नई दिल्ली, नवसत्ता : केंद्र सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के लिए बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को शॉॅर्टलिस्ट किया है। खबर के मुताबिक विनिवेश के पहले चरण में दोनों बैंकों में सरकार 51 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है।
विनिवेश के लिए केंद्र सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव के साथ कुछ अन्य कानूनों में भी बदलाव करेगी। साथ ही आरबीआई के साथ भी चर्चा की जाएगी। विनिवेश के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक के नाम की सिफारिश नीति आयोग ने की थी। आयोग को निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
प्राइवेट होने वाले दोनों बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक की शेयर बाजार में मार्केट वैल्यू इनके शेयर प्राइस के मुताबिक, 44,000 करोड़ रुपये है। जिसमें इंडियन ओवरसीज बैंक का मार्केट कैप 31,641 करोड़ रुपये है।
विनिवेश की खबर के बाद दोनों बैंकों के शेयरों में आज 20प्रतिशत तक का उछाल दिखा और अपर सर्किट लगा। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 20प्रतिशत बढ़कर 24.30 रुपये पर कारोबार कर रहा था, जबकि इंडियन ओवरसीज बैंक का शेयर 19.80प्रतिशत बढ़ कर 52 सप्ताह के उच्च स्तर 23.60 रुपये पर कारोबार कर रहा था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा की थी। सरकार ने एफवाई22 के लिए विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इस साल फरवरी में रिपोर्ट आई थी कि केंद्र सरकार ने 4 मिड साइज बैंकों को प्राइवेटाइजेशन के लिए शॉर्टलिस्ट किया है, जिनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नाम शामिल है। 4 बैंकों में से 2 का निजीकरण वित्त वर्ष 2021-22 में होगा।