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तैयारी पूरी है पर ग्रामीणों को कौन समझायें

राय अभिषेक
रायबरेली,नवसत्ता: ज़िले में पिछले दिनों के मुकाबले मौजूदा वक़्त में कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए हैं।सरकारी आंकड़ों से हटकर बात करें तो भी ज़मीनी स्तर पर मामले कम ही नज़र आ रहे हैं।हालांकि ग्रामीण इलाकों में स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं कही जा सकती है।इसके पीछे भी कारण ग्रामीणों में जागरूकता की कमी बताई जा रही है।नवसत्ता के सर्वे में यह सामने आया है कि प्रशासनिक स्तर पर सभी तैयारियां होने के बावजूद ग्रामीणों में जागरूकता का अभाव इस महामारी को रोकने में रोड़ा बन रही है।
जिले स्तर पर कोरोना संक्रमण के फैलाव् को लेकर प्रशाशन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे आंकड़ो और वास्तविक स्थिति की समीक्षा यदि की जाये तो शहरी क्षेत्र में कोरोना संक्रमण के मामलो में गिरावट आई है जिसकी प्रमुख वजह यहाँ पर रह रहे नागरिक है जो नाकि सिर्फ जागरूक है बल्कि स्वतः किसी भी प्रकार के कोई भी लक्षण के विदित होने की स्थिति में अपनी जांच के लिए आगे आते है और टीका लगवाने के लिए तो अस्पतालों या टीकाकरण केंद्र में सुबह से लगने वाली लम्बी कतारे अपनी कहानी स्वयं बयां करती है| शहरी क्षेत्र से हटकर जब हम गाँवों की तरफ बढ़ते है तो आंकड़ो के मुताबिक स्थिति विपरीत ही बनी हुई है| प्रशाशन और स्वास्थ्य विभाग रोज़ जद्दोजहद कर रहा है कि कैसे लोगो को घर से निकाल के उनकी जांच कराई जाये या टीकाकरण कराया जाये जिससे कि संक्रमण की अवस्था में हानि कम से कम हो|
इसी मुद्दे को लेकर नवसत्ता ने आज जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षको से संपर्क साधा और उनसे जानना चाह की उनके अपने अपने क्षेत्र में कोरोना संक्रमण के आंकड़ो को यदि छोड़ दे तो वास्तविक स्थिति है क्या? जांच का काम कैसे चल रहा? स्वास्थ्य विभाग में वैक्सीन की क्या उपलब्धता है? लोगो जागरूक है और सहयोग कर रहे है या नहीं और क्या जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संस्थाओ की जरूरत है? लगभग सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षकों का एक स्वर में कहना है कि सरकार ने सबसे पहले हम लोगो का टीकाकरण करावा कर जो अति सराहनीय कार्य किया क्यूंकि यदि हमारा टीकाकरण नहीं हुआ होता तो दूसरी लहर का कुप्रभाव झेलना असंभव हो जाता और हादसों का आंकड़ा लगाना भी मुश्किल हो जाता, हम सब सीधे संक्रमित और असंक्रमित लोगो के संपर्क में रहते है और वास्तव में सबसे ज्यादा खतरा और तनाव से सामना हमरी पूरी टीम का ही होता है| जब से कोविड की जांच और टीकाकरण शुरू हुआ है तब से हम पूरा प्रयास कर रहे है कि हर एक घर में हमारी सुविधाओं का लाभ पहुचे लेकिन गाँववालो को समझाना एक टेढ़ी खीर के सामान है| हमारी निगरानी टीमे जिसमे आशा बहुएं है एनएम आदि है को वास्तव में अत्यंत विषम परिस्थितियों का सामना पड़ता है यहाँ तक कि कई जगहो पर उनके साथ अभद्रता करी जाती है और असभ्य भासा का इस्तेमाल तक होता है| जागरूक लोग किनकी संख्या कम है, वे आगे आकर अपनी जांच भी कराते है और टीका भी लगवाते है पर ज्यादातर जगहों पर जांच करवाने के नाम पर लोग दरवाजा नहीं खोलते या घर बंद करके चले जाते है और यदि किसी व्यक्ति को कोई स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या है भी तो वो बहार नहीं आता| हम पुलिस बल आदि का प्रयोग नहीं कर सकते क्यूंकि हमें इन्हें आज भी बचाना है और कल भी| टीकाकरण की स्थिति तो और भी बुरी है| ऐसा नहीं है कि हमारे पास टीकों की समस्या है, कभी कमी पड़ने की अवस्था में जिले स्तर से टीकें हमें तुरंत उपलब्ध हो जाते है या हम निकट स्वास्थ्य केंद्र से मंगवा लेते है पर जमीनी हकीकत यह है कि लोग टीका लगवा ही नहीं रहे क्यूंकि उन्हें हर जगह फैली हुई भ्रांतियों पर ज्यादा विश्वास है और सही बात तो यह है कि जागरूकता की बहुत ज्यादा कमी है हमारे ग्रामीण क्षेत्र में| हम तहसील स्तर से लेकर ब्लाक और ग्राम स्तर तक के सभी प्रशासनिक अधिकारियो और सदस्यों के साथ योजना बनाते है और ये चाहते है की इस कार्य में ग्राम प्रधान, कोटेदार, प्रभ्शाली व्यक्ति सभी आगे आये जिससे कि स्थानीय लोग उनसे सलाह मशवरा करके अपनी जांच करवाएं और टीकाकरण  जरूर कराये|

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