एस एच अख्तर
रायबरेली,नवसत्ता:रायबरेली सीएमओ के मातहत उनके बस मे नही हैं।शहर से सटी देवानंदपुर सीएचसी पर साढ़े ग्यारह बजे पहुंचे स्टाफ ने किट न होने की बात कह कर कोरोना जांच कराने पहुंचे व्यक्ति को बाहर का रास्ता दिखा दिया।नवसत्ता ने इसकी शिकायत सीएमओ के मोबाइल नंबर पर की तो पूरा अमला हरकत में आया और पांच मिनट में किट भी उपलब्ध हो गई।दरअसल कोरोना का विकराल रूप सामने आते ही सरकारी महकमों के कार्यशैली की कलई खुलने लगी है।एक तरफ ट्रेसिंग टेस्टिंग और ट्रैकिंग पर सरकार का जोर है दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग उसी पुराने ढर्रे पर है।आम लोग खुद एंटीजेन और आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए पहुंच रहे हैं।लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कर्मचारी देर सबेर पहुंचने के साथ ही जांच करने में टाल मटोल कर रहे हैं।देवानंद पुर सीएच सी पर भी यही हुआ।यहां एक शिक्षिका अपनी जांच कराने पहुंची थीं।वहां मौजूद स्टाफ की तीन महिलाएं गप शप कर रही थीं और सत्या नाम का एक स्टाफ मोबाइल पर गेम खेल रहा था।शिक्षिका ने जांच के बाबत पूछा तो कहा अभिषेक जी जांच करते हैं।सत्या से अभिषेक का नंबर लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा मैं बरगद चौराहे पर हूं।यानि सीएचसी पर मौजूद स्टाफ और अभिषेक की बातों में फर्क है।कुछ देर में अभिषेक सीएचसी पहुंचे तो उन्होंने कहा दो बजे किट मिलेगी सीएमओ आफिस से।अर्थात अभिषेक सीएमओ आफिस पहुंचे ही नही।उनके चेहरे पर भी प्राइवेट जांच करने वाली कंपनी थाइरोकेयर का मास्क लगा था।इससे समझना मुश्किल नहीं कि कर्मचारी भी आपदा में अवसर तलाशते हुए तनख़्वाह सरकारी काम प्राइवेट लैब्स का कर रहे हैं।
मज़े की बात यह कि सीएमओ का नंबर किसी डॉक्टर कोठार ने उठाया।उनसे यह बताने पर कि आपका स्टाफ पौने बारह बजे पहुंच रहा है,डॉक्टर साहब ने उसका संज्ञान ही नहीं लिया।समझना मुश्किल नहीं कि सीएम भले अपनी जान पर खेल कर इस आपदा में दिन रात मेहनत कर रहे हों लेकिन उनके अफसर से लेकर कर्मचारी तक अभी भी लापरवाह ही बने हैं।