रमाकांत बरनवाल
सुलतानपुर, नवसत्ता :-जनपद के कादीपुर तहसील का एक गांव जहां का होनहार श्रवण कुमार मिश्र जिनकी बचपन से ही क्रिकेट खेलने में रुचि रही तथा अपने ही गांव के मैदान व बगीचों में अपने साथियों के साथ क्रिकेट खेल में भाग लेते रहे और एक दिन ऐसा भी रहा जब श्रवण देश के विभिन्न प्रमुख शहरों लखनऊ , कानपुर, नोएडा, बड़ोदरा (गुजरात) की क्रिकेट प्रतियोगिता में शामिल हुए और अब अबू धाबी विदेशी टीम के साथ खेलने के बाद श्रवण मिश्र को अपनी मेधा के बल पर ही यू ए ई जैसे विदेशी क्षेत्र में खेलने का आमंत्रण मिल रहा है।
आगामी 24 जनवरी 2024 को यू ए ई में आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिता में भाग लेकर श्रवण देश प्रदेश ही नहीं जनपद के साथ अपने गांव तहसील व अपने गांव का भी नाम रोशन करते हुए विदेश में भी परचम लहराएंगे।कादीपुर तहसील क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थित मोहम्दाबाद गांव जहां श्रवण मिश्र एक सामान्य परिवार में जन्में जिनकी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा कस्बे के सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज झारखंड से हुई।बचपन से ही क्रिकेट के प्रति श्रवण के लगाव को देख उनकी इस शौक को पूरा करने के लिए गांव मे छोटी सी किराने की दूकान चलाने वाले उनके पिता उमेश चंद्र मिश्र बड़े पिता श्रीपति मिश्र व उनके चाचा अधिवक्ता संतोष मिश्र की राय सलाह से उन्हें कानपुर क्रिकेट प्रशिक्षण अकादमी भेज दिया जहां से परिपक्व हो वे और आगे बढ़े।
बताया कि बड़ोदरा (गुजरात) में कुछ महीने खेलने के बाद उनकी मुलाक़ात पांड्या ब्रदर्स हार्दिक व कुणाल पांड्या से हुई जिन्होंने उनका हौसला आफजाई किया।आगे बढ़ने में उक्त के अलावा उन्हें क्रिकेटर्स अभिनेता व उद्योगपतियों का भी सहयोग मिला। बिदेश से वापस आये श्रवण ने आगे कहा कि गुरूमीत सिंह भामरा और कपिल झावेरी ने उनके क्रिकेट कैरियर को आगे बढ़ाने में बहुत योगदान दिया और इसी बीच नोयडा एकेडमी में क्रिकेटर उत्तराखंड निवासी राकेश से मुलाकात हुई जो इस समय यू ए. ई में हैं जिनके सहयोग से वे यू ए ई देश में होने वाले क्रिकेट ‘अबूधावी टी टेन के खिलाडी हैं। 24 जनवरी में आयोजित होने वाले वहां के डोमेस्टिक मैच में ‘टीम इलेवन’ का हिस्सा होते हुए श्रवण मिश्र टीम के उपकप्तान बनाए गए हैं जो एक नए अंदाज में खेल में भाग लेंगे।
अबूधावी से लौटे श्रवण ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहा कि इन उपलब्धियों में ईश्वर की कृपा ,बाबा बजरंगबली के आशीर्वाद व परिवार तथा मित्रगण व शुभचिंतकों की शुभकामनाओं का प्रतिफल है व कहा कि छ: वर्षों में उन्हें कितने संघर्षों का सामना करना पड़ा व उतार चढ़ाव देखा इसे वे स्वयं व सिर्फ स्वयं ही महसूस कर सकते हैं तथा अन्य युवाओं को एक सन्देश देते हुए कहा कि अपने भीतर कुछ अच्छा कर गुजरने की जिद व जिज्ञासा की भूख रहते किसी भी प्रतियोगिता व क्षेत्र में सफलता अवश्य मिलती है। उक्त उद्गार खिलाड़ी श्रवण मिश्र ने नवसत्ता संवाददाता से हुए एक साक्षात्कार में व्यक्त किया।