चांद पर तो गढ्ढे ही गढ्ढे, ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले चंद्रयान- 3 ने भेजी तस्वीरें
नई दिल्ली,नवसत्ता। अब किसी की सुंदरता की तुलना चांद से करने के पहले सौ बार सोचियेगा। आप का यह बयान भारी पड़ सकता है। अब चांद से महबूब से तुलना के मायने भी बदल जाएंगे,क्योंकि चांद की सतह पर तो बड़े-बड़े गढ्ढे हैं। चन्द्रयान-3 ने ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले जो तस्वीरें भेंजी हैं उससे साफ दिख रहा है कि चंन्द्रमा की सतह कितनी उबड़ खाबड़ है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘लैंडर हजार्ड डिटेक्टशन एंड अवॉइडेंस कैमरा (एलएचडीएसी) में कैद की गई चंद्रमा के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें आज जारी कीं। इसरो की ओर से चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी जारी है।
https://www.isro.gov.in/Chandrayaan3_onboard_video.html
इसरो की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक बुधवार शाम को चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरना है। यह इलाका बड़े-बड़े गड्ढों से भरा है। इसके बीच चंद्रयान उतरने के लिए सपाट मैदान खोज रहा है। चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए चंद्रयान का विक्रम लैंडर अलग हो गया है। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के कई लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लैंडर में एलएचडीएसी जैसी कई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं।
कब लॉन्च हुआ चंद्रयान-3?
चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 14 जुलाई को किया गया था और इसका मकसद चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग की उपलब्धि हासिल करना है। इसरो ने रविवार को कहा कि रोवर के साथ लैंडर मॉड्यूल के बुधवार को शाम तकरीबन छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना है। चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बना देगी।
सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर लैंडर मॉड्यूल से बाहर आएगा और अपने पेलोड अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर के माध्यम से चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा, ताकि रासायनिक संरचना का पता लगाया जा सके और चंद्रमा की सतह की समझ को और बढ़ाने के लिए खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके।