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गेंदे की नर्सरी डालने का सही समय गेहूं -धान की तुलना में होगा 2 से 3 गुना फायदा

लखनऊ, नवसत्ताः  सजावटी फसलों की खेती में गेंदा एक बहुउपयोगी सजावटी फूल फसल है, और इस फसल के द्वारा किसानों को अधिक आमदनी भी होती है।  प्रमुख रूप से  गेंदा पूरे वर्ष भर उगाया जा सकता है, भूमि का पीएच 6 से 7 के बीच में हो तो इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।  यह अपने औषधिय गुणों से भरपूर है साथ में आवारा मवेशी भी इसे नुकसान नहीं पहुंचाते।

प्रमुख रूप से गेंदे की 2 प्रजातियां होती हैं जिसमें अफ्रीकन गेंदा और फ्रेंच गेंदा की खेती किसान करते हैं अफ्रीकन गेंदा के पौधे लंबे लगभग 80 से 90 सेंटीमीटर और फ्रेंच गेंदा के पौधे 40 से 50 सेंटीमीटर के होते हैं। अफ्रीकन गेंदे में पूसा नारंगी, पूसा बसंती, गोल्डन जुबली, हनी कॉम्ब अच्छी प्रजातियां हैं, फ्रेंच गेंदे में दो प्रमुख रूप से हारमनी, गोल्डी, कोष्टा, रस्टी रेड प्रमुख प्रजातियां हैं।

जहां पर गेहूं और धान की फसल से किसानों की आमदनी नहीं बढ़ रही है, वहीं पर फूलों में गेंदा की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है। चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रमुख रूप से 1 एकड़ गेंदा में 2 से ₹ 3 लाख की आमदनी हो जाती है, वहीं पर इसमें खर्चा बहुत कम आता है। गेंदा की फसल में प्रमुख रूप से सर्दियों में झुलसा रोग की अधिक समस्या रहती है। ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि अपनी फसल को बचाने के लिए फफूंदी नाशक कार्बेंडाजिम अथवा डाईथेन एम- 45 की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव कर दें तो इस बीमारी से फसल बच जाती है।

जनवरी माह में प्रमुख रूप से गेंदे में मांहू कीट की समस्या देखने को अधिक मिलती है मांहू गेंदे की पंखुड़ियों के नीचे बैठकर रस को चूस लेते हैं जिससे फूल की गुणवत्ता समाप्त हो जाती है फूल सूख जाते है, ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि 0.5 एम एल इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक को 1 लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर के छिड़काव करें तो इस समस्या से बचा जा सकता है।

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