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बच्चों व युवाओं को भजन व संकीर्तन से जोड़ने का सूत्र बना वृंदावन का बैण्ड

राजेंद्र पांडेय

वृंदावन,नवसत्ता:ज्यादातर युवा आराम व सम्पन्नता की जिन्दगी बसर कर सके उसी के लिए धन-दौलत कमाने की उधेड़बुन में लगा हुआ है। आराम व सम्पन्नता की जिन्दगी में और इजाफा हो, उसके लिए अपनी कमाई में बढ़ोत्तरी की जुगत में लगा हुआ है जिससे आन-बान-शान बढ़े व दिल को सुकून भी मिले। ऐसे युवा कमाने की मकड़जान में में फँसकर उम्र के आखिरी पड़ाव के दहलीज पर पहुंच जाता है तब तक अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण वक्त खो देता है। यदि युवा अपने माता-पिता व पुस्तैनी पीढ़ियों से मिले आध्यात्मिक संस्कार भजन-कीर्तन व प्रभु भक्ति को अपनी जवानी में सही तरह से निवर्हन करता है तो उसे एकांकी जीवन से राहत व मानसिक शांति का अनुभव भी होगा।

भक्ति साधना में भजन व संकीर्तन का बड़ा ही महत्व होता है। इस भागदौड़ वाली जिन्दगी में ज्यादातर तरुण भजन व संकीर्तन के प्रति ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं। जबकि भजन व संकीर्तन भी प्रभु सुमिरन का सबसे सुगम मार्ग है। भजन व कीर्तन को सुनना व स्मरण व भजना भी ईश्वर भक्ति माना गया है। हमारे देश में भजन व कीर्तन की पारंपरिक शैली जो ज्यादातर शास्त्रीय गायन या सुगम संगीत व लोकसंगीत पर आधारित होती है। ऐसे में कई युवाओं को चकाचौंध व महानगरों तथा विदेशी धरातल वाली जिन्दगी में भारतीय भजन व संकीर्तन की शैली ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पा रही।
युवाओं व बच्चों सहित सभी के लिए भजन व कीर्तन को एक अलग अंदाज में प्रस्तुत करने वाला ‘माधवास रॉक बैण्ड’ पर दैनिक नवसत्ता की एक रिपोर्ट –
इस बैण्ड के प्रमुख मुखिया ने अतीत में झांकते हुए बताया कि उसका बचपन माता-पिता व बहन के साथ चंडीगढ़ में काफी उतार-चढ़ाव वाला ही था जिसके कारण वह अपनी किस्मत को कोसता व भगवान को खरी-खोटी सुनाता था। उसके पिता अच्छे संगीत शिक्षक प्रभु भक्ति करने वाले थे और वे संगीत व भक्ति पाठ अपने बच्चों व सभी विद्यार्थियों को देना चाहते थे। बचपन के दिन मेरी बहन ने भी देखे लेकिन उसने संगीत में एमए व गिटार वादन गायन भी सीखा। आज भी मेरे साथ पूरे जोश व हिम्मत से साथ खड़ी है।
पिता जैसे गुरु से संगीत की शिक्षा ग्रहण की और साथ ही गिटार जैसे बाद्ययंत्र में महारत भी हासिल की और उसने सन् 2009 में के शो रॉक आॅन में सर्वश्रेष्ठ गिराटवादक का खिताब अर्जित किया। तकनीकि शिक्षण कॉलेज में दाखिला लेने के बाद पढ़ाई व संगीत को साथ-साथ जारी रखने का मन बनाया हुआ था। कॉलेज की आज्ञा मिलने के बाद बैण्ड स्थापित किया जिसमें एक पार्श्व गायिका बनी जिसकी गायन शैली व प्रस्तुतिकरण दिल को छू रहा था और वह ही आज धर्मपत्नी है जिनका नाम उस समय नेहा था।
आगे बताते हैं कि वह नास्तिक नहीं थे परन्तु तंग आर्थिक हालात के चलते संगीत को कर्म के रूप में पूज्यनीय माना हुआ था। बैण्ड ने भक्ति संगीत को इंडियाज गॉट टैलेण्ट में प्रस्तुत करने का मन बनाया लेकिन बैण्ड की शो में सफलता के लिए भगवान से मन ही मन अरदास की। टेलीविजन के इस शो में भक्ति संगीत के नये स्वरूप को बहुत सराहा व शो के जज व युवाओं ने बहुत पसंद किया। यह प्रभु का चमत्कार से ओतप्रोत होकर स्वयं प्रभु भक्ति से जोड़ लिया।
