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बातचीत से रूस-यूक्रेन युद्ध के हल का दबाव बना रहे, जर्मन चांसलर संग मीटिंग के बाद पीएम मोदी का बड़ा बयान

नई दिल्ली, नवसत्ताः भारत आए जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज संग बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने में भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है। भारत कूटनीति और बातचीत के जरिए यूक्रेन संघर्ष को हल करने के लिए दबाव बना रहा है। शोल्ज संग बैठक के बाद पीएम मोदी ने कहा, ‘कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। हम इस बात से सहमत हैं कि इन समस्याओं का समाधान संयुक्त प्रयासों से ही संभव है और जी-20 की अध्यक्षता करने के दौरान भी भारत इस दिशा में कोशिश कर रहा है।’ जर्मन चांसलर ने इस दौरान कहा, ‘युद्ध के कारण भारी नुकसान हुआ, बुनियादी ढांचे और ऊर्जा ग्रिड खत्म हो गए। यह एक आपदा है। रूसी हमले के परिणामों से दुनिया प्रभावित हो रही है। आप हिंसा से सीमाओं को नहीं बदल सकते।’ शोल्ज ने कहा कि यह साफ रूप से बताना अहम है कि हम रूस-यूक्रेन संघर्ष के इस विषय पर कहां खड़े हैं। दोनों नेताओं के बीच सीमापार से आतंकवाद और अलगाववाद की समस्या पर भी चर्चा हुई।

आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे भारत और जर्मनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के बीच बातचीत में सीमा पार आतंकवाद और अलगाववाद बड़ा मुद्दा रहा। इस मुलाकात में मोदी ने कहा, ‘आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और जर्मनी के बीच सक्रिय सहयोग है। दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं कि सीमा पार आतंकवाद को खत्म करने के लिए ठोस कार्रवाई जरूरी है। जर्मनी में दिसंबर 2021 में चांसलर बनने के बाद शोल्ज की यह पहली भारत यात्रा है। दो दिन के इस दौरे में भारत-जर्मनी के बीच 6 पनडुब्बी बनाने का समझौता होना है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस दौरे का मकसद रक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध मजबूत बनाना है।

क्या कहा मोदी ने?
साझा बयान के दौरान मोदी ने कहा कि जर्मनी यूरोपीय देशों में भारत का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। साथ ही, निवेश का स्रोत है। दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग और मजबूत होते रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि आज ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की वजह से भारत में सभी सेक्टरों में नए अवसर खुल रहे हैं। विश्व की दो बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ता सहयोग, दोनों देशों की जनता के लिए फायदेमंद तो है ही, आज के तनावग्रस्त विश्व में इससे सकारात्मक संदेश भी जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी तीसरी दुनिया के विकास के लिए भी सहयोग बढ़ा रहे हैं। कुछ वर्षों में हमारे बीच पीपल-टु-पीपल संबंध गहरे हुए हैं।

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