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वन रैंक वन पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी फैसला बरकरार रखा, कहा- इसमें कोई संवैधानिक कमी नहीं

PM MODI SECURITY LAPSE HEARING IN SUPREME COURT

नई दिल्ली,नवसत्ता: वन रैंक वन पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन पर सरकार के फैसले को बरकरार रखा है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि उसे सरकार की तरफ से 7 नवंबर, 2015 को जारी किए गए नोटिफिकेशन में कोई संवैधानिक परेशानी नहीं लगती है. इससे पहले कोर्ट ने इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट की याचिका पर सुनवाई के बाद 23 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सरकार का फैसला मनमाना नहीं है

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सरकार का ‘वन रैंक-वन पेंशन’ का फैसला मनमाना नहीं है और न ही किसी संवैधानिक कमी से ग्रस्त है. इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल थे.

देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ओआरओपी की लंबित पुनर्निर्धारण प्रक्रिया एक जुलाई, 2019 से शुरू की जानी चाहिए और तीन महीने में बकाया राशि का भुगतान किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि ‘वन रैंक-वन पेंशन’ सरकार का नीतिगत निर्णय है और नीतिगत मामलों के निर्णय में अदालत हस्तक्षेप नहीं करता.

क्या था मामला

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 7 नवंबर, 2011 को एक आदेश जारी कर वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने का फैसला लिया था. इसे 2015 से पहले लागू नहीं किया जा सका. इस योजना के दायरे में 30 जून 2014 तक सेवानिवृत्त हुए सैन्यबल कर्मी आते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के 2014 में संसदीय चर्चा बनाम 2015 में वास्तविक नीति के बीच विसंगति के लिए केंद्र सरकार ने पी चिदंबरम को जिम्मेदार ठहराया. इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट ने सुप्रीम कोर्ट में सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों की 5 साल में एक बार पेंशन की समीक्षा करने की सरकार की नीति को चुनौती दी है.

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