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महंत अवैद्यनाथ जी के नारे ने आंदोलन में फूंके प्राण

श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ ,नवसत्ता :- आज जब पूरा देश अयोध्या में अपने आराध्य भगवान श्री राम के मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आल्हादित हो रहा है। वहीं इसे लेकर गोरखधाम मंदिर के पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी को भी याद कर रहा है जिनके नारे ‘‘याचना नहीं अब रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा’’ ने मंदिर आंदोलन में जान फूंकने के साथ ही राममंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में महंत अवैद्यनाथ जी ने सांसद रहते इस आंदोलन का नेतृत्व करने मेें अपनी भूमिका बखूबी निर्वहन किया। महंत अवैद्यनाथ जी के नेतृत्व में ही राममंदिर निर्माण के संकल्प के साथ ही अयोध्या के सरयू तट से शुरू हुई एक धर्मयात्रा सत्ता के केन्द्र लखनऊ तक पहुंची थी। पीठाधीश्वर के साथ ही एक सांसद के तौर पर महंत अवैद्यनाथ जी ने धर्म की आध्यात्मिक साधना के साथ ही हिन्दू जनजागरण को आगे बढ़ाने तथा अयोध्या आंदोलन में अपनी महती भूमिका निभाई।

महंत अवैद्यनाथ जी के नेतृत्व में राममंदिर निर्माण के संकल्प के साथ ही अयोध्या के सरयू तट से शुरू हुई एक धर्म यात्रा बढ़ती चली गयी। समाज में अष्पृश्यता और ऊंच-नीच की भावनाओं के खिलाफ महंत अवैद्यनाथ जी ने बड़ा आंदोलन खड़ा करने के साथ ही पूरे हिन्दू समाज को एकजुट करके राममंदिर के लिए लड़ाई लड़ी। 21 जुलाई 1984 को अयोध्या वाल्मीकि भवन में महंत अवैद्यनाथ जी की देखरेख में श्री राममंदिर आंदोलन की पूर्वी उत्तर प्रदेश से बही हवा पूरे प्रदेश में होते हुए दूसरे राज्यों में भी पहुंची थी। वाल्मीकि भवन में श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ-समिति के गठन के दौरान सर्वसम्मति से पूज्य महन्त जी को अध्यक्ष चुना गया। तब से आजीवन श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज अध्यक्ष रहे।

उनके ही नेतृत्व में एक विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन 22 सितम्बर 1989 को नई दिल्ली के वोट क्लब में किया गया। जहां पर इस बात का फैसला हुआ कि अयोध्या के रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए 9 नवम्बर 1989 को शिलान्यास किया जाएगा। इसी साल जब लोकसभा के चुनाव हुए तो एक प्रत्याशी के तौर राममंदिर निर्माण को लेकर जनसभाओं में महंत अवैद्यनाथ जी हिन्दुत्व की अलख जगाते रहे। साधु-संतों और रामभक्तों के दबाव के आगे झुकते हुए केंद्र सरकार ने बाबरी ढांचे के नजदीक राम मंदिर के शिलान्यास की मंजूरी दे दी। पहली बार 21 नवम्बर 1990 को महंत अवैद्यनाथ ने रोष में आकर मंच से कहा कि याचना नहीं अब रण होगा संघर्ष बड़ा भीषण होगा।

लोकसभा चुनाव में श्री रामजन्म भूमि और रोटी को महंत अवैद्यनाथ ने अपना मुद्दा बताया। 29 जुलाई 1992 को महंत अवैद्यनाथ जी ने लोकसभा में कहा कि पूर्वाग्रह की वजह से रामजन्म भूमि का मुद्दा हल नहीं हो पा रहा है। वह नरसिम्हा राव सरकार को बराबर चेतावनी देते रहे। जब 30 अक्टूबर 1992 को नई दिल्ली में पांचवी बार धर्म संसद का आयोजन किया गया तो उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस सरकार को चेताते हुए तीन महीने का समय दिया पर केन्द्र सरकार के न चेतने का परिणाम यह रहा कि 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचे का विध्वंस हो गया।

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