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दलाई लामा को भारत रत्न दिलाने के अभियान की वोटिंग शुरू

नई दिल्ली,नवसत्ता: अद्वितीय और उचित संकेत के रूप में पावन पवित्र 14वें दलाई लामा के विद्यार्थियों और मित्रों द्वारा तिब्बती आध्यात्मिक गुरु को भारत उच्चतम विलियन अवार्ड भारतरत्न प्रदान करवाये जाने के लिए वोटिंग अभियान प्रारंभ हो गया है. दलाई लामा ने हमारी पुरातन दार्शनिक सूझ, विद्वता और दयादृष्टि वाली भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार में अपना महान योगदान दिया है.

इस पहल कदमी के पीछे काम करते लोगों भारत के लोगों और समस्त विश्व में बसते भारतीय प्रवासियों को विनती की है कि वे इस अभियान का समर्थन करें जो कि 3 मार्च से 3 जुलाई, 2022 तक चार महीनों के लिए क्रियाशील रहेगा. यह समर्थन वेबसाईट https://www.bharatratnafordalailama.in/ पर वोटिंग करके या मिस्ड कॉल सर्विस नंबर 917065506767 के जरिये भी कर सकते हैं.

अभियान शुरू करते हुए रेणुका सिंह ने कहा, हम भारत के लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे पावन पवित्र दलाई लामा तेनजिन ग्यातसो तिब्बती आध्यात्मिक गुरु जो 1959 से भारत में रह रहे हैं, को भारत रत्न प्रदान करवाये जाने के लिए शुरू किए इस अभियान का समर्थन करें. हम उनके आभारी होंगे.”

पावन पवित्र दया के बुद्ध, अवालोकितेश्वर का प्रत्यक्ष रूप हैं और समूचे संसार में शांति मानव के रूप में जाने जाते हैं. पावन पवित्र ने जीवन भर धार्मिक और राजनीतिक/सांस्कृतिक विरोध का बड़े धैर्य, अहिंसा और दयालु दिल के साथ सामना किया. वह सर्व साझे भाईचारे और जिम्मेदारी की स्थायी आवाज़ है जिसके कारण कोविड-19, जलवायु परिवर्तन और हमारे भाईचारों एवं मनुष्यता में दरार डालने वाली विघटनकारी शक्तियों जैसी बहुत जरूरी चुनौतियों से निपटने की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया. उनकी इस तीव्र दया के पीछे वैज्ञानिक मन की तीक्ष्ण दृष्टि है.

निराशाजनक और दिल तोड़ने वाले दृश्य जो अति उपभोगितावाद और सांस्कृतिक राजनीतिक लड़ाई के कारण उत्पन्न हुए, से संबंधित पावन-पवित्र ने सभी आयु के लोगों के लिए प्रेम, क्षमा और सहनशीलता की पहुँच वाले मध्यमार्ग निरंतर वकालत की.

दलाई लामा विश्व स्तर पर सम्मानित मानववादी के रूप में जाने और सराहे गए हैं. वह अब 87 वर्ष के हैं. यह बिलकुल उपयुक्त समय है कि हम भारत के लोग उच्चतम सम्मान से उन्हें बतौर राष्ट्र, बतौर सच्चे मित्र और भारत के सुपूत के तौर पर मान्यता दें.
पावन-पवित्र दलाई लामा को ‘भारतरत्न’ प्रदान करवाए जाने का कारण साफ- स्पष्ट और प्रभावशाली है.

उनकी भारत और समूची मानवता के लिए सर्वोत्तम और आजीवन सेवा बेजोड़ है. उन्हें 1989 में नोबल पीस प्राइज सहित भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालयों और देशों की ओर से 150 से अधिक अवार्डों के साथ सम्मानित किया जा चुका है.

पावन – पवित्र दलाई लामा ने हमारे देश को बुद्ध शाकियामुनि और नालंदा के दर्शनवेताओं की शिक्षाओं को आत्मसात किया. भगवान बुद्ध के विद्वान और भावात्मक वंश उनकी अगुवाई के अधीन प्रफुल्लित हो रहा है. के द्वारा क/शैक्षिक प्रयोजन परस्पर विश्वास, मन पर प्रवचन और विज्ञानियों के साथ मनोभाव और तिब्बती बोधि संस्कृति की देखरेख के लिए किए यत्नो और वातावरण संबंधी पहल कदमी को शिखरों की सफलता मिली. पावन-पवित्र भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक गुरु और अनमोल हीरा हैं जिनकी दयालुता और दया की गूँज चारों ओर विद्यमान है.

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