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हमने कोरोना को ऐसे दी मात

राय अभिषेक

 

रायबरेली नवसत्ता: बच्चो के संक्रमित होने पर सबसे ज्यादा मानसिक तनाव में उनके अभिभावक ही आते है जबकि ये एक ऐसा समय होता है कि स्वयं को संतुलित रखकर सभी सावधानियो को बरतते हुए बच्चो के साथ बच्चो जैसा व्यव्हार करना चाहिए, उनको अकेला नहीं महसूस होने देना चाहए, ये अनुभव हमारे पाठको द्वारा आज साझा किये गये:

 

बच्चो के साथ बच्चा बनी, स्वयं के साथ पूरे घर का ध्यान रखते हुए सभी सावधानियो को पार करते हुए हम असंक्रमित हुए: गरिमा अवस्थी

सत्य नगर रायबरेली निवासी गरिमा अवस्थी ने अपनी दोनों बेटियों के कोविड पॉजिटिव होने के घटनाक्रम को स्मरण करते हुए नवसत्ता को बताया कि पिछले वर्ष जब कोरोना की पहली लहर चरम पर थी तब अगस्त 2020 के पहले हफ्ते में मुझे होशियारपुर से अपने घर रायबरेली निजी वाहन से आना पड़ा| यहाँ पर हम कोविड प्रोटोकॉल का पूरा अनुपालन करते हुए रह रहे थे कि तभी अगस्त के अंतिम दिनों में मेरी मम्मी और बड़ी बहन की तबियत काफी ख़राब हो गई और उन्हें सर्दी, बुखार, खांसी और सांस फूलने की समस्या होने लगी| जिले के एक निजी चिकित्सक को दिखाने पर उन्होंने सभी जांचो के साथ कोविड टेस्ट कराने को बोला जिसके लिए अस्पताल में जाने पर वहां की ख़राब हालत को देख कर वे दोनों वापस आ गई और उसके बाद हमने 1075 पर कॉल करके घर पर ही जांच कराने की प्रार्थना की| जिसके उपरांत हमें रायबरेली के कुछ नंबर दिए गए और एक पारिवारिक मित्र की सहायता से कोविड टीम ने 10 सितम्बर को हमारे निवास पर आ कर पूरे परिवार का एंटीजेन किया जिसमे पूरा परिवार यहाँ तक कि मेरी मम्मी और बड़ी बहन भी कोरोना नेगेटिव निकली परन्तु दुर्भाग्यवश मेरी दोनों बेटियां जहान्वी उम्र 7 वर्ष और इशान्वी 2.6 वर्ष कोविड पॉजिटिव आई| जिसके बाद मैंने एसडीम कण्ट्रोल रूम से संपर्क करके होम आइसोलेशन का विकल्प चुना और घर पर ही हमें स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोरोना किट दी गई| दोनों बच्चो के पॉजिटिव आने के बाद मेरा कलेजा मुह को आ रहा था पर सबसे पहले अपने को सँभालते हुए मैं अपने दोनों बच्चो के साथ एक अलग रूम में आइसोलेट हो गई| दोनों छोटे बच्चो को एक कमरे में सीमित रखना और उनका सारा काम करना मेरे लिए चुनौती बन गया जिसमे मेरे मम्मी पापा और बड़ी बहन ने बहुत साथ दिया| बच्चो के सेहत का ध्यान रखना, हरदम किसी एक्टिविटी में व्यस्त रखना, उनका खान पान, कमरे और पूरे घर का सैनिटाईजेशन करना जैसे सभी काम मेरे ही जिम्मे थे इसके साथ साथ घर में बुजुर्ग मम्मी पापा का भी ध्यान रखना था क्यूंकि कभी कभी बच्चे उनके पास भाग जाते थे| चूँकि बच्चो के साथ मैं ही रहती थी इसलिए मुझे अपना ख्याल रखते हुए सभी काम करने पड़ते थे क्यूंकि मेरी एक छोटी सी भी भूल बहुत महंगी पड़ती|  ईश्वर की कृपा से दोनों बच्चो को कोई ख़ास समस्या नहीं हुई सिर्फ बड़ी बेटी को फीवर रहता था| इसी बीच मेरी बड़ी बहन का एक दिन ऑक्सीजन लेवल 62 हो गया तो उन्हें तुरंत नब्युलाईज़ किया गया जिसको रोज़ करने पर और कुछ दवाइयों के सेवन से कुछ दिनों बाद वो स्वस्थ हो गई| पूरे समय के दौरान जिला प्रशाशन ने पूरा सहयोग किया और मेरे मम्मी, पापा, भाई, बहन और पूरे परिवार ने मेरा पूरा सहयोग किया और मेरा मनोबल हमेशा बढाए रखा| 20 सितम्बर 2020 को दोनों बच्चियों और मेरा एंटीजेन नेगेटिव आया जिसके बाद हमें एक हफ्ते और आइसोलेट रहने की सलाह दी गई| मैं सबसे यही कहना चाहूंगी की कोविड प्रोटोकॉल का पूरा अनुपालन करे, यदि बच्चे संक्रमित भी हो जाये तो घबराए नहीं और बच्चो की ही तरह उनके साथ व्यवहार करे और उन्हें मनपसंद गतिविधियों में लगाये रखे| खान पान का पूरा ध्यान दे जिससे कि सभी पोषक तत्व समुचित मात्रा में उनके शरीर में जाये|

