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दक्षिण भारत तय करेगा 400 के पार का नारा, चमत्कार से ही होगा भाजपा का सपना साकार?

भाजपा का दक्षिण विजय अभियान

ए के पाण्डेय
हैदराबाद,नवसत्ता। भारतीय जनता पार्टी अबकी बार 400 पार के उद्घोष के साथ लोकसभा चुनाव में ताल ठोंक रही है। गर्जना कर रही है कि विपक्ष में दम हो तो विपक्ष सामने आए। पर क्या ये सच लग रहा है कि बीजेपी 370 की सीमा रेखा पार कर पाएगी और एनडीए के साथ मिलकर 400 सीटों पर अपनी विजय पताका लहरा पाएगी। वैसे तो असंभव कुछ भी नहीं है, मगर राजनीति की भी अपनी सीमा होती है। तरह-तरह के समीकरण होते हैं। इफ और बट होते हैं। ऐसे में 129 संसदीय सीट वाले साउथ इंडिया में बीजेपी कितने पर भगवा लहराएगी।

आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो दक्षिण भारत में लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं। इनमें से भारतीय जनता पार्टी ने पिछली बार 29 सीटें जीती थीं। अबकी बार 400 पार करने के लिए भाजपा को पहले उन जीती हुई 29 सीटों को बचाना है। उसके बाद विपक्ष दलों सांसदों की संख्या को 100 से नीचे गिराने है। इसके लिए बीजेपी साम-दाम-दंड और भेद के फॉर्मुले को लेकर जबर्दस्त प्रचार कर रही है। पार्टी की छोड़िए उनकी गारंटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल के 80 दिनों में 23 दिन दक्षिण भारत में गुजारे हैं। कलकुलेट करेंगे तो ये पाएंगे कि हर चैथा दिन पीएम मोदी का दक्षिण भारत में गुजरा है। बात संसद भवन में सेंगोल की हो, तमिल संगम की हो, प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी धार को चमकदार बनाने के लिए अच्छा निवेश किया है। ऐसे में विश्लेषक और मीडिया का बड़ा वर्ग भी ये उम्मीद बांध चुका है, कि बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ मिलकर विपक्ष के मुकाबले में खड़ा हो जाएगा। ऐसा चमत्कार हुआ तो बीजेपी भी साउथ की 50-60 सीटें जीत सकती है।

अब दक्षिण के राज्यों की गणित पर नजर दौड़ाते हैं। तमिलनाडु में 39 सीटें हैं। यहां बीजेपी ने छह दलों से गठबंधन कर चुनावी बिसात बिछा दी है। बीजेपी, तमिलनाडु में 23 सीटों पर खुद लोकसभा चुनाव लड़ रही है। बीजेपी ने पूर्व गवर्नर तमिल साई, केंद्रीय मंत्री मुरुगन को कैंडिडेट बनाया है। तमिनाडु प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई जैसे दिग्गजों को पार्टी ने चुनावी रण में उतारा है। वहीं गुजरात की तर्ज पर कोयंबटूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किए रोड शो में भीड़ उमड़ी थी। इसे देखकर बीजेपी के हौसले बुलंद हैं। उसे लगने लगा है कि अबकी बार बीजेपी 400 पार के नारे साउथ साकार बनाएगा। मगर 39 सीटों वाले तमिलनाडु में जनता का साथ ना मिला तो आप ही सोचिए कि बीजेपी का सपना कैसे साकार होगा?

तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की राह आसान नहीं है। फिर भी प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु पर बहुत जोर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के साल 2024 का आगाज ही दक्षिण भारतीय राज्यों के दौरे से शुरू हुआ। अभी हाल ही में मोदी ने पांच दिन के दक्षिण भारत दौरे पर थे। इस दौरे में तमिलनाड के कोयंबटूर में मोदी का रोड शो हुआ। यहां पीएम मोदी ने हिंदू धर्म का सवाल उठाकर कांग्रेस और डीएमके को घेरने की कोशिश की। गौर करें तो तमिलनाडु की राजनीति बीते पांच दशक से डीएमके और एआईएडीएमके दो दलों की धुरी पर नाचती आ रही है।

अब समझिए तमिलनाडु में बीजेपी का गेम

गौर करें तो पीएम नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु की द्विपक्षीय राजनीति में एक तीसरा पक्ष खड़ा करने की कोशिश की है। इसकी खातिर बीजेपी ने तमिलनाडु में 6 दलों से गठबंधन किया है। इनमें सबसे अहम पीएमके नेता अंबुमणि रामदास हैं। इसके अलावा बीजेपी ने तमिल मनिला कांग्रेस और दिनाकरण की अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (एएमएमके) के साथ भी गठजोड़ किया है। बीजेपी यहां एनडीए के कोटे की 39 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पीएमके 10 सीटों पर जोर आजमाएगी। एमएमके दो सीटों पर दमखम दिखाएगी। बाकी दलों के लिए 4 सीटें छोड़ी गईं हैं।

बता दें कि पीएमके का वन्नियार समुदाय पर खासा प्रभुत्व है, जिसकी आबादी 6 फीसद है। पीएमके का उत्तरी तमिलनाडु में खासा प्रभाव है। पीएमके को बीते विधानसभा चुनाव में 3.8 फीसदी वोट हासिल हुए थे। साथ ही उनको 5 सीटें मिली थीं। साल 2014 में रामदास ने बीजेपी से गठबंधन कर धर्मपुरी सीट से लोकसभा का चुनाव जीता था।

