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क्या कल जेल जाएंगे रामदेव..?

नीरज श्रीवास्वत
नई दिल्ली,नवसत्ता। भ्रामक विज्ञापन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पतंजलि के संस्थापक रामदेव और एमडी बालकृष्ण के खिलाफ सुनवाई होनी है। भ्रामक विज्ञापन के साथ साथ उन पर अवमानना का भी मामला सुना जाएगा। विधि विशेषज्ञों के मुताबिक दोनो मामलों में रामदेव बुरी तरह फंस चुके हैं और इस बात से इंकार नहीं है कि उन्हें जेल जाना पड़ सकता है।

कभी हरिद्वार के कनखल में साइकिल से घूमने वाले रामकृष्ण यादव उर्फ रामदेव आज लगभग 30 हजार करोड़ की कम्पनी पतंजलि के कर्ता धर्ता हैं हालांकि कागजों पर कंपनी के 93 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी उनके करीबी आचार्य बालकृष्ण के पास है, जो अभी पतंजलि आयुर्वेद के एमडी, चेयरमैन और सीईओ हैं। रामदेव कंपनी के ब्रांडिंग प्रमोटर हैं और कंपनी की मार्केटिंग के लिए अपने चेहरे का इस्तेमाल करते हैं।

शुरूआत में रामदेव केवल योग सिखते थे और उससे बीमारियां ठीक करने का दावा करते थे परन्तु फिर उन्होंने दवायें बनाना शुरू कर दिया। 1995 में उन्होंने बालकृष्ण के साथ मिलकर आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए दिव्य फार्मेसी के नाम से कारोबार शुरू किया, जो वर्ष 2006 में पतंजलि ब्रांड बन गया। कंपनी में शीर्ष पदों पर भर्ती से लेकर मार्केटिंग और ब्रांडिंग तक सभी काम बालकृष्ण ही देखते हैं।

विवादों से पुराना नाता रहा है रामदेव का

रामदेव का विवाद से नाता नया नहीं है। कंपनी के शुरूआती साल 2006 में ही मार्क्सवादी नेता वृंदा करात ने रामदेव पर पंतजलि की दवाओं में इंसानों और जानवरों की हड्डियों को मिलाने का आरोप लगाया था। इसको लेकर खूब विवाद हुआ था। बाद में पतंजलि ने आरोपों से इनकार किया था। इसके लगभग एक दशक बाद, पश्चिम बंगाल की एक लेबोरेटरी में गुणवत्ता परीक्षण में विफल होने के बाद सेना ने अपने कैंटीन से पतंजलि आंवला का रस वापस ले लिया था।

साल 2016 में पतंजलि के सरसों तेल के विज्ञापन को लेकर सवाल उठे थे। खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सटैक्ट्रस असोसिएशन ऑफ इंडिया का आरोप था कि पतंजलि के कच्ची घानी सरसों तेल के विज्ञापन झूठा और भ्रामक है। एसईए के बयान में कहा गया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा प्रकाशित सरसों तेल का मौजूदा विज्ञापन उचित नहीं है। इस विज्ञापन में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टेड तेलों के बारे में भ्रामक और झूठे बयान दिए गए हैं। एसईए ने पतंजलि को साक्ष्य दस्तावेजों के साथ एक विस्तृत ज्ञापन-पत्र भेजा था। साथ ही ज्ञापन में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टेड तेलों के खिलाफ दिए गए भ्रामक बयानों को वापस लेने का निवेदन किया था। वहीं, 2022 में राजस्थान में पतंजलि के सरसों का तेल गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं पाया गया था।

पतंजलि के गाय के घी की गुणवत्ता पर सवाल

साल 2022 में पंतजलि के गाय के घी में मिलावट सामने आई थी। उत्तराखंड में खाद्य सुरक्षा विभाग की तरफ से किए गए परीक्षण में शुद्ध गाय का घी खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरा था। पतंजलि के शुद्ध गाय घी का नमूना उत्तराखंड के टिहरी में एक दुकान से लिया गया था। इसे एक राज्य प्रयोगशाला में भेजा गया था जहां इसे मिलावटी और संभावित रूप से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाया गया था। आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए बाबा रामदेव ने इस परीक्षण को उनकी कंपनी और पतंजलि के देसी घी को बदनाम करने की साजिश बताया था। इसके अलावा पतंजलि के नूडल्स को लेकर भी विवाद हुआ था। दिसंबर 2022 में बीजेपी नेता और सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बाबा रामदेव को मिलावटखोरों का राजा करार दिया था। उन्होंने पतंजलि के उत्पादों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू करने की धमकी भी दी थी।

