Navsatta
Doctor's Day Specialखास खबर

डॉक्टर्स डे विशेष:जानिए अपने डॉक्टर के अनसुने किस्से,मिलिए रायबरेली एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर अरविंद राजवंशी से

राय अभिषेक/गरिमा

रायबरेली,नवसत्ता:डॉक्टर्स डे विशेष पर आज आपका परिचय एक ऐसे शख्स से कराते है जिनके संरक्षण में जिले की पहचान बन चुके आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नित नयी सफलता की ओर अग्रसर है| आइये बात करते है एम्स रायबरेली के कार्यकारी निदेशक प्रो० डॉ. अरविन्द राजवंशी से।

अपने जीवन के अतीत में झांकते हुए एक डॉक्टर बनने के सफ़र की शुरुआत कहाँ से हुई, इस बारे में पूछे जाने पर डॉ. राजवंशी ने बताया,बचपन में उनका स्कूल और एक हॉस्पिटल आमने सामने था ।वहां रोज़ डॉक्टर्स को आते जाते देख मेरे मन में जगी डॉक्टर बनने की इच्छा को बल मिलता था।डॉ. बनने का निश्चय मैंने क्लास नाइंथ में लिया था।तब मेरे पिताजी टायफॉइड की वजह से बीमार पड़े।उनके इलाज में लगे डॉक्टर्स को दिन रात सेवा करते देख मैंने अपने मन की बात पिताजी को बताई।उन्होंने तब मुझसे एक बात कही, लक्ष्य को पाने के लिए खूब मेहनत करनी पड़ती है।बिना मेहनत कुछ भी हासिल नहीं होता है। इंटर में मेरे अच्छे मार्क्स आये और मेरिट के आधार पर मुझे 1972 में शिमला के आईजीएमसी में दाखिला मिला।उस समय आईजीएमसी, हिमांचल प्रदेश मेडिकल कॉलेज कहलाता था। जिसे उस समय स्नोडाउन अस्पताल भी कहा जाता था क्योंकि वह लार्ड स्नोडाउन के बेहद आलीशान लकड़ी के महल में बना था।वहां से मैंने 1977 में एमबीबीएस की पढाई पूरी करने के बाद पीजीआई चंडीगढ़ से एमडी पैथोलॉजी की डिग्री हासिल की।वहीं पर एक जूनियर रेजिडेंट की नौकरी ज्वाइन की और 2020 में डीन तक का सफ़र तय करके एम्स रायबरेली में आ गया।बीच में कुछ समय के लिए इंग्लैंड में भी रहा जहाँ से मैंने एफआरसी (पैट) साईंटोपैथोलॉजी की पढाई की|

कॉलेज के दिनों को याद करते हुए वे बोले कि एमबीबीएस का समय सुनहरा समय था।सभी साथी मस्ती में रहते थे और उस समय जो रिश्ते बने वो अभी तक उसी अंदाज़ में चले आ रहे हैं। पढाई के अलावा मुझे क्रिकेट में बहुत रूचि थी।अगर क्रिकेट मैच के समय एग्जाम पड़ जाते थे तो मेरे प्रोफेसर्स कहते कि एग्जाम तो बाद में हो जायेंगे, पहले मैच जीतो,इस तरह उस समय भी हम क्रिकेट मैच खेलते थे। इसके अलावा मुझे कवितायेँ लिखने का बहुत शौक था।अगर आज मेरी लिखी सभी रचनाएं इकट्ठा की जाएं तो पूरी किताब बन जाए।

प्रोफेशनल जीवन के बारे में पूछे जाने पर डॉ. अरविन्द राजवंशी ने कहा,मेरा इंटरेस्ट पैथोलॉजी में हमेशा से रहा क्योंकि मेडिकल प्रोफेशन में यह रीढ़ की हड्डी है| इसमें हम हर बीमारी के कारण का अध्ययन करते है। कोई जरूरी नहीं कि एक जैसी बीमारी में दो लोगो का इलाज एक समान हो, हर इंसान के शरीर की पैथोलॉजी अलग होती है|

अतीत में जाते हुए डॉक्टर राजवंशी कहते हैं,पीजीआई चंडीगढ़ में काम करना एकदम अलग अनुभव रहा।वहां शुरू से अपने समय की सारी सुविधाएं उपलब्ध थीं।फिर भी पैथोलॉजी डिपार्टमेंट में हमने बहुत से उच्च तकनीकी के उपकरण लगाये जिससे कि हम ज्यादा से ज्यादा जटिल बीमारियों का विश्लेषण कर सकें।

वह कहते हैं,एम्स रायबरेली में आने के बाद,ओपीडी शुरू हुई, आईपीडी की तैयारी पूरी हो चुकी थी उसे आपातकालीन स्थिति में रातों रात कोविड L3 में तब्दील किया गया।ऑक्सीजन के लिए प्रशासन पर निर्भरता हटाई और 2 ऑक्सीजन प्लांट पूरे होने की स्थिति में हैं।

डॉक्टर राजवंशी यहां भविष्य की योजनाओं के बारे में बताते हुए कहते हैं,कोरोना की संभावित तीसरी लहर में मरीजो की सेवा के लिए अब हम 100 बेड तैयार कर चुके है। कोविड की टेस्टिंग के लिए हमने इन-हाउस उपकरण लगाए ताकि जिले के सैम्पल्स यही टेस्ट हो सकें।एम्स रायबरेली के लिए मेरा सपना है कि मै यहाँ पीजीआई चंडीगढ़ के तर्ज पर हर छोटी बड़ी सेवाएं मरीजों के लिए उपलब्ध करा सकूं, और मैं कर के रहूँगा।

संबंधित पोस्ट

प्रदेश में 2.5 करोड़ से ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर का हुआ इंस्टालेशन

navsatta

कल से पीएम मोदी की यूरोप यात्रा, 25 कार्यक्रमों में होंगे शामिल

navsatta

मन की बात में पीएम मोदी ने कहा-मैंने और मेरी मां ने कोरोना की दोनों डोज़ ले ली है,आप भी जल्द टीका लगवाएं

navsatta

Leave a Comment