Navsatta
अपराधखास खबरदेशविदेश

बिलकिस बानो के बलात्कारियों को वापस जेल भेजने के लिए अमेरिका से हस्तक्षेप की मांग

अहमदाबाद,नवसत्ता: गर्भवती मुस्लिम महिला बिल्किस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के अपराध में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को सोमवार को रिहा कर दिया गया था. इस मामले में अब अमेरिका के एडवोकेसी संगठन इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) ने निंदा की है. साथ ही आईएमसी ने मांग की है कि अमेरिकी सरकार उन दोषियों को वापस जेल भिजवाने के लिए हस्तक्षेप करे.

उक्त मामले में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए आईएएमसी के अध्यक्ष सैयद अली ने कहा कि, अमेरिकी विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता राजदूत रशाद हुसैन को इस बाबत फ़ौरन भारत से बात करनी चाहिए. अली ने कहा, “हमें भारत को बताना चाहिए कि बिल्किस के बलात्कारी और उनके परिजनों के हत्यारे को जेल से रिहा करने के फ़ैसले को अमेरिका सही नहीं मानता है. ये फ़ैसला न्याय व्यवस्था पर चोट करता है.”

सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए अली ने कहा एक तरफ़ अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली तीस्ता सीतलवाड़ समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता भारतीय सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी या फ़ैसलों की वजह से जेल में हैं, वहीं अदालत के निर्देश के आधार पर बलात्कारियों और हत्यारों को रिहा किया जा रहा है.

ग़ौरतलब है कि 2002 में हुए दंगों के दौरान अहमदाबाद के रंधिकपुर मुहल्ले की रहने वाली बिल्किस बानो के घर पर दंगाइयों ने हमला बोल दिया था. उस समय बिल्किस बानो सिर्फ़ उन्नीस साल की थीं और उनको पाँच माह का गर्भ था. लेकिन दंगाइयों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और घर के सात लोगों को जान से मार डाला जिनमें उनकी माँ भी थीं. सभी दंगाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े थे. उनको गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की शह मिली थी. उन दंगों में सैंकड़ों मुसलमान मारे गए थे.

इंसाफ़ के लिए बिल्किस ने लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी. 2008 में 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की हो गई थी. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे बरक़रार रखा. पंद्रह साल के कारावास के बाद एक दोषी की अर्ज़ी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को फ़ैसला करने का निर्देश दिया. जिसके बाद गुजरात सरकार ने एक कमेटी बनाई, जिसने सरकार की माफ़ी नीति के तहत सभी 11 दोषियों को रिहा करने के हक़ में सिफ़ारिश की. इसके बाद गुजरात की बीजेपी सरकार ने गोधरा की एक जेल में बंद सभी दोषियों को रिहा कर दिया.

सैयद अली ने कहा आज़ादी के ‘अमृत महोत्सव’ के बीच एक गर्भवती मुस्लिम महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करने वाले और सात मुसलमानों का क़त्ल करने वालों को माफ़ी देना इंसाफ़ के साथ मज़ाक़ है और ज़ंग-ए-आज़ादी के लिए क़ुर्बानी देने वाले शहीदों का अपमान है. “आज़ादी के लिए सभी मज़हब के लोगों ने क़ुर्बानी इसलिए नही दी थी कि बहुसंख्यक वर्ग से ताल्लुक रखने वाले अपराधियों को सज़ा से बचने की आज़ादी मिल सके. गुजरात सरकार हिंदुत्ववादी बलात्कारियों और हत्यारों को बचाने में लगी है.”

आईएएमसी अध्यक्ष ने कहा भारत की न्याय व्यवस्था अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और दूसरे वंचित समूहों को लगातार निराश कर रही है. “भारत में इंसाफ़ के बुनियादी तक़ाज़ों को दरकिनार किया जा रहा है. ऐसे में यह ज़रूरी है कि दुनिया के तमाम सभ्य देश भारत सरकार पर दबाव डालें. लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध अमेरिका की यह ज़िम्मेदारी ख़ासतौर पर है.”

सैयद अली ने कहा अगर अमेरिकी विदेश सचिव ब्लिंकन और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता राजदूत हुसैन इस मामले में भारत सरकार से बात करने में नाकाम रहते हैं तो इसका मतलब होगा कि अमेरिका की सरकार को देश में रह रहे भारतीय मूल के मुसलमानों की फिक्र नहीं है.

संबंधित पोस्ट

अखिलेश जी आपने तो यादवों का स्वाभिमान ले लिया, भोजपुरी स्टार निरहुआ ने किया ट्वीट

navsatta

ममता बनर्जी की भवानीपुर सीट पर 30 सितंबर को होगा उपचुनाव, बाकी 31 सीटों पर टाला मतदान

navsatta

अपने पूर्वजों और अपनी विरासत के सम्मान से ही भारत बनेगा विकसित राष्ट्र: सीएम योगी

navsatta

Leave a Comment