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चार दशक के बाद भर दी हॉकी के अंदर जान, मन की बात कार्यक्रम के 80वें संस्करण में बोले पीएम मोदी

‘अब खेलें भी और खिलें भी’

नई दिल्ली, नवसत्ता : मन की बात कार्यक्रम के 80वें संस्करण की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेजर ध्यानचंद जी को यादकर की। पीएम मोदी ने कहा, खेलों में कितने ही पदक क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हॉकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले पाता है। चार दशक के बाद इस बार ओलंपिक में हॉकी को पदक मिला। आप कल्पना कर सकते हैं मेजर ध्यानचंद जी के दिल पर, उनकी आत्मा पर वो जहां होंगे वहां कितनी प्रसन्नता होती होगी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने नया नारा देते हुए कहा, ‘अब खेलें भी और खिलें भी।’

उन्होंने ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन का भी जिक्र करते हुए कहा कि चार दशक बाद यानी करीब-करीब 41 साल के बाद, भारत के बेटे और बेटियों ने हॉकी के अन्दर फिर से एक बार जान भर दी है। उन्होंने कहा कि हम सबको पता है आज मेजर ध्यानचंद जी की जन्म जयंती है और हमारा देश उनकी स्मृति में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता भी है। जब खेल-कूद की बात होती है, तो स्वाभाविक है हमारे सामने पूरी युवा पीढ़ी नजर आती है और जब युवा पीढ़ी की तरफ गौर से देखते हैं कितना बड़ा बदलाव नजर आ रहा है।

आज का युवा मन बने बनाए रास्तों पर चलना नहीं चाहता है। वो नए रास्ते बनाना चाहता है। अनजान जगहों पर कदम रखना चाहते हैं। उन्होंने युवाओं की प्रशंसा करते हुए कहा आज के युवाओं की मंजिल भी नयी है, लक्ष्य भी नए है, राह भी नयी और चाह भी नयी है। पीएम ने स्टार्टअप कलचर का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे आज के युवा का मन बदल चुका है। आज छोटे-छोटे शहरों में भी स्टार्टअप का विस्तार हो रहा है और मैं उसमें उज्जवल भविष्य के संकेत देख रहा हूँ।

पीएम मोदी ने कहा हमारे यहां संस्कृत के बारे में कहा गया है-
अमृतम् संस्कृतम् मित्र, सरसम् सरलम् वच:
एकता मूलकम् राष्ट्र, ज्ञान विज्ञान पोषकम्।
अर्थात, हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी है। संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है। उसे मजबूत करती है। संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है।

पीएम मोदी ने कहा, आज के समय में एक नई जागरूकता आई है। अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढ़ाएं। हमारी विरासत को संजोना, उसको संभालना, नई पीढ़ी को देना ये हम सबका कर्तव्य है। और भावी पीढ़ियों का उस पर हक भी है। अब समय है इन कामों के लिए भी सबका प्रयास ज्यादा बढ़े।

उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही हमारे देश में खिलौनों की चर्चा हो रही थी। देखते ही देखते जब हमारे युवाओं के ध्यान में ये विषय आया उन्होंने भी मन में ठान लिया कि दुनिया में भारत के खिलौनों की पहचान कैसे बने। हमारे युवा हर क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे देश का युवा मन अब सर्वश्रेष्ठ की तरफ अपने आपको केन्द्रित कर रहा है। ये भी राष्ट्र की बहुत बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आज जब हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो हमें ये याद रखना है कि स्वच्छ भारत अभियान के संकल्प को हमें कभी भी मंद नहीं पडऩे देना है। हमारे देश में जितने ज्यादा शहर ‘वाटर प्लस सिटी’ होंगे उतना ही स्वच्छता भी बढ़ेगी, साथ ही हमारी नदियां भी साफ होंगी।

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