मुंबई,नवसत्ता: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग में रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला हुआ है. लोन की ब्याज दरें तय करने वाला रेपो रेट अभी 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35फीसदी है.
आरबीआई ने लगातार 10वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे पहले वर्ष 2020 में केंद्रीय बैंक ने मार्च में 0.75 फीसदी और मई में 0.40फीसदी की कटौती की थी और उसके बाद से रेपो रेट 4फीसदी के ऐतिहासिक निचले स्तर पर लुढ़क गया था. इसके बाद से अभी तक आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट और बैंक रेट 4.25 फीसदी रहेगा. पॉलिसी का रुख अकोमोडेटिव रखा गया है. एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने यह फैसला किया है. इससे पहले, रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को ब्याज दरों में बदलाव किया था.
बताते चलें कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 8 फरवरी से शुरू हुई थी. शक्तिकांत दास ने गुरुवार को बैठक के दौरान हुए फैसलों की जानकारी दी. पिछले साल के दिसंबर में मौद्रिक नीति समिति की हुई पिछली बैठक में भी आरबीआई ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. उस समय भी केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर को 4 फीसदी पर स्थिर रखा था.
गौरतलब है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति में गवर्नर को मिलाकर कुल 6 सदस्य होते हैं. इसमें तीन सरकार और तीन सदस्य आरबीआई के प्रतिनिधि होते हैं. समिति की बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव या स्थिर रखने का फैसला इन 6 सदस्यों की सहमति से किया जाता है. नीतिगत ब्याज दरों का सीधा असर लोन पर पड़ता है. ब्याज दरों में कमी से होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन सस्ता होते हैं. आरबीआई के इस फैसले से लोन सस्ता नहीं होगा.