रमाकांत बरनवाल
सुलतानपुर, नवसत्ता:- जनपद का पौराणिक धाम धोपाप धाम जहां प्रभु श्रीराम ने रावण के वध के पश्चात स्नान किया व वहीं से तीन किलोमीटर पूरब कादीपुर तहसील कटसारी के दक्षिण का गांव धनहुआ जहां श्रीराम जी ने अपना धनुष धोया जो पहले धनु धोवा के नाम से प्रसिद्ध था और अब वह धनहुआ नाम से प्रसिद्ध गांव है जिसे लगभग विस्मृत किया जा चुका है। ग्रीष्मकालीन गंगा दशहरा स्नान करने जहां श्रद्धालु धोपाप धाम पर स्नान करने पहुंचते हैं वहीं श्रद्धालुओं का तांता कटसारी के निकट धनहुआ घाट पर भी स्नान करते समय देखा जा सकता है जहां स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रशासन का भी ध्यान नहीं जाता और वह उपेक्षित रहता है।
धनहुआ नाम का प्रसंग पद्म पुराण में भी आया है जो तीर्थराज धोपाप महात्म्य को भी संदर्भित करता है। पद्मपुराण के अनुसार धोपाप कथा को देवों के देव महादेव जी ने पार्वती जी को सुनाया था त्रेता युग में भगवान राम को जब रावण वध के पश्चात ब्रह्म हत्या का पाप लगा हुआ था तब वे स्वयं धोपाप महातीर्थ में स्नान कर और धनहुवा के गोमती नदी में स्थित भृगु कुंड में अपना सारंग धनुष धोकर पूर्णत: पाप मुक्त हुए थे। कालांतर में उसी आख्यान व अवधारणा को स्वीकार करते हुए यह गांव धनहुआ के नाम से आज भी प्रसिद्ध है। इस गांव के सम्बन्ध में एक उक्ति बहुत ही प्रचलित है जिसके चलते धनहुआ गांव को अछूता नहीं छोड़ा जा सकता —
‘पाप धोय धोपाप में धोये धनुष धनहुआ’
‘दियरा दीपक दान किय, गए राम निज ठउंआ’।।
आज जब श्रीराम जन्मभूमि पर विशाल मन्दिर बन रहा है व उसी मन्दिर में श्रीराम लला की वैदिक विधि-विधान से प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि 22 जनवरी घोषित हो चुकी है उस समय श्रीराम जी के जीवन से सम्बंधित घटनाओं का स्मरण व जीवन लीलाओं से सम्बन्धित उद्धरण बरबस अपने आप सनातनियों के होंठों पर प्रस्फुटित होने लगती हैं।
उक्त के सम्बन्ध में धनहुआ निवासी सन्त तुलसीदास महाविद्यालय के हिन्दी विभाग में शिक्षण कार्य कर रहे सहायक आचार्य अवनीश प्रताप पान्डेय ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व हैं जिनकी तुलना तुलसीदास जी महाराज ने सागर व हिमालय से किया है और राम का व्यक्तित्व हिमालय जैसा है और आज राष्ट्र को राजनीति नहीं रामनीति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि श्रीराम जी का व्यक्तित्व व चरित्र का उदाहरण अन्य कहीं भी ढूंढने पर नहीं मिलेगा और ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का धनहुआ गांव को स्पर्श करना हम सभी के लिए बहुत ही गौरव का विषय है