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किसान आंदोलन से 9000 कंपनियों पर संकट, एनएचआरसी ने चार राज्यों को भेजा नोटिस

नई दिल्ली,नवसत्ता : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को किसान आंदोलन के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं। जिसमें कहा गया है कि किसान आंदलोन से 9000 से अधिक बड़ी, मंझोली और छोटी कंपनियों को नुकसान हो रहा है इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन पर भी प्रभाव पड़ा है। जिसके बाद आयोग ने दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य ऑथोरिटीज को नोटिस जारी कर किसानों के विरोध प्रदर्शन की रिपोर्ट मांगी है।

एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरकार के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किए हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के पुलिस महानिदेशक को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही एनएचआरसी ने आंदोलन को लेकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भी नोटिस जारी सर उनसे संबंधित कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

बताया जा रहा है कि किसान आंदोलन के चलते यात्रियों, रोगियों, शारीरिक रूप से विकलांग लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को सड़कों पर होने वाली भारी भीड़ के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसी खबरें भी हैं कि किसानों के आंदोलन के कारण राज्य की सीमाओं पर लगाए जाने वाले बैरिकेड्स की वजह से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्हें अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचने के लिए काफी घूमकर जाना पड़ता है और लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।

वहीं रास्ते की नाकेबंदी के कारण वहां रहने वाले स्थानीय लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चूंकि आंदोलन में मानव अधिकारों से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं इसलिए शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने के अधिकार का भी ख्याल रखा जा रहा है। इस उठापटक के बीच एनएचआरसी को अलग-अलग मानवाधिकार मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

इसलिए, आयोग ने विभिन्न राज्यों को नोटिस जारी करने के अलावा कार्रवाई भी की है, जो इस प्रकार है-
आर्थिक विकास संस्थान को औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों/उत्पादन पर किसानों के आंदोलन से होने वाली परेशानी का आंकलन कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। साथ ही आंदोलन स्थल के आस-पास स्थित औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले लोगों को हो रही असुविधा और उनके अतिरिक्त खर्च पर भी रिपोर्ट तैयार करने का निवेदन किया गया है। इसके अलावा आईईजी को गाडिय़ों की आवाजाही को लेकर हो रही परेशानी की जांच कर 10 अक्टूबर, 2021 तक इस मामले में एक व्यापक रिपोर्ट देने को कहा गया है।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की तरफ से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को विभिन्न पहलुओं पर किसान आंदोलन के विपरीत प्रभाव और विरोध स्थलों पर कोविड प्रोटोकॉल के पालन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

धरना स्थल पर मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के मामले में डीएम झज्जर से मृतक के परिजनों को मुआवजे के भुगतान के संबंध में कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई थी। डीएम झज्जर को 10 अक्टूबर, 2021 तक इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क डिपार्टमेंट को लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के कारण लोगों की आजीविका, जीवन, वृद्ध और कमजोर व्यक्तियों पर इसके प्रभाव का आकलन करने के लिए टीमों को नियुक्त करने के लिए कहा गया है। ये टीमें सर्वेक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।

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