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रात 12 बजे होगा कान्हा का जन्म,जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली,नवसत्ताः कल देश भर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस साल जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त दिन सोमवार को पड़ रहा है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। आइए जानते हैं जन्माष्टमी व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी….

आज रात 12 बजे कान्हा का जन्म
29 अगस्त को रात 12 बजे कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसको लेकर मथुरा, वृंदावन में विशेष व्यवस्था की गई है। भक्तों के लिए कोरोना गाइडलाइंस को मानना जरूरी किया गया है। कई मंदिरों से लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।

ब्रज में तीन दिनों तक जन्माष्टमी की धूम
अगर ब्रज की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बात करें तो यहां पर तीन दिनों तक आयोजन होता है। 30 से लेकर 1 अगस्त तक भक्त भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबे रहेंगे। शनिवार से ही वृंदावन की सड़कों पर भक्तों की भीड़ लगी रही। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस तैनात की गई है।

मथुरा द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन कब?
मथुरा द्वारिकाधीश मंदिर के दर्शन में बदलाव किया गया है। मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी के मुताबिक 30 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन सुबह मंगला के दर्शन होंगे। सुबह साढ़े छह बजे पंचामृत अभिषेक और सुबह साढ़े आठ बजे शृंगार दर्शन होंगे। उसके बाद ग्वाल और तत्पश्चात राजभोग के दर्शन होंगे। शाम साढ़े सात पर उत्थयापन के दर्शन, उसके बाद भोग संध्या आरती, शयन रात्रि 10 बजे, जागरण की झांकी और उसके बाद रात 11ः45 बजे जन्म के दर्शन होंगे।

जन्माष्टमी को लेकर सजाई गई मथुरा
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर मथुरा नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है। वहीं, सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किए गए हैं।


वृंदावन में मैथिली ठाकुर का कार्यक्रम
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बिहार की प्रसिद्ध गायिका मैथिली ठाकुर का 30 अगस्त को वृंदावन के चंद्रोदय मंदिर में विशेष कार्यक्रम होने जा रहा है।

पूजा में तुलसी जरूर शामिल करें
भगवान श्री कृष्ण की पूजा में तुलसी पत्ता जरूर शामिल करें। भगवान श्री कृष्ण को तुलसी अतिप्रिय होती है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ तुलसी की पूजा भी करें।

भगवान को लगाएं 56 भोग
जन्माष्टमी के दिन भगवान को 56 भोग लगाएं। ऐसा करने से देवकी नंदन प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनायें पूरा करते हैं।

जन्माष्टमी के दिन इन नियमों का करें पालन

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा के साथ गाय की भी पूजा करें।

पूजा स्थल पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखें।

पूजा सुंदर और साफ आसन में बैठकर की जानी चाहिए।

भगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करें।

गाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करें।

जन्माष्टमी व्रत पारण का समय
31 अगस्त की सुबह 9 बजकर 44 मिनट बाद व्रत का पारण कर सकते हैं।

जन्माष्टमी की पूजा में खीरा होना जरूरी
भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से पूजा करने के लिए खीरा बहुत जरूरी होता है। भगवान श्री कृष्ण खीरे से बहुत प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि खीरा चढ़ाने से नंदलाल भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं। जन्माष्टमी की पूजा में खीरे का उपयोग किया जाता है, जिसमें डंठल और हल्की सी पत्तियां भी लगी हो।

ग्रह-नक्षत्रों का बन रहा विशेष संयोग

इस साल जन्माष्टमी पर ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है। ग्रहों के विशेष संयोग के कारण इस साल की जन्माष्टमी बहुत ही अधिक खास होगी। मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस साल जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि विद्यमान रहेगी। इसके अलावा वृषभ राशि में चंद्रमा संचार करेगा। इस दुर्लभ संयोग के कारण जन्माष्टमी का महत्व और बढ़ रहा है।

पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

घर के मंदिर में साफ- सफाई करें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।

इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करें।

लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं।

रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें।

लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं।

लड्डू गोपाल की आरती करें।

इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें।

जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त
29 अगस्त की रात 11 बजकर 25 मिनट से अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी

31 अगस्त की रात 1 बजकर 59 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी

30 अगस्त की सुबह 06 बजकर 39 मिनट से रोहिणी नक्षत्र लगेगा।

31 अगस्त की सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगी।

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