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अमेरिकी कमीशनः भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों के साथ कर रही भेदभाव…

नई दिल्ली, नवसत्ताः अमेरिका में एक कमीशन ने हर साल की तरह इस साल भी भारत को धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर ब्लैक लिस्ट करने का सुझाव दिया है। कमीशन ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव कर रही हैं।

आपको बता दे कि अमेरिका के इंटरनेशनल रीलिजस फ्रीडम ने लगातार चौथी साल ऐसा करने का सुझाव दिया है। 2022 की सालाना रिपोर्ट में कमिशन ने कहा है कि भारत को विशेष चिंता वाले देशों की सूची में डाला जाना चाहिए। इस सूची में आने के बाद भारत और भाजपा सरकार पर आर्थिक पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। इसके साथ ही कमीशन ने कहा है कि भारत सरकार न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि राज्य और लोकल स्तर पर भी ऐसे कानून बना रही है जिससे अल्पसंख्यकों से भेदभाव हो रहा है और गौ हत्या ,धर्म परिवर्तन और हिजाब पर बने कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि इन कानूनों की वजह से मुस्लिमों, ईसाईयों, सिखों, दलितों और आदिवासियों पर नेगेटिव असर पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार विरोधियों की आवाज को दबा रही है। खासकर उनकी जो अल्पसंख्यक समुदाय के हैं और अपने हकों की आवाज उठाते हैं।

भारत: नागरिकता विधेयक में मुसलमानों के साथ भेदभाव | Human Rights Watch

बाइडेन की भारत के खिलाफ नीति हई नाकाम
अमेरिका का इंटरनेशनल रीलिजस फ्रीडम कमिशन केवल सुझाव दे सकता है। ये सरकार की मंशा पर निर्भर करता है कि वो इसे मानेगी या नहीं। कमिशन ने पहले भी 3 बार भारत को ब्लैक लिस्ट करने का सुझाव दिया था जिसे वहां की सरकार ने स्वीकार नहीं किया। इस पर कमिशन ने बाइडेन की सरकार पर सवाल उठाए हैं। जिसमें कमिशन बाइडेन पर सवाल उठाते हुए कहा कि बाइडेन भारत के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकामयाब रहे हैं। अमेरिका हमारे सुझावों के बावजूद भारत से रिश्ते मजबूत कर रहा है। 2022 में दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार 98 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। बाइडेन भी कई मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी से मिल चुके हैं।

जिस पर विदेश मंत्रालय ने कहा- बड़ी अफ़सोस की बात है..

बता दे कि अमेरिकी आयोग ने हर साल की तरह पिछले साल जून में भी भारत को इस सूची में रखने का सुझाव दिया था। लेकिन इस पर सरकार ने अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को ‘गलत’ बताया था। साथ साथ ही भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ‘अफ़सोस की बात है, कि यूएससीआईआरएफ अपनी रिपोर्ट में बार-बार तथ्यों को गलत तरीके से पेश करती है।’ ‘हम अपील करेंगे कि पहले से बनाई गई सोच और पक्षपातपूर्ण नजरिये के आधार पर किए जाने वाले मूल्याकंन से बचा जाना चाहिए।’

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