लखनऊ, नवसत्ताः उत्तर प्रदेश के विकास के साथ- साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों से जुड़ी समस्याओं को कम करने के लिए भी पूरा जोर दे रहे हैं, और प्रदेश के विकास के साथ साथ वह किसानों के हित को ही सर्वोपरि मानते हैं, और मिलों के संचलन की व्यवस्था को दुरूस्त करने के बाद सरकार का जोर अब गन्ने की खेती को और लाभप्रद बनाने पर लगा हुआ है।
हालांकि कि यह किसान और सरकार दोनों ही जानते हैं कि यह तब ही संभव हो पाएगा जब किसान अपने पैदावार में कम लागत लगाकर अधिक मुनाफा पाएगें। जिसके लिए उन्हें समय पर कृषि निवेश की उपलब्धता एवं सिंचाई के अपेक्षाकृत दक्ष संसाधनों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। जिसके लिए सरकार ने गन्ना विभाग संस्थान द्वारा एक नई नीति तैयार की हैं, जिसमें किसानों को गन्ने की फसल के लिए कम ब्याज में ऋण उपलब्ध कराया जायेगा।
आपको बता दें कि इसी क्रम में गन्ना विभाग ने एक नीति की पहल की है कि वह ड्रिप इरीगेशन से आच्छादन के लिए किसानों को 20 फीसद ब्याज मुक्त ऋण देगी। इसकी अदायगी गन्ना मूल्य भुगतान से हो जाएगी। यह ऋण किसानों को चीनी मिलें एवं गन्ना विकास विभाग उपलब्ध कराएगा। इससे प्रदेश के 90 फीसद से अधिक गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। यह किसानों का वही वर्ग है जो चाहकर भी संसाधनों की कमीं की वजह से खेती में यंत्रीकरण का अपेक्षित लाभ नहीं ले पाता है। लिहाजा अधिक श्रम एवं संसाधन लगाने के बावजूद भी उसे हताश होना पड़ता है। लेकिन ड्रिप इरीगेशन (टपक प्रणाली) के जरीये हम कम समय मे फसल को जरूरत भर पानी देकर पानी की बर्बादी के साथ सिंचाई की लागत भी बढ़ा सकते हैं और इसके लिए किसानों को वर्षा पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, और इस योजना में पानी की सुविधा के साथ साथ सरकार ने अन्य पर भी ध्यान दिया हैं।
क्योंकि ड्रिप इरीगेशन के कई लाभ हैं। पानी की बचत के अलावा किसान इससे सीधे पौधों की जड़ों में पानी में घुलनशील उर्वरकों (वाटर सॉल्यूबल फर्टीलाइजर्स) भी दे सकते है। इस तरीके से खाद के पोषक तत्त्वों की अधिकतम प्राप्ति से गन्ने की उपज भी बढ़ा सकेगें। मसलन सिंचाई एवं इसे करने में श्रम की बचत, कम खाद के प्रयोग में बेहतर उपज होगी। लिहाजा खेती की घटी लागत एवं बढ़ी उपज से किसानों की आय बढ़ेगी, और इस योजना के तहत योगी सरकार लघु सीमांत किसानों को तय रकबे के लिए 90 फीसद एवं अन्य किसानों को 80 फीसद तक अनुदान देती है। जिससे किसानों को कम लागत में अधिक लाभ की प्राप्ति हो सके।