सिंह का निजी जीवन भी काफी उथल-पुथल भरा रहा। उन्होंने तीन शादियां कीं। उनकी पहली पत्नी ने शादी के नौ महीने बाद ही आत्महत्या कर ली थी। दूसरी पत्नी डॉ जागृति सिंह घरेलू नौकरानी की हत्या के आरोप में नवंबर 2013 में गिरफ्तार हुई थीं। इस मामले में सबूत मिटाने के आरोप में धनंजय सिंह भी नामजद हुए थे। हालांकि बाद में जागृति से उनका तलाक हो गया। 2017 में धनंजय सिंह ने दक्षिण भारत के एक बड़े कारोबारी परिवार निप्पो बैटरी से ताल्लुक रखने वालीं श्रीकला रेड्डी से तीसरी शादी रचाई। उनके पिता के जितेंदर रेड्डी 1969 में में तेलंगाना की कोदद सीट से विधायक रह चुके हैं। जबकि मां सरपंच हैं। श्रीकला की सम्पत्ति 700 करोड़ से अधिक है।

 

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