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चुनाव पूर्व फिर गरमाया लखीमपुर हिंसा का मुद्दा,पीड़ित पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

छोटा टेनी से कहीं बड़ा नुकसान न हो जाए भाजपा को

नीरज श्रीवास्तव
लखनऊ,नवसत्ता: लखीमपुर काण्ड फिर सुर्खियों में है। छोटा टेनी नाम से कुख्यात केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्र की जमानत याचिका निरस्त करने के लिए पीड़ित लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। लखीमपुर में 23 तारीख को मतदान होना है। ऐसे में इस मुद्दे को लेकर पर विपक्ष भी भाजपा पर हमलावर है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र और 12 अन्य अभियुक्तों के खिलाफ तीन अक्तूबर को लखीमपुर खीरी में गाड़ियों से रौंद कर 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या करने का आरोप है। बाद में उग्र भीड़ ने तीन लोगों को पीट-पीट कर मार डाला था। आशीष मिश्र इस मामले में मुख्य अभियुक्त हैं। क्षेत्र में अब उन्हें छोटा टेनी के नाम से जाना जाता है। इस मामले में गठित एसआईटी ने भी आशीष मिश्र को मुख्य अभियुक्त माना है।

पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्र को जमानत दे दी थी। इसके कुछ दिनों बाद वे जेल से भी छूट गए थे। विपक्षी पार्टियों और किसान नेताओं ने इसे लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरा था। उनका कहना था कि योगी सरकार ने इस मामले में ठीक से पैरवी नहीं की। दूसरी ओर भाजपा नेताओं का कहना था कि ये फैसला अदालत का है और सरकार न्यायालय के काम में दखल नहीं देती। हालांकि इस मुद्दे पर किसानों की नाराजगी से इंकार नहीं किया जा सकता। इसी को देखते हुए गत 20 तारीख को लखीमपुर में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा को गड़बड़ी होने की आशंका की वजह से रद्द कर दिया गया था।

स्थानीय भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने माना कि प्रशासन कि तरह से ये चिंता जताई गई थी कि प्रधानमंत्री की जनसभा में किसान आंदोलन से जुड़े लोग विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं और काले झंडे दिखा सकते हैं। भाजपा नेताओं ने कहा कि इस जनसभा को अब एक वर्चुअल जनसभा में तब्दील कर दिया गया है।

उधर विपक्ष इस मुद्दे को लेकर लगातार भाजपा पर हमलावर है। बीते दिनों लखीमपुर खीरी के जीआईसी मैदान में हुई जनसभा में समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने तो इस हिंसा की तुलना आजाद भारत में जलियाँवाला बाग से कर दी। वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया है कि इस मामले में सरकार शुरू से ही पीड़ित किसानों के बजाय अभियुक्तों के साथ खड़ी नजर आ रही है यहां तक कि बेटे के दोषी साबित होने के बावजूद उनके पिता व केन्द्र में गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी का इस्तीफा तक नहीं लिया गया है।

अब इस मामले को लेकर आज पीड़ित किसानों के परिजन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि किसानों के परिजनों को शीर्ष अदालत का रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि राज्य सरकार आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली अपील याचिका दायर करने में विफल रही है। इसमें तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट ने अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार किए बिना और आरोप पत्र में आशीष के खिलाफ भारी सबूतों को देखते हुए भी जमानत दी। याचिका में तर्क दिया गया कि आरोपी द्वारा गवाहों को प्रभावित करने और न्याय में बाधा उत्पन्न करने की आशंका है।

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