तमिलनाडु में बीजेपी का वोट के साथ सीट बढ़ाने पर जोर

बता दें कि साल 2014 में बीजेपी ने तमिलनाड में 5.5 प्रतिशत वोटों के साथ एक संसदीय सीट जीती थी। वर्ष 2019 में बीजेपी का वोट परसेंटेड घटकर 3.66 प्रतिशत हो गया था। साथ ही इस बार कोई सीट भी नहीं मिली। अब दक्षिण विजय करने के लिए तमिलनाडु को क्रेक करना बीजेपी के लिए बहुत जरूरी हो गया है। इसके लिए बीजेपी की प्रदेश इकाई भी लगातार आक्रामक प्रचार कर रही है। उनकी सभाओं में अच्छी-खासी भीड़ जुट रही है। इतना ही नहीं पिछले साल बीजेपी ने एआईएडीएमके अपना गठबंधन तोड़ लिया था। और एआईएडीएमके के कई नेताओं को अपने दल में शामिल कर लिया था।

कर्नाटक में बीजेपी का घटना संभव, बढ़ना मुश्किल

 


दक्षिण भारत में कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य है, जहां पर बीजेपी की सरकार थी। उनका अपना मुख्यमंत्री था। साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़कर 28 में से 25 सीटें जीती थी। इस बार जेडीएस से गठजोड़ किया है। खुद 25 सीटों पर लड़ रही है। बाकी बची तीन सीटों पर पूर्व पीएम देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस के प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

आंध्र प्रदेश में बीजेपी, टीडीपी और जनसेना की तिकड़ी मैदान में


बीजेपी ने एक बड़ा गठबंधन आंध्र प्रदेश में भी किया है। पिछली बार 2019 के चुनाव में शून्य पर सिमटी बीजेपी इस बार आंध्र प्रदेश में पुराने पार्टनर टीडीपी के साथ नई उम्मीदों के रथ पर सवार जीत का ताना-बाना बुन रही है। बीजेपी ने आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेलगु देशम पार्टी और अभिनेता पवन कल्याण की जनसेना पार्टी के साथ चुनावी रण में है। आंध्र प्रदेश की लोकसभा की 25 सीटों में से टीडीपी 17, बीजेपी 6 और जनसेना पार्टी 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। देखने वाली बात ये है कि वहां विधानसभा के चुनाव भी साथ ही हो रहे हैं। विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत टीडीपी 144 सीटों पर लड़ रही है। बीजेपी 10 सीटों पर जोर लगा रही है। और जनसेना 21 सीटों पर अपने प्रत्याशी लड़ा रही है। जान लें कि आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस की सरकार है। जगन मोहन रेड्डी सीएम हैं। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जगन मोहन की पार्टी ने अधिकतर सीटों पर कब्जा जमाया था। विश्लेषक तो ये भी मानते हैं कि यहां कांग्रेस के साथ त्रिकोणीय लड़ाई में वाईएसआर का पलड़ा भारी हैं। ऐसे में बीजेपी और उसका गठजोड़ 400 पार के सपने को कैसे साकार करेगा। ये देखने वाली बात होगी।

तेलंगाना में बीजेपी के रथ को रोकेगी कांग्रेस और बीआरएस


तेलंगाना में बीजेपी अकेले ही लड़ रही है। पिछली बार इसे 17 में से 4 सीटें मिली थीं। बीजेपी दावा कर रही है कि इस बार वो डबल डिजिट में पहुँच जाएगी। लेकिन भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल हैं। यहां हाल ही में असेंबली चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी है। केसीआर के नेतृत्व वाले बीआरएस को करारी हार मिली थी। इस तरह से देखा जाए तो यहां कांग्रेस सत्ता में है। अपने वायदे को पूरा कर रही है। ऐसे में उसको फायदा मिलेगा। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी चुनाव में अपना दम दिखाएंगे। यहां भी सवाल खड़ा हो रहा कि 400 पार के नारे में बीजेपी कितनी सीट बटोर पाती है।

केरल में बड़े चेहरे उतारे, फिर भी चमत्कार की उम्मीद कम


बात केरल की करें तो यहां बीजेपी की स्थिति मजबूत नहीं है। हालाँकि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 10 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। लेकिन एक भी सीट नहीं मिली थी। इस बार प्रधानमंत्री मोदी सीना ठोंककर कह रहे हैं कि दहाई में सीटें जीतेंगे। इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप जाने से पहले केरल भी गए थे। उसके बाद भी कई बार केरल जाते रहे। बीजेपी यहां से सीटें तो जरूर जीतेगी, मगर कितनी? ये कह पाना मुश्किल है।

फिर एक ही सवाल बीजेपी के 400 के पार का नारा क्या नारा साबित होगा या फिर इतिहास बनेगा। लोकतंत्र में जनता जनार्दन ही सबकुछ है। वो कई बार उम्मीदों पर पानी फेरती है। कई बार मुरझाए हुए चेहरे को खिला देती है। सात चरणों में लोकसभा का चुनाव है। 19 अप्रैल को शुरू होगा और एक जून को अंतिम फेज का मतदान होगा। रिजल्ट एक ही साथ 4 जून को आएगा।

 

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