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मणिपुर के सीएम ने इस्तीफा देने से किया इन्कार…

इंफाल, नवसत्ताः  पिछले दो महीने से करीब मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। बीते दिनों तीन समुदाय में भड़की हिंसा के कारण हर वर्ग के लोगों को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है पिछले दो महीनों से बच्चों की पढ़ाई हिंसा के वजह से ठप हो गई है। कई लोगों को खाने के लाले पड़े हुए हैं तो कई अपने ही घर से बेघर हो गए हैं। ऐसे में मणिपुर के सीएम एन. बीरेन पर कई सवाल उठाए जा रहे थे। विपक्ष और विपक्षी नेता मणिपुर की हिंसा को केंद्र सरकार की नाकामी बता रहे हैं। सत्ता पक्ष इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहा है। आलम यह है कि रोजाना किसा न किसी की जान जा रही है।

 

वहीं ऐसे में शुक्रवार को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्‍तीफा देने की खबरें आईं। मिली हुई जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह दोपहर बाद राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलकर इस्तीफा देंगे। जिसके बाद कई महिलाओं ने मुख्‍यमंत्री सचिवालय और राजभवन के सामने प्रदर्शन किया और मुख्‍यमंत्री से इस्‍तीफा न देने की गुहार लगाई। इतना ही नहीं सैकड़ों महिलाओं ने सीएम के काफिले को बीच रास्ते में रोक लिया और उनके इस्तीफे की एक कॅापी को फाड़ दिया, साथ ही सीएम से यह अपील की वह इस्तीफा देने के बजाय हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लें। इस पर सीएम ने सैकड़ों की भीड़ को शान्त कराते हुए कहा फिलहाल वो इस्‍तीफा नहीं दे रहे हैं। इसके बाद सीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ऐसे संकट के समय मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दूंगा।

हिंसा कब रुकेगी:मणिपुर के मुख्यमंत्री का इस्तीफा; महिलाओं ने नामंजूर कर दिया  – Punjab Ka Sach

आखिर दो महीने पहले मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा…
दरअसल, मणिपुर में तीन प्रमुख समुदाय हैं। मैतेई, नगा और कुकी। नगा और कुकी जनजाति के तहत आते हैं और ईसाई धर्म को मानते हैं। मैतेई वैष्णव हिंदू हैं। आबादी के हिसाब से मैतेई की जनसंख्या पचास प्रतिशत है, लेकिन वे राज्य के केवल दस प्रतिशत हिस्से में रहते हैं। नगा और कुकी की आबादी का प्रतिशत 34 है लेकिन वे राज्य की नब्बे प्रतिशत भूमि पर रहते हैं।

मैतेई का कहना है कि हमारे राजा ने कभी इन कुकी को म्यांमार से लड़ने के लिए भाड़े पर बुलाया था, लेकिन ये यहां कब्जा जमाकर बैठ गए। कुकी का कहना है, यहां की जमीन, यहां के पहाड़ हमारे देवता हैं। हम इन्हें छोड़ नहीं सकते। कुकी का मानना है कि मैतेई पैसे वाले हैं। संपन्न हैं। अगर इन्हें आदिवासी घोषित कर दिया तो ये हमारी जमीन खरीदकर हमें ही बेघर कर देंगे।

इसके उलट कुकी का कहना है कि हम 1949 में मणिपुर के भारत में शामिल होने के वक्त आदिवासी ही थे। कहा जाता है कि यहाँ के मैतेई राजा वैष्णव हो गए थे और बाद में उन्हीं ने अपनी प्रजा को भी वैष्णव बनाया था।

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