कोरोनिल दवा को लेकर हुआ था विवाद

साल 2021 में पतंजलि की तरफ से हरिद्वार के दिव्य प्रकाशन पतंजलि अनुसंधान संस्थान में विकसित कोरोनिल टैबलेट लॉन्च किया था। पतंजलि की तरफ से दावा किया गया था कि यह सात दिनों में कोविड -19 को ठीक करता है। हैरानी की बात यह है कि कोरोनिल की लांचिंग के समय केन्द्र सरकार के दो -दो मंत्री मौजूद थे।


इंडियन मेडिकल एसोसिशन की तरफ से इस पर कड़ी आपत्ति जताई गई थी। पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से उस समय दावा किया था कि इस टैबलेट को आयुष मंत्रालय से डब्ल्यूएचओ की प्रमाणन योजना के अनुसार कोविड के इलाज में मददगार दवा के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है। विवाद बढ़ने का बाद इस मामले में पतंजलि को सफाई देनी पड़ी थी। इसमें कहा गया था कि प्रमाणन केंद्र की तरफ से और किसी भी दवा को स्वीकृत या अस्वीकृत नहीं करता है। आयुष विभाग की सख्ती के बाद इस दवा को इम्युनिटी बूस्टर बता कर बेचा जाने लगा था।

साल 2022 में पांच दवाओं पर रोक

उत्तराखंड के आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाओं के अधिकारियों ने पतंजलि की दिव्य फार्मेसी को नवंबर, 2022 को पांच दवाओं का उत्पादन रोकने और मीडिया में विज्ञापन हटाने के लिए कहा था। स्टेट अथॉरिटी पंतंजलि ग्रुप की दवाओं बीपीग्रिट, मधुग्रिट, थायरोग्रिट, लिपिडोम और आईग्रिट गोल्ड के उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन दवाओं को इन बीमारियों के इलाज के रूप में आक्रामक रूप से प्रचारित किया गया। बाद में कंपनी दिव्य फार्मेसी की तरफ से संशोधित फॉर्म्यूलेशन की जानकारी दी गई था। इसके बाद फिर से इन दवाओं के उत्पादन को हरी झंडी दे दी गई थी।

कोर्ट की अवमानना में कैसे फंसे रामदेव..?

अगस्त 2022 में आईएमए ने याचिका दायर कर पतंजलि पर आरोप लगाया था कि कोविड के समय सरकारी विज्ञापनों के खिलाफ अपनी दवाइयों का प्रचार किया था। पतंजलि ने कोविड को ठीक करने का दावा भी किया था। कंपनी के ऐसे विज्ञापनों से डॉक्टर्स नाराज हो गए थे।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2023 में सुनवाई के दौरान कहा था कि कंपनी ऐसे भ्रामक विज्ञापन छापना बंद कर दे। साथ ही यह कहा कि वह मेडिकल सिस्टम पर भी बयान न दे, जिससे लोग अपनी सुविधा के अनुसार इलाज करा सकें और किसी के प्रभाव में न आएं। लेकिन, पतंजलि के विज्ञापन पर रोक नहीं लगी। बाबा रामदेव ने 23 नवंबर 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने डायबिटीज और अस्थमा को ठीक करने का दावा किया। यही नहीं, दिसंबर 2023 में कंपनी का एक विज्ञापन छपा, जिसमें रामदेव और बालकृष्ण की फोटो थी।

इस पर जज हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने 27 फरवरी को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड फटकारा था और कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर जवाब देने को कहा था। साथ ही हाजिर न होने पर नतीजा भुगतने की चेतावनी दी थी। एलोपैथिक फर्मास्यूटिकल पर अपनी विवादित टिप्पणी करने के लिए आईएमए के द्वारा कोर्ट में दायर की गई आपराधिक मामलों का सामना करने के लिए रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।


सुप्रीम अदालत के कड़े रूख को देखते हुए गत दो अप्रैल को भ्रामक विज्ञापनों के मामले पर रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और भरी अदालत में माफी मांगनी पड़ी और हो सकता है उन्हें सजा भी भुगतनी पड़े।
विधि विशेषज्ञों के मुताबिक भ्रामक विज्ञापनों के मामले में पहली गलती पर छह माह की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है। दोबारा इसी तरह का मामला सामने आने पर सजा दोगुनी करने यानी एक साल जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

सुप्रीम कोर्ट कर नाराजगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने इन दोनों को माफी देने से इंकार करते हुए कहा था कि सर्वोच्च अदालत ही नहीं, देश की किसी भी अदालत का आदेश हो, उसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए। अदालत ने कहा कि आपने क्या किया है, उसका आपको अंदाजा नहीं है। हम अवमानना की कार्यवाही करेंगे।

बुधवार को जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी तो भ्रामक विज्ञापन मामले के साथ-साथ अवमानना मामले की भी सुनवाई होगी और दोषी पाए जाने पर इस मामले में भी दोनों को सजा मिल सकती है।

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