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एक बार फिर “द केरला स्टोरी” के खिलाफ याचिका हुई खारिज

नई दिल्ली, नवसत्ताः   “द केरला स्टोरी”  चल रहे विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बार फिर से खिलाफ याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पदीर्वाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को फिल्म “द केरला स्टोरी” की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता के नए प्रयास को खारिज करते हुए कहा कि एक फिल्मकार फिल्म बनाने में बहुत पैसा और समय लगाता है और अभिनेता भी बहुत काम करते हैंए और बाजार तय करेगा कि क्या यह स्तर तक है या नहीं है।

इसके साथ ही पीठ ने कहा कि एक तो सीबीएफसी ने फिल्म को रिलीज कर दिया है।  दूसरा केरल उच्च न्यायालय ने फिल्म पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है,  जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कल याचिकाकर्ताओं को रिलीज़ की निर्धारित तिथि से पहले तत्काल सुनवाई की अनुमति दी थी।

जिस पर अहमदी ने प्रस्तुत किया कि केरल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजा गया था।  जिन्होंने बदले में कहा कि एक पीठ का गठन किया गया है। हालांकि बाद में रजिस्ट्री ने याचिकाकर्ताओं को सूचित किया कि पीठ आज अपनी बैठक नहीं करेगी। उन्होंने आगे बताया कि केरल हाईकोर्ट गर्मी की छुट्टी पर है। हालांकिए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को फिर से हाईकोर्ट जाने के लिए कहा।

सीजेआई ने यह भी कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा दिए गए सर्टीफिकेट के मद्देनजर हाईकोर्ट ने फिल्म के अंतरिम रोक को अस्वीकार करने के लिए 2 मई को एक विस्तृत आदेश पारित किया है। “पीठ ने विवेक का प्रयोग किया है। इसे फिल्म निर्माता के नजरिए से देखें। इसे कितनी बार चुनौती दी जाएगी।

सीजेआई ने पूछा?

आप  हाईकोर्ट वापस जा सकते हैं।  सीजेआई ने अहमदी से कहा। सीजेआई ने यह भी देखा कि याचिकाकर्ता ने सही समय पर उचित उपचार का लाभ नहीं उठाया है, इसलिए एक “कल्पित तात्कालिकता” बनाई गई है। सीजेआई ने बताया कि याचिकाकर्ता ने शुरू में एक लंबित हेट स्पीच मामले में एक इंटरलोक्यूटरी एप्लिकेशन  के जर‌िए सर्टिफिकेट को चुनौती देने की मांग की थी।  जिसे एक अन्य बेंच ने खारिज कर दिया था।

अहमदी सहमत थे कि आईए को स्थानांतरित करना एक गलती थी और कहा इसके लिए एक हजार क्षमा। लेकिन उन्होंने अनुरोध किया कि फिल्म की रिलीज से पहले कम से कम कोर्ट में सुनवाई हो। सीजेआई ने हालांकि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट के समक्ष उपचार करने के लिए कहा। सीजेआई ने कहा आपको अभिनेताओं  निर्माता के बारे में सोचना चाहिए,  उन सभी ने अपना श्रम लगाया है। आपको फिल्मों के बने रहने के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए। बाजार तय करेगा कि क्या यह अप टू दी मार्क है।

इसके बाद जस्टिस पारदीवाला ने कहा, “आप कल सुबह 10.15 बजे हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष उपस्थित हों। पीठ को समझाने का प्रयास करें”। लेकिन अहमदी ने कहा कि यह कोई सामान्य फिल्म नहीं थी और उन्होंने पीठ से कम से कम टीजर की प्रतिलिपि देखने का अनुरोध किया, जो बहुत ही “परेशान करने वाला” था। हालांकि, बेंच ने यह कहते हुए ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया कि वे फिल्म को सीज नहीं कर रहे हैं। सीजेआई ने कहा, “सीबीएफसी ने फिल्म को मंजूरी दे दी है।

केरल हाईकोर्ट ने फिल्म पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कल, हमने अनुच्छेद 32 याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अब इस स्तर पर, हम इस मामले पर फिर से विचार नहीं कर सकते।” यह दोहराते हुए कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए, सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के अधीनस्थ नहीं है और इसलिए किसी विशेष समय पर मामले की सुनवाई के लिए उसे कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है।

 

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