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Mother’s Day Special: मां वो जन्नत है, जो मन्नतों में मांग कर भी नहीं मिलती

लखनऊ, नवसत्ताः  मां के सम्मान में हर साल मदर्स डे मनाया जाता है और आज का दिन पूरी तरह से मां को समर्पित होता है। वैसे अगर हम मां को चाहे हर दिन समर्पित कर दे फिर भी वह मां प्यार के आगे कम ही रहेगा। दुनिया में एक मां की जगह कभी कोई नहीं ले सकता है। एक मां जो हमें इस दुनिया में लाती है, और बच्चपन से लेकर बड़े होने तक हमारी सभी छोटी, बड़ी चीजों का ध्यान रखती है, यहां तकी जिन बातों को कभी- कभी हम नहीं कह पाते मां उनको भी समझ जाती है।

“कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती, 
सब कुछ मिल जाता है पर माँ नहीं मिलती..”

वैसे तो हर कोई प्यार देख कर करता हैं, लेकिन एक मां ही ऐसी होती है जो अपने बच्चे को बिना देखे ही प्यार करने लगती है। मां-बच्चे का रिश्ता इस दुनिया में सबसे खूबसूरत और अनमोल है। बच्चा दर्द में होता है, तो मां को भी तकलीफ होती है, वो मुस्कुराता है तो मां भी खुश हो जाती है। इसलिए, मां के प्यार, त्याग, समर्पण को दो शब्दों में बताना आसान नहीं है।

साथ ही मेरा यह भी कहना है कि मदर्स डे केवल अपनी माँ के साथ अपने रिश्ते का जश्न मनाने के बारे में नहीं है। ब्लकि यह आपके जीवनसाथी की मां के साथ भी मनाने का एक अच्छा मौका है, इस बात से इनकार नहीं है कि आपकी सास के साथ रिश्ता खास हो सकता है। क्योंकि उसने उस व्यक्ति का पालन-पोषण किया, जिसके साथ आप अपना जीवन बिता रहे हैं, और जब एक मां अपने दो बच्चों से बिना बराबर प्यार कर सकती तो बच्चे भी अपनी दोनों मां से प्यार कर सकते है। तो इस मदर्स डे अपनी दोनों मां के साथ मिलकर मनाये मदर्स डे।

माँग लूँ यह दुआ कि फिर यही जहाँ मिले,
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले।

प्रतिवर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मातृत्व दिवस या मदर्स डे मनाते हैं। इस वर्ष मदर्स डे 14 मई 2023 यानी आज मनाया जा रहा है। हर साल मदर डे पूरी दुनिया में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। ये दिवस हर वर्ष मई महीने के दूसरे हफ्ते के रविवार को मनाया जाता है इस साल  Mother Day 14 मई 2023 Sunday को मनाया जा रहा है। आज का  दिन हर माँ के लिए बहुत खास होता है। आज के दिन बच्चे अपनी मां को पूरे साल या हमेशा से  प्यार करने के लिए धन्यावाद देते है और आज के दिन मां के लिए कुछ खास करके उनको खुश करते है।

लेकिन क्या आपने सोचा कि इस दिन की शुरुआत कैसे, और क्यों हुई?

कई वर्षों से मनाया जाने वाला भारत में मदर्स डे एक यूनानी त्योहार है, जिसकी की शुरुआत 20 वीं शताब्दी में एक अमेरिकी व्यक्ति एना जार्विस ने की थी, जो संयोग से कभी मां नहीं बन पाई। 1864 में जन्मी, वह 12 साल की थी, जब उसने अपनी मां एन मैरी जार्विस को प्रार्थना करते हुए सुना की उसे उम्मीद है कि जीवन के हर क्षेत्र में मानवता की सेवा करने वाली माताओं को पहचानने के लिए कोई न कोई स्मरण दिवस शुरू करेगी। वह उस प्रार्थना को नहीं भूली। एन मैरी की प्रार्थना मातृत्व के बारे में कोई उदासीन भावना नहीं थी। यह उनकी सामाजिक और शांति सक्रियता और सामुदायिक कार्यों में निहित था, और अपनी प्रार्थना के लिए उसने वेस्ट वर्जीनिया में चर्चों में मदर्स डे वर्क क्लबों का गठन किया था, जहाँ वह रहती थी।

अमेरिकी गृहयुद्ध (1861-65) के बाद, उन्होंने अलग-अलग राजनीतिक मान्यताओं के सैनिकों और नागरिकों को एक साथ लाने के लिए मदर्स फ्रेंडशिप डे का आयोजन किया। यह शांति और दोस्ती को बढ़ावा देने के लिए कई वर्षों के लिए एक वार्षिक कार्यक्रम बन गया। लेकिन 1907 में, एन मैरी की मृत्यु के दो साल बाद, उनकी बेटी एना ने अपनी मां की याद में मदर्स डे की स्थापना के लिए एक आक्रामक अभियान शुरू कर दिया, और कुछ ही वर्षों में उन्हें सफलता मिला और 1914 में यह अमेरिका में आधिकारिक अवकाश बन गया। जिसके बाद माताओं को सम्मानित करने वाले मौजूदा समारोहों को फिट करने के लिए अलग- अलग देशों में इसकी तारीख बदल दी गई। उदाहरण के लिए, यूनाइटेड किंगडम में मदरिंग संडे लेंट के चैथे रविवार को मनाया जाता है, और भारत में इसे मई के दूसरे संडे को मनाया जाता है।

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