 

बेटे पर नकारात्मकता हावी नहीं होने दिया, मनपसंद गतिविधियों में उलझाये रखा: शैलेद्र सिंह

नसीराबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला रायबरेली में कार्यरत शैलेन्द्र सिंह ने अपने 11 वर्षीय बेटे उत्कर्ष के कोविड संक्रमण का अनुभव साझा करते हुए बताते है कि मैं स्वयं कोविड से संक्रमित था और 2 मई को ठीक होकर अपने आवास पर पहुंचा तो परिवार और सहकर्मी, सभी प्रसन्नचित मन से मुझसे मिले और हाल चाल लेने लगे| थोड़ी देर बाद मेरे बेटे उत्कर्ष ने मुझे बताया की उसे कुछ घबराहट हो रही है और पैर में दर्द हो रहा है तो मैंने उसे आराम करने की सलाह दी| अगले दिन फिर वही शिकायत करने पर मैंने फिर से टाल दिया कि बच्चे है खेलकूद सब लॉक डाउन की वजह से बंद है| हालाँकि मेरी पत्नी ने बोला भी कि उत्कर्ष का एंटीजेन कर लो, पर मैंने अनसुनी कर दी| अगले दिन 4 मई को छत से नीचे आते वक़्त उत्कर्ष सीढी पर से गिर पड़ा जिसके बाद उसे दवा आदि देकर लेटा दिया गया, रात में जब मैं उसकी चोट देखने गया उस समय उसे तेज़ बुखार था, मैंने उसे जब दवा देने के लिए उठाया और जब उसने बोलना शुरू किया तो उसकी आवाज़ फंस फंस के आ रही थी, पूछने पर उसने गला फंसने की शिकायत की, जिससे मुझे संक्रमण का संदेह हुआ क्यूंकि मेरा कोविड मरीजो के इलाज़ का अनुभव है और मैं भी अभी अभी ठीक होकर आया था| 5 मई की सुबह मैंने उसका एंटीजेन किया तो वो कोरोना से संक्रमित निकला जिससे उसकी माँ और वो खुद काफी घबरा गए थे, जिन्हें काफी देर समझाना पडा और अपनी ही मिसाल देनी पड़ी| उत्कर्ष को हमने होम आइसोलेट करा दिया और जिस कमरे में टीवी, अटैच वाशरूम है उस कमरे में उसके रहने का इंतज़ाम कर दिया गया| शुरू के दो दिनों तक उसे बुखार, घबराहट आदि रही पर उसका दिमाग हमने सबसे पहले टीवी की कोरोना खबरों से हटाया और उसे हर वो चीज़ उपलब्ध कराई जिसमे उसका दिमाग उलझा रहे और वो अपने को व्यस्त रखे| उसकी माँ पूरे एहतियात से उसके कमरे की सफाई आदि करती थी और अपनी तरफ से वो भी उसका मनोबल बढ़ाती थी, मैं उत्कर्ष को दवाइयां आदि देता और उसका जिस काम में मन लगे उसमे साथ देता रहता था और उसे नकारात्मकता में नहीं जाने देता था| पूरे घर में अगर सबसे ज्यादा समस्या थी तो उत्कर्ष की छोटी बहन को क्यूंकि भाई जिसके साथ वो खेलती थी उसी घर के एक कमरे में बंद था और वो उसमे बार बार जाना चाहती थी| 9 मई को मैंने बेटे का एंटीजेन किया तो वो नेगेटिव था लेकिन आरटीपीसीआर पॉजिटिव आया| इस बीच में उसके कोविड संक्रमण के सारे लक्षण ख़त्म हो गए थे, उसे न तो बुखार खांसी थी, न ही उसका गला फंस रहा था, ऑक्सीजन – पल्स सब नार्मल हो गई थी तो 13 मई को उसका फिर आरटीपीसीआर कराया जिसमे भी उत्कर्ष पॉजिटिव आया| फिर नसीराबाद सीएचसी अधीक्षक ने कुछ दिन रुकने की सलाह दी लेकिन मैंने फिर से उसका आरटीपीसीआर सैंपल 18 मई को भेजा जिसकी रिपोर्ट 19 मई को नेगेटिव आई और उत्कर्ष के संक्रमण मुक्त होने की चिकित्सीय पुष्टि हुई| कल 20 मई को वो अपने कमरे से बाहर आया तो सबसे ज्यादा खुश उसकी छोटी बहन थी और अभी तो एक ही दिन हुए है उसे कोई और समस्या नहीं हुई है और सामान्य ढंग से रह रहा है| मैं सभी अभिवावकों को यही कहूँगा कि बच्चो के संक्रमित होने पर खुद बिलकुल भी न घबराए और बच्चे को सकारात्मक माहौल में ही रखे, उसके साथ सामान्य व्यवहार रखे और उसका मनोबल बढ़ाना पूरे परिवार का काम है| बच्चे को कभी भी अकेला न महसूस होने दे और इस समय प्रसारित हो रहे कोरोना के कुप्रभाव वाली खबरों से तो खास कर खुद भी दूर रहे और बच्चे को भी दूर रखे| खाने में प्रोटीन का खास ख्याल रखे और बच्चो की इम्युनिटी का विशेष ख्याल रखे|

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