इम्फाल, नवसत्ता़ः मणिपुर के कई जिलों बुधवार 3 मई को अचानक हिंसा भड़क गई। जिससे अफरा-तफरी का माहौल हो गया। आधी रात तक हालात इतने बतर हो गए कि हर तरफ बस आग और दंगे ही दिख रहे थे मानो आधा जल रहा हो। वहां के लोग आधी रात के वक्त अपने छोटे- छोटे बच्चों को इधर से उधर लेकर भाग रहे थे, हर तरफ बस लोगों के चीखनें चिलाने की ही आवाज आ रही थी। लेकिन ऐसी स्थिति बनी कैसे?
दरअसल, कई दिनों से मणिपुर में आदिवासी आंदोलन चल रहा थां। जिसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में 3 मई को छात्रों के एक संगठन ने विरोध प्रदर्शन किया था। जिसके बाद मणिपुर में आदिवासी आंदोलन के दौरान कई जिलों में हिंसा भड़क गई है।
जिसके बाद मैरी कॉम ने देर रात करीब तीन बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर लिखा, “मेरा राज्य मणिपुर जल रहा है। कृपया मदद कीजिए.“ उन्होंने इस ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री कार्यालय, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को टैग करते हुए मणिपुर में आगजनी की फोटो शेयर की और मद्द की गुहार लगाई।
जिसके बाद हालात को काबू में करने के लिए भारतीय सेना को बुलाया गया है। कई इलाकों में आर्मी जवानों को तैनात किया गया है। एहतियात के तौर पर कई जिलों में कफ्र्यू लगा दिया गया। साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई और सुबह तक हिंसा पर काबू पा लिया गया।
वहीं भारतीय सेना तरफ से जारी एक बयान में बताया गया कि मणिपुर में प्रशासन के अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए तीन मई की शाम से सभी प्रभावित इलाकों में सेना और असम राइफल्स की तैनाती कर दी गई है। हिंसा प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है, और अलग-अलग जिलों में करीब चार हजार ग्रामीणों को सेना, सशस्त्र बलों और राज्य सरकार के परिसरों में आश्रय दिया गया। वहीं प्रदर्शन को नियंत्रण में रखने के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है। साथ ही कानून-व्यवस्था बहाल करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
मणिपुर में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या करीब 60 प्रतिशत है और ये समुदाय इंफाल घाटी और उसके आसपास के इलाकों में बसे हुए है। हिंसा को लेकर मैतेई समुदाय का कहना है कि राज्य में म्यांमार और बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं मौजूदा कानून के तहत उन्हें राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है। यही वजह है कि मैतेई समुदाय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें जनजातीय वर्ग में शामिल करने की गुहार लगाई थी।