Navsatta
खास खबरराज्य

रिश्वतखोर सीएफओ पर मेहरबान कौनःहाकिम या अव्वल दर्जे का सरकारी मुलाजिम!

गौतबुद्धनगर का मुख्य अग्निशमन अधिकारी अरुण सिंह ‘बेईमान’

राज्यपाल के आदेश से जारी पत्र भी बेअसर, विधानसभा अध्यक्ष की सुने कौन…?

नई दिल्ली,नवसत्ताः आज जो खबर आप पढ़ने जा रहे हैं, उस खबर से पहले आपको एक शेर पढ़ना चाहिए। शेर कुछ यूं है कि, ‘अगर रहबर ही कर ले दोस्ती, चुपचाप रहजन से, किधर पर जायेगा ये कारवां, भगवान ही जाने।’ अब इसमें दो शब्द आये रहबर यानी राह दिखाने वाला और रहजन यानी राह में लूट करने वाला। यह शेर लिखने के पीछे जो कारण है, वह सीधा-सीधा समझना होगा। दरअसल, गौतमबुद्धनगर यानी नोएडा का नाम तो आप सबने सुना ही होगा। नोएडा केवल भारत में ही नहीं, विश्व में भी अपनी पहचान रखता है। हिन्दुस्तान के हिन्दी और अंग्रेजी भाषी मीडिया का हब है नोएडा। औद्योगिक क्षेत्र में विशेष पहचान रखता है नोएडा। आईटी के क्षेत्र में भी काफी कम्पनीज के कारपोरेट कार्यालयों का केन्द्र है नोएडा और इसी नोएडा में एक उत्तर प्रदेश सरकार के एक विभाग का अधिकारी है, जो सच कहें तो एक नम्बर का मक्कार और बेईमान है। अरे, यह हम नहीं कह रहे हैं। यह तो यहीं के लोकल लोग ट्विटर पर कह रहे हैं, वह भी बेईमानी के प्रमाण के साथ। ऊंचे आलाधिकारी कह रहे हैं। यहां तक कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा के अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित कह रहे हैं। बस, अन्तर इतना है कि वे ‘अवैध वसूली जैसे कुकृत्यों में संलिप्त’ लिखते हैं और हम सीधे ‘बेईमान’ और ‘रिश्वतखोर’ लिखते हैं।

सबको चुभ रहे यह सवाल

दरअसल, गौतमबुद्धनगर जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी अरुण कुमार सिंह पर भूखण्ड निर्माण दौरान अग्निशमन विभाग द्वारा दी जाने वाली अनापत्ति प्रमाण पत्र को निर्गत करने में भूखण्ड स्वामियों से अवैध वसूली का आरोप है। यह रिश्वतखोर अधिकारी अपने बेईमान उच्चाधिकारियों के बलबूते लोगों को जमकर चूस रहा है, लूट रहा है और अधिकारी केवल चिठ्ठी-पत्री लिखकर खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं। जब इसकी शिकायत की जाती है तो, या तो वह शिकायत कहीं गायब हो जाती है, या फिर स्थानान्तरण के सम्बन्ध में इसी से पूछ लिया जाता है कि, कहां जायेंगे? यह बेईमान भी अब यूपी की राजधानी लखनऊ में स्थानान्तरित होने की योजना बना रहा है। खास बात यह है कि यह पूर्व में भी प्रदेश की राजधानी में करीब 6 वर्ष रह चुका है। अब ऐसे में, एक सवाल और खड़ा होता है कि एक बेईमान और रिश्वतखोर को सजा देने के बजाय विभाग के उच्चाधिकारी बतौर पुरस्कार उसे लखनऊ की गद्दी क्यों सौंप रहे हैं? क्या इसकी रिश्वत की रबड़ी पर जमने वाली मलाई क्या कोई आईपीएस भी चाटने के लिए तैयार बैठा है? एक प्रश्न और लोगों के जहन में रह-रह कर उठ रहा है कि कहीं ‘ठाकुर’ होने के कारण तो इसकी ‘बेईमानी’ को भी ‘ईमानदारी’ तो नहीं समझा जा रहा? यह सब सवाल अब छिपे नहीं हैं। यह सब लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुके हैं।

