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देश में हर महीने 21 करोड़ कोरोना टीका उत्पादन की तैयारी

नई दिल्ली ,नवसत्ता: सरकार ने देश कोरोना टीका उत्पादन को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम की आलोचना करते हुए आज कहा कि स्वदेश निर्मित दोनों कोरोना टीकों का उत्पादन बढ़ाकर 11 करोड़ डोज करने की तैयारी हो चुकी है।
नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) और कोविड-19 (एनईजीवीएसी) के लिए वैक्सीन प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष डॉ. विनोद पॉल ने कोरोना टीकाकरण के मिथकों से जुड़े झूठ को ख़ारिज करते हुए आज कहा कि केंद्र सरकार 2020 की शुरुआत से ही अधिक कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में सक्षम बनाने के लिए एक प्रभावी सूत्रधार की भूमिका निभा रही है। केवल 1 भारतीय कंपनी (भारत बायोटेक) है जिसके पास आईपी है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि भारत बायोटेक के अपने संयंत्रों को बढ़ाने के अलावा 3 अन्य कंपनियां/संयंत्र कोवैक्सीन का उत्पादन शुरू करेंगी, जो अब 1 से बढ़कर 4 हो गई हैं। भारत बायोटेक द्वारा कोवैक्सीन का उत्पादन अक्टूबर तक 1 करोड़ प्रति माह से बढ़ाकर 10 करोड़ माह किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, तीनों सार्वजनिक उपक्रमों का लक्ष्य दिसंबर तक 4.0 करोड़ खुराक तक उत्पादन करने का होगा। सरकार के निरंतर प्रोत्साहन से, सीरम इंस्टीट्यूट प्रति माह 6.5 करोड़ खुराक के कोविशील्ड उत्पादन को बढ़ाकर 11.0 करोड़ खुराक प्रति माह कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार रूस के साथ साझेदारी में यह भी सुनिश्चित कर रही है कि स्पूतनिक का निर्माण डॉ. रेड्डी के समन्वय के साथ 6 कंपनियों द्वारा किया जाएगा। केन्द्र सरकार जायडस कैडिला, बायोई के साथ-साथ जेनोवा के अपने-अपने स्वदेशी टीकों के लिए कोविड सुरक्षा योजना के तहत उदार वित्त पोषण के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में तकनीकी सहायता के प्रयासों का भी समर्थन कर रही है।

भारत बायोटेक की एकल खुराक इंट्रानेसल वैक्सीन का विकास भी भारत सरकार के वित्त पोषण के साथ बेहतर रूप से आगे बढ़ रहा है, और यह दुनिया के लिए एक शानदार उपलब्धि हो सकती है। 2021 के अंत तक हमारे वैक्सीन उद्योग द्वारा 200 करोड़ से अधिक खुराक के उत्पादन का अनुमान ऐसे ही प्रयासों और निरंतर समर्थन एवं साझेदारी का परिणाम है। पारंपरिक के साथ-साथ अत्याधुनिक डीएनए और एमआरएनए प्लेटफार्मों में किए जा रहे इन प्रयासों के संबंध में न जाने कितने देश इतनी बड़ी क्षमता के साथ निर्माण का सिर्फ सपना ही देख सकते हैं।भारत सरकार और वैक्सीन निर्माताओं ने दैनिक आधार पर निर्बाध जुड़ाव के साथ इस मिशन में एक टीम इंडिया के रूप में काम किया है।

डॉ. पॉल ने कहा कि केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं को फंडिंग से लेकर उन्हें भारत में विदेशी टीके लाने के लिए उत्पादन में तेजी लाने हेतु शीघ्रता से मंजूरी देने से लेकर हर तरह के जरूरी कार्यों को अंजाम दे रही है। केंद्र द्वारा खरीदा गया टीका लोगों को निःशुल्क रूप से लगाने के लिए राज्यों को पूरी तरह से आपूर्ति की जाती है। यह सब राज्यों के संज्ञान में है। सरकार ने केवल राज्यों को उनके ही स्पष्ट अनुरोध करने के बाद, स्वयं टीकों की खरीद का प्रयास करने में सक्षम बनाया है। राज्यों को देश में उत्पादन क्षमता और विदेशों से सीधे टीके खरीदनें में क्या कठिनाइयाँ आती हैं, इसके बारे में अच्छी तरह से पता था। वास्तव में, भारत सरकार ने जनवरी से अप्रैल तक संपूर्ण टीका कार्यक्रम चलाया और मई की स्थिति की तुलना में यह काफी बेहतर तरीके से प्रशासित था। लेकिन जिन राज्यों ने इन 3 महीनों में स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्मिकों के टीककरण की दिशा में अच्छा कवरेज हासिल नहीं किया था, वे टीकाकरण की प्रक्रिया को खोलना चाहते थे और इसका अधिक विकेंद्रीकरण चाहते थे

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