शो से उत्साहित होकर प्रभु का धन्यवाद दिया और अपने बैण्ड द्वारा केवल भक्ति संगीत का प्रस्तुतिकरण करेंगे, इसका पूर्ण संकल्प कर लिया। बैण्ड प्रमुख से पहले ही पार्श्व गायिका व बहन व बैण्ड के अन्य सदस्य प्रभु भक्ति में लीन हो चुके थे। वे बताते हैं कि गहन मंथन में यह सामने आया कि युवाओं में किसी भी गीत में धमाल संगीत हो तो युवा उस गीत को याद कर लेते हैं व उसके संगीत की धुन पर थिरकने भी लगते हैं। निर्दोष सोचते थे कि बैण्ड द्वारा संकीर्तन की प्रस्तुति धमाल हो जाये तो युवा को भक्ति मार्ग पर लाया जा सकता है। धमाल को अंग्रेजी में रॉक कहते हैं।
चंडीगढ़ के इस्कॉन मंदिर में राधामाधव भगवान के सभी बैण्ड सदस्य भक्त थे इसलिए उन्होंने इस बैण्ड का नाम ‘माधवास रॉक बैण्ड’ रखा। चंडीगढ़ से बैण्ड का मुंबई आगमन बेहद आर्थिक तंगी भरा रहा। परन्तु उनका बैण्ड भक्ति संगीत में डूबा हुआ था इसलिए उन्हें उत्तर भारत से प्रस्तुतिकरण के अवसर मिलने लगे इस कारण आर्थिक हालात में थोड़ा सुधार भी होने लगा। भविष्य में आर्थिक तंगी से बचने को बैण्ड के अन्य साधव का विस्तार व जमीन की व्यवस्था का विचार केवल मन तक ही सीमित रह गया था।
वृन्दावन में आकर बैण्ड के लिए यह सब करने का विचार मन में कौंधा। पक्का यकीन हुआ कि भगवान ने ही हमे यह रास्ता सुझाया है। हमने देरी नहीं करके खुशी-खुशी हमने सन् 2020 में माधवास रॉक बैण्ड को वृंदावन बसा दिया। वृंदावन आने से पहले बैण्ड द्वारा देश-विदेश में कई प्रस्तति दीं और आज भी यह अनवरत जारी है साथ ही सोशल मीडिया प्रसारित युटूब चैनल 7 लाख से अधिक सब्सक्राबर हैं व इसी चैनल में प्रसारित कुछ वीडियोज 13 लाख से ज्यादा लोगों की पसंद बने हैं। बैण्ड के प्रमुख प्रभु भक्ति में रच बस गये अब उनका नाम नवकिशोर निमाईदास व बैण्ड की पार्श्व गायिका व उनकी धर्मपत्नी नन्दरानी गोपी देवी दासी व प्रमुख गिटार वादक उनकी बहन नामभक्ति देवी दासी के नाम से विश्व विख्यात हैं साथ ही बैण्ड के अन्य सदस्य भी प्रभु भक्ति में पूर्णरूप से समाए हुए हैं।
वृंदावन आने के बाद बैण्ड ने माधवास फाउंडेशन की स्थापना की। इस फाउंडेशन का मकसद कुछ ओर था परन्तु प्रभु की कृपा से व दान दाताओं के सहयोग से ब्रज के साधु संत व अन्य भूखों के 2020 के लाकडाउन से आज भी प्रतिदिन प्रसादम् (भोजन) व सुबह के वक्त पीने के लिए दूध का नि:शुल्क वितरण किया जाता है। व समयानुसार शीत ऋतु में गरम कपड़े व कंबल का भी वितरण किया जाता है।
बैण्ड के वृंदावन आने के बाद 50 लोगों की आजीविका भी बन गया है और इसमें विस्तार होना तय है। अब यह फाउंडेशन द्वारा गौशाला का भी निर्माण कराया जाएगा जिसमें गाय के दूध को कभी भी बेचा नहीं जाएगा। उसका सदुपयोग व आवश्यक बच्चों के लिए भी होगा। यह गौशाला एक एकड़ जमीन में स्थापित होगा। माधवास रॉक बैण्ड द्वारा बाल गोपाल स्टूडियो की स्थापना भी की गई है। इसका मकसद बच्चों को उनकी कच्ची उम्र से ही शास्त्र व धर्म का ज्ञान व भक्ति संगीत को खेल-खेल में सिखाने के विचार से इसकी नींव रखी गई है। इसका सकारात्मक असर दिखने भी लगा है।

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