जांच बैठी, नतीजा रहा बेनतीजा

सीएफओ गौतमबुद्धनगर अरुण कुमार सिंह के काले कारनामों को लेकर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल के आदेश से 12 जनवरी 2021 को अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी एक पत्र जारी करते हैं। जिसमें, विशेष रूप से लिखा होता है कि, औद्योगिक विकास के क्षेत्र में अति महत्वपूर्ण गौतमबुद्धनगर जनपद के सीएफओ अरुण कुमार सिंह द्वारा भारत सरकार की बीआरएपी गाइडलाइन्स का पालन न करते हुए 75 अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र बिना किसी जांच-पड़ताल के अपने स्तर पर सीधे रिजेक्ट कर दी गई। सीएफओ का इस प्रकार का आचरण अति गम्भीर विषय है। इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए अपर पुलिस आयुक्त, गौतमबुद्धनगर लव कुमार को जांच अधिकारी नामित किया गया। साथ ही, जांचोपरान्त आख्या एक माह में उपलब्ध कराने को कहा गया। लेकिन, नतीजा वही रहा, ढ़ाक के तीन पात।

विधानसभा अध्यक्ष के पत्र भी निकले ‘हल्के’
सीएफओ गौतबुद्धनगर द्वारा की जाने वाली अनियमितताओं के संदर्भ में उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने भी बीती 20 मई 2021 को गौतमबुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा। पत्र में कहा गया कि, गायत्री औरा सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार ने सीएफओ अरुण कुमार सिंह और उसे अधीनस्थ कर्मियों पर भूखण्ड स्वामियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र के नाम पर अवैध वसूली की शिकायत की है। विधानसभा अध्यक्ष ने लिखा है कि, ‘‘कृपया जनहित में प्रकरण की जांच कराकर दोषी के विरूद्ध संगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कराकर विधिक कार्यवाही कराने का कष्ट करें।’’ विधानसभा अध्यक्ष ने इससे पूर्व 01 अप्रैल 2021 को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सीएफओ अरुण कुमार सिंह के काले कारनामों से अवगत कराते हुए असंवेदनशील पद पर स्थानान्तरित करने की मांग की थी।

तो क्या अधिकारी भी हैं ‘बेईमान’

अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर, गौतबुद्धनगर सीएफओ अरुण कुमार सिंह आखिर लखनऊ ही क्यों तबादला चाहता है। दरअसल, पूर्व में भी अरुण कुमार सिंह लखनऊ, हापुड़, अमरोहा आदि जनपदों में तैनात रह चुका है। जबकि वर्तमान में लखनऊ में तैनात सीएफओ विजय कुमार सिंह ने भी 10 वर्ष गाजियाबाद में विभिन्न पदों पर काटे हैं। ऐसे में दोनों ‘चोर-चोर मौसेरे भाईयों’ को पता है कि कब, कहां, किससे, कितना और क्यों लूटना है? साथ ही एक और बात भी यह दोनों बखूबी जानते हैं कि अपने ऊपर के किस अधिकारी को कितना, कब और क्या उपहार देना है? असलियत कहने में कोई गुरेज नहीं कि अगर कोई ईमानदार उच्चाधिकारी बैठा होता तो अभी तक अरुण सिंह गौतबुद्धनगर से हवा हो चुके होते। लेकिन, एक बेईमान का इतने आरोपों और पत्र व्यवहार के बावजूद टिके रहना भी उच्चाधिकारियों की मंशा और उनकी कार्यशैली पर स्वयं में एक बड़ा प्रश्न खड़ा करता है। जोर-आजमाइश होनी तय है।

संबंधित पोस्ट

मत हों परेशान, हर समस्या का होगा समाधान : मुख्यमंत्री

navsatta

गणेश चतुर्थी पर लॉन्च हुआ जियो एयर फाइबर

navsatta

छह वर्ष की बच्ची से दुराचार की कोशिश में कोर्ट ने दी 20 वर्ष की कैद 

navsatta

Leave a Comment