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हमने कोरोना को ऐसे दी मात

राय अभिषेक

 

आत्मबल, सही समय पर सही निर्णय, चिकित्सीय परामर्श का अक्षरशः अनुपालन, नियमित दवाइयों के सेवन और अपनों का साथ का समायोजन अगर हो जाये तो जीवन की बड़ी से बड़ी बीमारियों से लड़ा जा सकता है और उन्हें हराया भी जा सकता है| ऐसा ही अनुभव साझा कर रहे है आज के हमारे कोरोना योद्धा जिन्होंने विषम परिस्थितियों में धैर्य बनाये रखा चिकित्सीय प्रक्रिया को महत्त्व दिया और फिर से अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे है:
सही समय पर सही निर्णय और चिकित्सीय परामर्श का कड़ाई से अनुपालन ही हमारे लिए जीवनदायनी बना:  दामयंती सिंह एवं तारकेश्वर सिंह
किदवई नगर, कानपुर निवासी 70 वर्षीय दम्पति दामयंती सिंह एवं तारकेश्वर सिंह ने नवसत्ता को बताया कि हमें किसी आवश्यक कार्य से बलिया जिले में अपने पैतृक गाँव जाना पडा जहाँ 2 मई 2021 को हम दोनों को हल्के बुखार और उल्टी की समस्या शुरू हुई और फिर कमजोरी भी महसूस होने लगी जिसके बाद हमने अपने गाँव में और आसपास के इलाके में चिकित्सक की तलाश करवाई परन्तु दुर्भाग्य से चिकित्सक उपलब्ध नहीं था| चूँकि कोरोना संक्रमण और उसके कुप्रभाव चरम पर थे और रोज़ ही कोई न कोई हादसा सुनाई देता था तो हमने तुरंत कानपुर वापस जा कर डॉक्टर से सलाह लेने और जांच कराने का निर्णय लिया परन्तु हमारे इस निर्णय में साधन की अनुपलब्धता बाधा बन रही थी| तभी हमारे छोटे बेटे देवेन्द्र ने अपने एक मित्र से संपर्क किया जो हमें यहाँ से लेकर कानपुर छोड़ने के लिए हमारे पास 3 मई की देर शाम को आया और हम उसके साथ तुरंत अपने घर के लिए रवाना हो गए| 4 मई की सुबह कानपुर पहुचे और हमारे वापस घर पहुचने से पहले ही हमारे बड़े बेटे के परिवार ने हम दोनों के लिए रहने की व्यवस्था अलग से उसी घर में कर दी थी और इस बात का ख्याल रखा कि हमें किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ न हो| घर पहुचने के उपरान्त हमने तुरंत सक्षम चिकित्सक के पास जा कर अपनी प्राथमिक जांच और आरटीपीसीआर की जांच करवाई| रैपिड टेस्ट में हम पॉजिटिव आये जिसके बाद हमने चिकित्सक द्वारा दी गई दवाइयों का सेवन शुरू कर दिया और कोविड प्रोटोकॉल की सभी सावधानियो का अनुपालन शुरू कर दिया| कोरोना संक्रमण के दौरान अमूमन लोग अपने खून में CRP और D-Dimer की जांच नहीं कराते जोकि संक्रमण के लेवल को जांचने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, हम दोनों पति पत्नी हर तीसरे दिन अपने खून की जांच जरूर कराते थे और अपना तापमान, ऑक्सीजन लेवल, पल्स रेट आदि का पूरा रिकॉर्ड अपने चिकित्सक और कण्ट्रोल रूम को बताते रहते थे| संक्रमण के पूरे समय हमने संयम और धैर्य को नहीं छोड़ा और नियमित रूप से दवाइयों का सेवन पूरे एहतियात के साथ किया| इस पूरे समय हमारे बच्चो और पूरे परिवार ने हमारा बहुत ख्याल रखा और हमें कभी भी पृथकता का एहसास तक नहीं होने दिया और पूरा माहौल हमेशा सकारात्मक ही बना रहता था जैसे आम दिनों में हमारे घर का होता है| अंत में यही कहेंगे कि सतर्कता, सही समय पर निर्णय, नियमित दवाइयों के सेवन और जागरूकता  की वजह से हम स्वस्थ हुए और जब 20 मई को हमारा पुनः आरटीपीसीआर हुआ तो हम नेगेटिव आये| आप से हम कहना चाहेंगे की कोरोना संक्रमण के प्रति लापरवाही न बरते और किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस होने पर सक्षम चिकित्सक की सलाह ले और जांच कराये और यदि संक्रमित है तो दवाइयों का नियमित सेवन करे और खून की जांच जरूर करवाएं , इसी तरह से जागरूक होकर आप स्वयं को और अपने परिवार को स्वस्थ रख सकते है और कोरोना को मात दे सकते है|

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