लखनऊ, नवसत्ता: राजधानी लखनऊ में कोरोना का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। मेडिकल कॉलेज, राम मनोहर लोहिया अस्पताल और सिविल अस्पताल जैसे चिकित्सालयों में मरीजों की भरमार के कारण बेड की कमी लगातार बनी हुई है । इनमें कई सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर कोरोना पीड़ित होने के कारण जहां कोरन्टीन हैं वही दूसरी ओर 31 वरिष्ठ सरकारी डॉक्टर्स ऐसे भी हैं जो गत एक अप्रैल से बिना कोई काम किये बस चिकित्सा महानिदेशक के कार्यालय में हाजिरी लगाकर घर वापस आ रहे है। इनके पास न तो कोई काम है और न ही इन्हें किसी प्रकार की ड्यूटी दी गई है।यह सभी पीएमएस सेवा के वरिष्ट डॉक्टर 31 मार्च तक डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सम्बद्ध थे। इन्हें 2 वर्ष के लिए लोहिया अस्पताल में मरीजों के उपचार हेतु सम्बद्ध किया गया था। जिनकी संबद्धता अवधि गत 31 मार्च को समाप्त हो जाने के बाद लोहिया अस्पताल से उन्हें वापस कर दिया गया। यह सभी वरिष्ठ चिकित्सक हैं स्वास्थ्य महानिदेशक के कार्यालय में जाकर केवल हाजिरी लगा रहे हैं ।इस कॅरोना के गंभीर संकट में जब राजधानी के कई बड़े सरकारी अस्पतालों में मरीजों के उपचार हेतु डॉक्टरों की सख्त जरूरत है, यह31 डॉक्टर बिना सेवा प्रदान किये बैठे बैठे वेतन ले रहे है। चिकित्सा एवं स्वस्थ विभाग की लापरवाही का इससे बड़ा दूसरा कोई उदाहरण नही हो सकता है।
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